क्या हिन्दू देवी-देवताओं को आधुनिक रूप में पेश किया जा सकता है? शायद भारत अभी इसके लिए तैयार नहीं है। फिल्म 'काली' का पोस्टर इसके डायरेक्टर को मुश्किल में डाल रहा है। हिन्दुओं में काली की पूजा होती है। वो तमाम महत्वपूर्ण देवियों में शामिल हैं।
फिल्म 'काली' की डायरेक्टर लीना मणिमेकलाई ने इस मुद्दे पर चुप्पी तोड़ी है। शनिवार को उन्होंने ट्विटर पर जो पोस्टर साझा किया था, उसमें एक महिला को देवी काली के वेश में सिगरेट पीते हुए दिखाया गया है। इसके बैकग्राउंड में एलजीबीटी कम्युनिटी को दर्शाया गया है। इसके बारे में ट्विटर पर उन्होंने एक साहसिक बयान दिया और लिखा कि कैसे उन्हें खुद को व्यक्त करने से कोई नहीं रोक सकता।
लीना, जो टोरंटो स्थित भारतीय स्वतंत्र फिल्म निर्माता हैं, ने तमिल भाषा में लिखा- मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है। मैं एक ऐसी आवाज के साथ रहना चाहती हूं जो बिना किसी डर के बोलती है जब तक कि वह है। कीमत मेरी जान है तो दे दूंगी।
सोमवार को दिल्ली के वकील विनीत जिन्दल ने लीना के खिलाफ दिल्ली पुलिस की साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि लीना ने अपनी फिल्म के पोस्टर से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। पुलिस ने लीना के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।
वकील ने शिकायत में कहा कि निर्देशक ने देवी काली को धूम्रपान करते हुए दिखाकर मेरी धार्मिक भावनाओं को आहत किया है जो कि अत्यधिक आपत्तिजनक है और किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है। यह जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, जिसका उद्देश्य आरोपी द्वारा अपने ट्विटर अकाउंट से अत्यधिक आपत्तिजनक वीडियो और फोटो के माध्यम से हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करना है, जिसे सोशल मीडिया और सभी सार्वजनिक प्लेटफार्मों पर अच्छी तरह से प्रसारित किया जाता है, यह धारा 295A,298, 505 के तहत अपराध है। 67 आईटी अधिनियम और 34 आईपीसी और इसलिए आरोपी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
एक तमिल समाचार पोर्टल के अनुसार, मणिमेकलाई ने कहा कि वृत्तचित्र उन घटनाओं के इर्द-गिर्द घूमता है जब एक शाम देवी काली प्रकट होती हैं और टोरंटो की सड़कों पर टहलती हैं।