पश्चिम बंगाल के कुछ डॉक्टरों और दूसरे स्वास्थ्य कर्मियों ने एक कड़ी चिट्ठी लिख कर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कहा है कि राज्य में बहुत ही कम लोगों की कोरोना जाँच हो रही है और आँकड़े ग़लत ढंग से पेश किए जा रहे हैं।
क्या है मामला
ख़ुद को ‘बंगाली फ़ीजिशियन्स’ बताने वाले इस समूह ने ममता बनर्जी को लिखी चिट्ठी में इस बात पर चिंता जताई है कि पश्चिम बंगाल में कोरोना की जाँच बहुत ही कम हो रही है और यह स्थिति बेहद परेशान करने वाली है। इस समूह में डॉक्टरों के अलावा वैज्ञानिक, स्वास्थ्य कर्मी और दूसरे लोग भी हैं।
इस चिट्ठी में कहा गया है कि दस लाख लोगों पर 33.7 लोगों की कोरोना जाँच राज्य में की गई है, जबकि राष्ट्रीय औसत 156.9 लोगों के जाँच की है। पश्चिम बंगाल में जितनी सुविधाएं हैं, उससे प्रति दस लाख पर 1,000 लोगों की कोरोना जाँच की जा सकती है।
डॉक्टरों ने कहा है, ‘वास्तव में कितने लोग प्रभावित हुए हैं, यह इस पर निर्भर करता है कि कितने लोगों की जाँच की जाती है, वे जाँच कितने सही हैं, और जिन लोगों में पहले से ही लक्षण नहीं पाए गए वैसे कितने लोगों की जाँच की जाती है।’
क्या है चिट्ठी में
इन लोगों ने कहा है कि जाँच के बाद के आँकड़े भी सही ढंग से नहीं पेश किए जाते हैं, जान बूझ कर आँकड़े कम कर दिखाए जाते हैं।ख़त में कहा गया है, 'इस तरह आँकड़े कम कर दिखाने से दो तरह के नुक़सान हैं, महामारी से निपटने के लिए पूरी और सही तैयारी नहीं की जा सकती है, जिन लोगों में लक्षण नहीं दिखते हैं वे जाने-अनजाने काफी लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।'
डेथ सर्टिफिकेट में भी घपला
इन स्वास्थ्य कर्मियों ने चिट्ठी में यह भी लिखा है कि सरकार द्वारा नियोजित एक कमेटी ही मरने वालों को डेथ सर्टिफ़िकेट देती है।
जिन लोगों की मौत कोरोना वायरस की वजह से होती है और उसके पहले उनमें सांस की बीमारी पाई जाती है, उन्हें भी कोरोना संक्रमण से होने वाली मौत नहीं माना जा रहा है।
इन लोगों ने यह भी कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च ने तमाम स्वास्थ्य कर्मियों को यह हिदायत दे रखी है कि महामारी के इस दौर में हर डेथ सर्टिफ़िकेट पर मौत की प्राइमरी और सेकंडरी कारण लिखा जाना चाहिए, पर पश्चिम बंगाल में इसका पालन नहीं किया जाता है।
ममता से अपील
इन स्वास्थ्य कर्मियों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अपील की है कि वे राज्य में कोरोना जाँच बढ़ाएं और इसकी व्यवस्था करें कि सही-सही आँकड़े पेश किए जाएं।यह चिट्ठी ऐसे समय आई है जब पश्चिम बंगाल में इस मुद्दे पर राजनीति भी हो रही है। केंद्र सरकार ने कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन का सही से पालन नहीं होने का आरोप लगाते हुए दो जाँच दल पश्चिम बंगाल भेजे तो इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकारों में ठन गई। यह स्थिति तब बदतर हो गई जब राज्यपाल भी इसमें कूद पड़े।
राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने टेलीविज़न चैनलों पर होने वाली लाइव बहस में भाग लिया और खुले तौर पर मुख्यमंत्री का नाम लेकर आरोप लगाया कि वह केंद्र के साथ सहयोग नहीं कर रही हैं और उसके दिशा निर्देशों को नहीं मान रही हैं।