5 अगस्त को पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन रखे जाने को लेकर बीजेपी ने तृणमूल सरकार पर हमला बोला है। इसी दिन अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन होना है और बीजेपी देश भर में बड़े पैमाने पर इसका जश्न मना रही है। बीजेपी ने कहा है कि 5 अगस्त को लॉकडाउन रखा जाना ममता बनर्जी सरकार की हिंदू विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।
तृणूल कांग्रेस ने इस आरोप को बेबुनियाद बताया है और अपील की है कि कोरोना संकट के दौरान बीजेपी सांप्रदायिक राजनीति से दूर रहे।
बंगाल को बांग्लादेश बनाने का आरोप
पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से कहा कि राज्य सरकार द्वारा 5 अगस्त को लॉकडाउन रखा जाना यह दिखाता है कि वह पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि बीजेपी को तब कोई परेशानी नहीं हुई थी, जब राज्य सरकार ने ईद के लिए तारीख़ बदली थी, इसी तरह राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं की भावनाओं को नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
घोष को जवाब देते हुए टीएमसी नेता और राज्य सरकार में मंत्री फिरहाद हाकिम ने कहा, ‘कोरोना ने बंगाल और पूरे देश को प्रभावित किया है। यह सांप्रदायिक राजनीति करने का वक्त नहीं है। हमें बंगाल के भाईचारे को ख़राब नहीं करना चाहिए।’
बीजेपी राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में होने जा रहे भूमिपूजन को बड़े पैमाने पर मनाना चाहती थी लेकिन कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण उसे हाथ पीछे खींचने पड़े हैं। लेकिन इसके बाद भी उसने इसे लेकर डिजिटल स्तर पर व्यापक तैयारियां की हुई हैं।
दिलीप घोष ने कहा कि अगर ममता सरकार यह फ़ैसला वापस नहीं लेती है, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।
ममता सरकार के इस फ़ैसले के विरोध में बीजेपी ने मंगलवार को प्रदर्शन का एलान किया है। पार्टी उत्तरी कोलकाता के मनिकतला में स्थित स्वामी विवेकानंद के घर से श्यामबाज़ार तक मार्च निकालेगी। बीजेपी ने कहा है कि राज्य में फिर से लोकतंत्र को बहाल किया जाए।
बीजेपी ने कहा है कि राज्य सरकार इस फ़ैसले को तुरंत वापस ले। बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने कहा कि टीएमसी तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस तारीख़ को लॉकडाउन को उसी तरह वापस ले जिस तरह उसने ईद के लिए किया था।
चुनाव से पहले लड़ाई तेज़
पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले लगभग हर एक मुद्दे पर बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच सियासी कुश्ती देखने को मिल रही है। कोरोना संकट के दौरान भी लॉकडाउन लगाने के मामले में, प्रवासियों को वापस राज्य में लाए जाने से लेकर कई मुद्दों पर दोनों दल आमने-सामने दिखे।
बंगाल में इससे पहले पंचायत चुनाव, लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच खूनी हिंसा हो चुकी है। बीजेपी और तृणमूल दोनों एक-दूसरे पर उनके दलों के कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप लगाते रहे हैं। विधानसभा चुनाव नज़दीक आते-आते दोनों दलों के बीच सियासी लड़ाई और ख़ूनी हिंसा बढ़ने की आशंका है।