शिया वक़्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी ने राम मंदिर के लिए क्या नहीं किया! ऐक्टिंग की। पटकथा लिखी। सच में उन्होंने पूरी फ़िल्म ही बना दी। इसका नाम है ‘राम जन्मभूमि’। हाल ही में उन्होंने इसका ट्रेलर भी दिखा दिखाया। और साथ ही विवादों का ‘ट्रेलर’ भी दिख गया। पिक्चर तो अभी बाकी है...‘राम जन्मभूमि’ के लेखक और निर्माता रिज़वी ख़ुद ही हैं। सनोज मिश्रा के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म में रिज़वी ने अभिनय भी किया है। रिज़वी ने प्रेस कॉन्फ़्रेन्स कर फ़िल्म का ट्रेलर लॉन्च किया और दिसम्बर में फ़िल्म को रिलीज करने की घोषणा की। रिलीज से पहले ही यह फ़िल्म विवादों में आ गई है। फ़िल्म के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज़ कराई गई है। रिज़वी को धमकी मिलने की भी ख़बर है। फ़िल्म को लेकर देवबंद के उलेमा नाराज हैं। बता दें कि राम मंदिर के निर्माण की पैरवी करे के कारण रिज़वी पहले से ही उलेमाओं के निशाने पर रहे हैं। कुछ समय पहले ही रिज़वी ने दावा किया था कि श्रीराम उनके सपने में आए थे और उन्होंने विवादित जगह ही मंदिर बनाने को कहा है।
उलेमाओं ने कहा कि बाबरी मसज़िद-रामजन्म भूमि जैसे संवेदनशील मुद्दे पर फ़िल्म बनाकर वसीम रिज़वी मुल्क का माहौल ख़राब करना चाहते हैं। इस फ़िल्म को सेंसर बोर्ड से मंजूरी नहीं मिलनी चाहिए।
इस पर रिज़वी ने भी जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ कट्टरपंथी राम मंदिर निर्माण के विरोधी तो हैं, लेकिन क्या अब श्रीराम जन्म भूमि के नाम पर कोई फ़िल्म बनाने के लिए हमको कट्टरपंथी मुल्लाओं से इजाज़त लेनी पड़ेगी।
फ़िल्म में क्या है?
ट्रेलर लॉन्च के मौके पर रिज़वी ने कहा कि मुगल वंश के संस्थापक बाबर के कुछ भटके हुए समर्थक 16वीं सदी में अयोध्या में मीर बाक़ी द्वारा बनाए गए विवादित ढांचे के नाम पर देश का माहौल ख़राब कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मीर बाक़ी शिया था, लिहाज़ा बाबरी मसज़िद शिया वक़्फ़ बोर्ड की सम्पत्ति है। बोर्ड का अध्यक्ष होने के नाते वे इस ज़मीन पर अपना दावा छोड़ रहे हैं और मंदिर बनाने की मांग कर रहे हैं।
रिज़वी ने दावा किया कि 30 अक्टूबर से दो नवम्बर 1990 के बीच की उन घटनाओं को आधार बनाकर फ़िल्म बनाई गई है जब निहत्थे कारसेवकों पर गोलियां चलाई गई थीं।