बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) मोदी सरकार के वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ खुलकर सामने आ गई है। इससे पहले चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ तेलगूदेशम पार्टी (टीडीपी) ने भी वक्फ बिल को लेकर तमाम सवाल उठा दिए थे।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, जेडीयू मुस्लिम समुदाय के हितों की बेहतर सुरक्षा के लिए प्रस्तावित कानून में बदलाव पर जोर दे रही है। जेडीयू का कहना है कि मुस्लिम समुदाय की ही सलाह पर विधेयक में बदलाव होना चाहिए। बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव है। राज्य में मुस्लिम आबादी 18 फीसदी है। जेडीयू को यह गणित अच्छी तरह मालूम है। हालांकि पार्टी ने इस महीने की शुरुआत में विधेयक का समर्थन किया था और उसके सांसद और मंत्री राजीव रंजन ने लोकसभा में बहस के दौरान भी इस कानून का समर्थन किया था। उन्होंने पारदर्शिता बढ़ाने के लिए संशोधनों को जरूरी बताया था। लेकिन अब हालात बदल गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जेडीयू के भीतर असंतोष उभर आया है। क्योंकि बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद ज़मा खान ने मुख्यमंत्री से मिलकर कुछ प्रावधानों के बारे में चिंता व्यक्त जताई। न सिर्फ खान ने चिंता जताई है, बल्कि जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भी मुस्लिम समुदाय पर असर पड़ने की आशंका जताई है।
शीर्ष मुस्लिम धार्मिक संगठनों, सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड और खानकाहों का प्रतिनिधित्व करने वाले 35 लोगों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को नीतीश से मुलाकात सारे मुद्दे रखे थे। उनकी आशंकाओं को नीतीश ने गौर से सुना और कहा कि जेडीयू ऐसा विधेयक चाहती है, जिसमें मुस्लिमों की राय हो। विवादित विधेयक नहीं चाहती। इस मीटिंग के बाद नीतीश के मंत्री खुलकर विधेयक का विरोध करने लगे।
बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष मोहम्मद इरशादुल्लाह ने कहा - “नीतीश जी ने हमसे कहा कि वह और उनकी पार्टी वक्फ बोर्डों के हित में सब कुछ करेगी और इस संबंध में जेपीसी के सामने अपने विचार रखेगी। उन्होंने भरोसा दिया है कि वह वक्फ बोर्डों को कोई नुकसान नहीं होने देंगे।” इरशादुल्लाह ने बताया- “हमने मुख्यमंत्री को बताया कि हम एक बहुलवादी समाज में रहते हैं और वक्फ बोर्ड की जमीनें न केवल मुसलमानों द्वारा बल्कि कई स्थानों पर हिंदुओं द्वारा भी दान की गई थीं। इनमें से कई दान का कोई रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन दान की गई भूमि का इस्तेमाल अब स्कूलों, कॉलेजों, बहुउद्देश्यीय हॉल और अन्य कल्याणकारी गतिविधियों के निर्माण के लिए किया जा रहा है। अतीत में भी संशोधन हुए थे, लेकिन इस बार हम सरकार के इरादों से आशंकित हैं।” ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के सचिव आदिल फरीदी ने कहा कि "नीतीश कुमार ने वादा किया है कि वह वक्फ बोर्डों और उनकी औकाफ (संपत्ति) के हितों की रक्षा करेंगे।"
विधेयक पर पार्टी के रुख के बारे में पूछे जाने पर नीतीश के राजनीतिक सलाहकार और जेडीयू प्रवक्ता के.सी. त्यागी ने द टेलीग्राफ को बताया, “नीतीश जी ने मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है कि वह उनके हितों की रक्षा करेंगे। हम इस पर कायम रहेंगे।” जेडीयू सूत्रों ने कहा कि पार्टी वक्फ (संशोधन) विधेयक के पक्ष में नहीं है और अगर लोकसभा में मतदान के लिए आया तो शायद इसका समर्थन नहीं करेगी। एक वरिष्ठ जेडीयू नेता ने द टेलीग्राफ से कहा- हमारी पार्टी के किसी भी शीर्ष नेता ने विधेयक के समर्थन में कुछ नहीं कहा है। जेपीसी रिपोर्ट आने तक हम इस मुद्दे पर इंतजार करो और देखो की नीति अपना रहे हैं। इस बीच, केंद्र सरकार के पास अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का भी समय होगा।”
इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के अध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा है कि उन्होंने एनडीए के सहयोगी चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार से मुलाकात की और दोनों नेताओं ने वक्फ विधेयक पर अपना विरोध जताया। सैफुल्लाह रहमानी ने दिल्ली में पत्रकारों को बताया कि “हमने चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात की, जिन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वह इस विधेयक का विरोध करेंगे। हमने 21 अगस्त को जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार से मुलाकात की और उन्होंने हमें आश्वासन भी दिया कि वह विधेयक का विरोध करेंगे।उन्होंने कहा कि आरजेडी के तेजस्वी यादव ने भी मुस्लिम संगठनों को आश्वासन दिया है कि उनकी पार्टी इस विधेयक का विरोध करेगी।
अब यह बिल जेपीसी के पास है। जेपीसी की पहली बैठक में विपक्ष ने जबरदस्त तरीके से अपना पक्ष रखा। सूत्रों ने बताया कि विपक्षी सांसदों ने प्रस्तावित प्रावधानों के संबंध में कई आपत्तियां उठाईं, जैसे गैर-मुस्लिम सदस्यों को बोर्ड में शामिल करना, जिला कलेक्टरों को अधिक अधिकार देना आदि। जेपीसी के एक सदस्य ने कहा कि भाजपा की सहयोगी जेडीयू ने कहा कि वह मुस्लिम समुदाय के साथ इस पर विचार-विमर्श कर रही है और वह अगली बैठक में इन पर चर्चा करेगी। यानी कुल मिलाकर संकेत यही है कि जेडीयू का रुख बदल चुका है।
लोकसभा ने 9 अगस्त को विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के लिए 21 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया, जो संसद की अगली बैठक होने पर पहले सप्ताह के अंत तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। जेपीसी के लिए प्रस्ताव केंद्रीय संसदीय मामलों और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने पेश किया था। रिजिजू द्वारा 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया विधेयक, वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करके राज्य वक्फ बोर्डों की पावर में बदलाव लाने की बात कहता है। लेकिन नए बिल में सारी पावर जिला अधिकारियों को दे दी गई है।