विनेश फोगाट ने गुरुवार 8 अगस्त को कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा की है। उसके बाद से विनेश से इमोशनल अपीलों का तांता लगा हुआ है। इसमें हरियाणा सरकार भी सक्रिय है। विनेश हरियाणा की रहने वाली हैं। इसलिए हरियाणा में विनेश को लेकर ज्यादा हलचल है। भाजपा शासित हरियाणा सरकार को पता है कि दो महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव पर इसका क्या असर होने वाला है। इसलिए वो अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ रही।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने गुरुवार को कहा कि हरियाणा सरकार पहलवान विनेश फोगाट को मेडल विजेता की तरह सम्मानित करेगी, जिन्हें 50 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक मुकाबले से पहले अधिक वजन के कारण ओलंपिक से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें वही इनाम दिया जाएगा जो राज्य सरकार ओलंपिक खेलों के सिल्वर पदक विजेताओं को देती है।
हरियाणा सरकार की इस घोषणा के पीछे वो कहानी है जो भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा नेता ब्रजभूषण शरण सिंह के समय पिछले साल हुई थी। अधिकांश हरियाणा के नामी पहलवानों ने विनेश फोगाट के साथ भाजपा नेता के कथित यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई थी। भाजपा आलाकमान डटकर अपने पूर्व सांसद ब्रजभूषण के साथ खड़ी हुई। विनेश फोगाट समेत तमाम खिलाड़ियों पर दिल्ली पुलिस ने आंदोलन के दौरान डंडे बरसाए। उनके टेंट को जंतर मंतर से उखाड़ दिया गया। इसका नतीजा यह निकला हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी यूपी के तमाम जाट संगठन, विभिन्न विपक्षी दलों के जाट नेता नाराज हो गए। इसी मुद्दे पर चौधरी बीरेंद्र सिंह और उनका बेटा जो उस समय भाजपा सांसद था, भाजपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए। हरियाणा में भाजपा विरोधी माहौल बन गया। लोकसभा चुनाव में भाजपा सिर्फ 5 सीटें जीत सकी।
हरियाणा के मंत्री और भाजपा नेता मूलचंद शर्मा ने इस मुद्दे पर राजनीति न करने की अपील की है। मंत्री मूलचंद शर्मा ने गुरुवार को कहा
"विनेश फोगाट राज्य और देश का गौरव हैं। उनकी अयोग्यता से हम सभी बहुत दुखी हैं। हमारी बेटी विनेश फोगाट को न्याय मिलेगा। उनकी अयोग्यता पर कोई राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। कोई भी नियमों से ऊपर नहीं है। हम सभी उनके साथ हैं।" लेकिन हरियाणा सरकार की पहल से साफ है कि वो जाटों के गुस्से को लेकर अलर्ट है।
महिला पहलवानों के साथ दिल्ली में हुए बर्ताव को हरियाणा के लोग भूले नहीं हैं। भाजपा इस बात को अच्छी तरह समझ रही है। वैसे भी बुधवार को ही किसान नेता राकेश टिकैत ने साफ शब्दों में कहा कि हमारी बेटी के साथ साजिश की गई है। बता दें कि राकेश टिकैत भी जाट हैं और उनके भाई नरेश टिकैत ने सभी पहलवानों को उस समय रोक दिया था, जब वो अपने मेडल बहाने गंगा नदी के किनारे गए थे। नरेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भी हैं। हरियाणा सरकार की गुरुवार की घोषणा इन्हीं कहानियों को हल्का करने और विवाद आगे न बढ़ने देने के लिए की गई है। क्योंकि राज्य में दो महीने बाद ही विधानसभा चुनाव हैं।
इस बीच विनेश के चाचा महावीर फोगाट ने कुश्ती से संन्यास लेने के बयान पर कहा- "...ओलंपिक में इस बार स्वर्ण पदक पक्का हो गया था, लेकिन वह अयोग्य हो गईं। इससे दुख हुआ और इसलिए उन्होंने यह फैसला किया। एक बार जब वह वापस आ जाएंगी, तो हम सभी उन्हें यह समझाने की कोशिश करेंगे कि क्या वह अगले ओलंपिक में लड़ने के लिए तैयार हैं।"
पहलवान विनेश फोगाट के ससुर राजपाल राठी ने कहा- ''उसने अपना 100% दिया था लेकिन हम क्या कह सकते हैं। हो सकता है कोई साजिश हो... हम पीएम से मांग करते हैं कि वह इसका संज्ञान लें और ओलंपिक संगठन पर दबाव बनाएं। यह हमारा अधिकार है और वह देश की बेटी है। सिल्वर मेडल उसका अधिकार है, हम प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि वह जरूरी कदम उठाएं ताकि उसे सिल्वर मेडल मिल सके...हमने अभी तक उससे बात नहीं की है लेकिन एक बार जब वह यहां आ जाएगी तो हम उसे संन्यास लेने के खिलाफ मनाने की कोशिश करेंगे। हम उससे देश के लिए स्वर्ण पदक की तैयारी करने को कहेंगे।"
विनेश फोगाट की ओलंपिक अयोग्यता पर, भारत की पहली महिला ओलंपिक पदक विजेता कर्णम मल्लेश्वरी ने कहा- "मुझे यह सुनकर दुख हुआ...मैंने अपने करियर में पहली बार ऐसी घटना के बारे में सुना कि एक खिलाड़ी को उसके शरीर के वजन के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया। ...मुझे नहीं पता कि यह गलती कैसे हुई, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि यह विनेश के लिए एक सुनहरा अवसर था... अगर ऐसा नहीं होता तो हम गोल्ड या सिल्वर जीत सकते थे... यह विनेश और देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है।"
इस बीच विनेश फोगाट ने ओलंपिक के एक खेल ट्रिब्यूनल में अपील की है कि उन्हें संयुक्त सिल्वर मेडल से नवाजा जाए। विनेश ने बुधवार देर रात इसके लिए खेल ट्रिब्यूनल में अर्जी दी। ट्रिब्यूनल का फैसला गुरुवार देर रात तक आने की उम्मीद है।