असम में बाल विवाह रोकने के नाम पर अत्याचार !

10:41 am Feb 06, 2023 | अपूर्वानंद

ख़ुशबू बेगम की ख़ुदकुशी के लिए असम सरकार और उसमे भी उसके मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ज़िम्मेवार हैं। उन्होंने गले में फंदा लगाकर , पंखे से लटककर अपनी जान दे दी। वे दो बच्चों की माँ थीं। उनका पति अभी दो साल पहले कोरोना में गुजर गया था। वे असम में रहती थीं।यह ख़ुदकुशी किसी बीमारी, ग़रीबी से पैदा हुए अवसाद के कारण नहीं की गई। ख़ुशबू असम की उन 31% औरतों में हैं जिनका बाल विवाह हुआ है। अचानक असम के मुख्यमंत्री को सनक सवार हुई है कि बाल विवाह एक ऐसा सामाजिक अपराध है जिसे फ़ौरन रोका जाना ज़रूरी है।इसके लिए वे उन लोगों को सबक़ सिखाना चाहते हैं जो के बाल विवाह के लिए ज़िम्मेवार हैं। वे  कौन हो सकते हैं, अलावा उनके पिताओं और पतियों के? मुख्यमंत्री ने हुक्म दिया कि इन सबको गिरफ़्तार किया जाए। और हुक्म के ताबेदार पुलिस अधिकारी उत्साह के साथ जुट गए हैं।  

अब तक की खबर के मुताबिक़2700 से अधिक लोगों को इस आरोप में गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया। उन पर आरोप है कि उन्होंने लड़कियों के बाल विवाहका जुर्म किया है।

ख़ुशबू बेगम का विवाह कई वर्ष पहले हुआ था। लेकिन उन्हें भय था कि उनके पिता को उनके विवाह के कारण गिरफ्तार कर लिया जाएगा। यह भय अकारण नहीं है।असम में जगह जगह पुलिस गिरफ़्तारियों में जुटी है जैसे इस समय उसका फ़ौरी काम यही है। यह इत्तफ़ाक़ नहीं है, जैसा सांसद बदरूद्दीन अजमल ने कहा है, गिरफ़्तार लोगोंमें 90% से अधिक मुसलमान हैं। मुख्यमंत्री का कहना हैकि जो भी बाल विवाह का अपराधी है,उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी, वह मुसलमान हो या हिंदू। जैसा हमने कहा, सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ ही असम की शादीशुदा औरतों में 31% का बाल विवाह हुआ है। क्या असम के मुख्यमंत्री इन 31% औरतों के पिताओं, परिजनों और पतियों को गिरफ़्तार करना चाहते हैं? 

 

असम के मुख्यमंत्री का कहना है कि वे सिर्फ़ 2006 केबाल विवाह संबंधी क़ानून को लागू कर रहे हैं। इन क़ानून में वैसे पंडितों, मौलवियों या अन्य किसी को भी सज़ा दे जा सकती है जिन्होंने ऐसे विवाह कराने का काम किया है।इसका लाभ उठाकर असम में मौलवियों, पंडितों की गिरफ़्तारी का दावा भी मुख्यमंत्री कर रहे हैं। 

 

जगह जगह औरतें अपने पतियों, पिताओं, परिजनों की गिरफ़्तारियों का विरोध कर रही हैं। वे पुलिस के आगे धरना दे रही हैं, उनका रास्ता रोक रही हैं लेकिन पुलिस दृढ़संकल्प है कि वह इस सामाजिक अपराध को रोक कर मानेगी। क्या यह महज़ संयोग है कि वह उत्साहपूर्वक प्राय मुसलमानों की गिरफ़्तारी में जुट गई है?

ये गिरफ़्तारियाँ कुछ उसी तरह हैं जैसे अतिक्रमण हटाने के नाम  पर बड़ी संख्या में लोगों को उजाड़ा जा रहा है। उनमें भी बहुसंख्या मुसलमानों की है। उस मामले में भी असम की माटी को अवैध क़ब्ज़े से मुक्त कराने के अपने निश्चय को धर्मनिरपेक्ष बतलाते हुए असम के मुख्यमंत्री उसअत्याचार को जायज़ ठहराते हैं। 

 

मुख्यमंत्री बाल विवाह विरोधी अभियान को क़ानून का पालन बतला रहे हैं। यह क़ानून 2006 का है। पूछा जा सकता है कि 7 साल तक उनकी सरकार क्या कर रही थी? अचानक अभी यह क़ानून लागू करने का ख़याल कैसे दिमाग में आया? और अगर यह था भी तो इस क़ानून में अपराध पाए जाने पर अधिकतम सज़ा 2 साल की है।सर्वोच्च न्यायालय के मुताबिक़ जिन अपराधों में सज़ा 7 साल तक की हो, उनमें भरसक गिरफ़्तारी से बचना चाहिए। नोटिस दी जानी चाहिए और तफ़तीश की जानी चाहिये। लेकिन जब इरादा किसी भी बहाने से मुसलमानों को प्रताड़ित करना हो तो सर्वोच्च न्यायालय के हर निर्देशको धता बताई जा सकती है।


 

यह सवाल भी है कि क्या जो विवाह कई बरस पहले हुए, क़ानून बनने के भी पहले, उनके लिए गिरफ़्तारियाँ किसी भी तरह जायज़ हैं? जैसा ख़ुशबू बेगम के प्रसंग में हम देख सकते हैं, वह दो बच्चों की माँ थीं। उनका पति गुजर चुका था। लेकिन उन्हें डर था कि उनके पिता को गिरफ़्तार किया जा सकता है।  यह प्रश्न कोई भी करेगा कि जिन औरतों की भलाई के नाम पर यह अभियान चलाया जा रहा है, उनके पतियों को , उनके घरों के पुरुषों को जेल भेज देने के बाद उनका घर कौन चलाएगा? 

