हिमाचल प्रदेश में दुकान मालिकों को आईडी रखने वाले आदेश पर विवाद के बीच विक्रमादित्य सिंह दिल्ली पहुँचे हैं। वह रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और महासचिव वेणुगोपाल से मिले। यह मुलाक़ात क्यों हुई, यह तो आधिकारिक तौर पर नहीं बताया गया है, लेकिन यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब कांग्रेस आलाकमान ने विक्रमादित्य सिंह को स्ट्रीट वेंडरों को अपना पहचान पत्र दिखाने के उनके कथित आदेश पर फटकार लगाई थी।
दरअसल, मामला हिमाचल प्रदेश में हर खाने-पीने की दुकान और स्टॉल पर मालिक का पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य करने का फैसला लेने वाले विक्रमादित्य सिंह के बयान का है। समझा जाता है कि इसी को लेकर पीडब्ल्यूडी और शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने रविवार को नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की।
विक्रमादित्य सिंह ने कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल और हिमाचल कांग्रेस के सह-प्रभारी राजीव शुक्ला से भी मुलाकात की और अपनी टिप्पणियों पर अपना रुख साफ़ करने की कोशिश की। द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है, 'खड़गे के साथ बैठक के दौरान विक्रमादित्य सिंह ने पार्टी की गतिविधियों को आगे बढ़ाने और राज्य की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी को मजबूत करना और राज्य के विकास की दिशा में काम करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है, जिसे पूरी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ाया जाएगा।' इसके अलावा विक्रमादित्य सिंह ने आश्वासन दिया कि सरकार पार्टी के मूल सिद्धांतों के अनुसार काम करेगी और राज्य को विकास के पथ पर आगे ले जाने के लिए दृढ़ संकल्प है।
द इंडियन एक्सप्रेस से विक्रमादत्य सिंह ने कहा, 'मैंने खड़गे जी के समक्ष हिमाचल प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मुद्दे उठाए। उन्होंने धैर्यपूर्वक मेरी बात सुनी। मैंने उन्हें भरोसा दिलाया कि सभी कांग्रेस कार्यकर्ता पार्टी के समर्पित सिपाही हैं। कांग्रेस के मूल सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।'
इस मामले में शुक्रवार को भी विक्रमादित्य सिंह ने कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल से दिल्ली में मुलाकात की थी। वेणुगोपाल ने मीडिया से कहा था कि हिमाचल के मंत्री को पार्टी लाइन का पालन करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने बैठक के बाद कहा था, 'मैंने कांग्रेस पार्टी की भावनाओं को मजबूती से व्यक्त किया। कोई भी मंत्री या पार्टी पदाधिकारी पार्टी की नीतियों और विचारधारा के खिलाफ नहीं जा सकता। राहुल गांधी नफरत के खिलाफ प्यार और स्नेह की राजनीति कर रहे हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे जी भी लोगों के बीच प्यार और स्नेह की बात कर रहे हैं। हम नफरत पैदा नहीं कर सकते।'
यह ऐसे समय में हुआ है जब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने पहले ही अपने ही कैबिनेट मंत्री के बयान से खुद को अलग कर लिया है और कहा है कि खाद्य स्टॉल मालिकों को नामपट्टिका लगाने के लिए कोई आधिकारिक निर्देश नहीं है।
राज्य में पार्टी नेताओं का मिला समर्थन!
भले ही कांग्रेस आलाकमान ने विक्रमादित्य सिंह को स्ट्रीट वेंडरों को अपना पहचान पत्र दिखाने के उनके आदेश पर फटकार लगाई है, लेकिन बाद में उन्हें राज्य में पार्टी नेताओं का समर्थन मिला है। हिमाचल के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. धनी राम शांडिल ने शुक्रवार को सोलन में प्रेस से कहा, 'मैं इसके पक्ष में हूं। हमें लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है।' इस बीच, राज्य कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट से कहा, 'विक्रमादित्य के आदेश को राजनीतिक रंग में नहीं देखा जाना चाहिए। इसे पार्टी की विचारधारा के खिलाफ़ गतिविधि के रूप में ब्रांड नहीं किया जाना चाहिए। अगर राहुल गांधी प्रेम का संदेश फैला रहे हैं, तो विक्रमादित्य का फ़ैसला सुरक्षा सुनिश्चित करने और स्ट्रीट वेंडर्स को नियंत्रित करने के लिए था।'
हिमाचल के एक विधायक जो राज्य के लिए स्ट्रीट वेंडर्स नीति को अंतिम रूप देने के लिए गठित एक संयुक्त पैनल का हिस्सा हैं, ने कहा कि 'सार्वजनिक हित में निर्णय लेने के लिए एक मंत्री को फटकारना एक अच्छा विचार नहीं है'। उन्होंने दिप्रिंट से कहा, 'क्या होगा अगर संयुक्त पैनल भी यही सिफारिश करता है, तो क्या सरकार हमारी सिफारिशों को खारिज कर देगी? अगर कांग्रेस हाईकमान को राज्य के मामलों का फैसला करना है, तो यहां सरकार की क्या जरूरत है।'