 

असम के प्रगतिशील मुख्यमंत्री को इन सवालों से फ़र्क नहीं पड़ता। इन गिरफ़्तारियों पर उनकी ख़ुशी छिपाये नहीं छिपती। वे रोज़ाना गिरफ़्तारियों की संख्या पर सार्वजनिक वक्तव्य दे रहे हैं । कह रहे हैं कि इन गिरफ़्तारियों से लोगों में दहशत फैलेगी और वे इस बुराई से बाज आएँगे।

बाल विवाह को रोकना प्रगतिशील कदम है, यह सब कहेंगे। लेकिन हम सब जानते हैं कि मामला इतना सीधा नहीं है। बाल विवाह का रिश्ता शिक्षा और सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। क्यों तथाकथित पिछड़ी जातियों, दलितों और मुसलमानों में बाल विवाह दूसरे तबकों के मुक़ाबले ज़्यादा है? अशिक्षा और ग़रीबी के कारण। सुरक्षा भी एक कारण है। शादी कर देने पर खिलाने को एक मुँह कम हो जाएगा। साथ ही लोगों का यह ख़याल भी है कि शादी कर देने से लड़की यौन हिंसा से बची रहेगी। बाल विवाह प्राकृतिक या सामाजिक आपदा  के समय बढ़ जाता है।

 

अध्ययनों के मुताबिक़ भारत में 20 से 24 साल के बीच की औरतों में 43% का विवाह 19 साल के पहले और61% का विवाह 21 साल की उम्र तक हो जाता है।यह पाया गया कि बाल विवाह 2005-6 में 47.4. % से घटकर 2015-16 में 26.8% रह गया। यह कैसे हुआ? क्या इसके लिए दंडात्मक तरीक़ा अपनाया गया? नहीं। यह लोगों की माली हालत में सुधार, सामाजिक ख़ुशहाली और इत्मिनान के बढ़ने के कारण, और सक्रिय रूप से जागरूकता  के प्रसार से हासिल किया गया। इस बीच समानुपातिक रूप से लड़कियों की शिक्षा भी बढ़ी। इन सबका योगदान बाल विवाह से परिवारों को विरत करने में है। 

यह भय है कि कोरोना महामारी के कारण बाल विवाह में वृद्धि हो सकती है। इसका कारण भी वही है, यानीअधिकतर परिवार पामाल हुए हैं और वे लड़कियों को पालना मुश्किल पा रहे हैं। हमने सामूहिक हिंसा के बाद भी बाल विवाह में वृद्धि देखी है।

यह नहीं कि असम के मुख्यमंत्री को यह मालूम नहीं। वे मुख्यमंत्री रहने के पहले शिक्षामंत्री भी रहे हैं। लड़कियों की शिक्षा के लिए और बाल विवाह को लेकर समाज को जागरूक करने के लिए उन्होंने क्या ख़ास कदम उठाए हैं? उन्होंने अपने कार्यकाल में मदरसों को बंद करने , उन पर बुलडोज़र चलाने का अभियान भी चलाया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि मुसलमान लड़कियाँ और भी शिक्षा से वंचित हो रही हैं। यानी बाल विवाह के लिए उन्होंने ही ज़मीन तैयार की है। और फिर इसका आरोप पिताओं पर लगाकर वे उन्हें जेल भेज रहे हैं।

 

असम के इस नए प्रताड़ना अभियान की शैतानी तब समझ में आएगी जब हम यह समझ पाएँगे कि गिरफ़्तार लोगों पर बलात्कार, घरेलू हिंसा और बाल हिंसा संबंधी क़ानूनों केतहत भी मुक़दमा दर्ज किया जा सकता है। इरादा किसीभी तरह और अधिक से अधिक प्रताड़ित करने का है।

 

इस अभियान से फ़िलीपींस  के रोड्रिगो दुतेत्र के नशाविरोधी अभियान की याद आना स्वाभाविक है। नशा रोकने के नाम पर लोगों को सीधे गोली मार देने में रोड्रिगो दुतेत्र को जो आनंद आता था, वही आनंद अभी आप असम के मुख्यमंत्री के चेहरे पर देख सकते हैं। 

 

जो सामूहिक अत्याचार असम के मुख्यमंत्री कर रहे हैं, उससे असम के लोगों ख़ासकर, मुसलमानों को सिर्फ़ सर्वोच्च न्यायालय बचा सकता है। क्या कोई उसका ध्यान इस तरफ़ खींचेगा?