उत्तराखंड में बीजेपी भले ही फिर से सरकार बनाने जा रही है लेकिन उसके चुनावी चेहरे और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा सीट से चुनाव हार गए हैं। धामी को कांग्रेस के उम्मीदवार भुवन कापड़ी ने हराया है।
ऐसे में बीजेपी के सामने बड़ी मुश्किल मुख्यमंत्री के चुनाव की होगी। देखना होगा कि पार्टी धामी को ही फिर से मुख्यमंत्री बनाती है या किसी और नेता के नाम का चयन वह इस पद के लिए करेगी।
उधर, कांग्रेस के बड़े चेहरे हरीश रावत नैनीताल जिले की लालकुआं सीट से बड़े अंतर से चुनाव हार गए हैं। उत्तराखंड में एक बार फिर कांग्रेस ने बेहद खराब प्रदर्शन किया है।
बीजेपी ने जिस तरह कुछ महीनों के अंदर लगातार मुख्यमंत्रियों को बदला था उससे ऐसा लग रहा था कि उसके लिए इस चुनाव में जीत हासिल करना बेहद मुश्किल होगा। लेकिन उसने बड़ी जीत हासिल की है।
विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 47 सीटों पर जीत मिली है जबकि कांग्रेस को सिर्फ 19 सीटों पर। बहुजन समाज पार्टी 2 सीटों पर जीती है जबकि 2 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को कामयाबी मिली है।
उत्तराखंड के कई एग्जिट पोल बीजेपी और कांग्रेस में कड़ी टक्कर की बात कह रहे थे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज की है। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 11 सीटें मिली थी जबकि बीजेपी ने 57 सीटों पर जीत हासिल की थी।
कांग्रेस को भारी पड़ी गुटबाज़ी
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक कांग्रेस को राज्य इकाई में गुटबाजी की वजह से नुकसान झेलना पड़ा है। कांग्रेस में एक धड़ा हरीश रावत का है तो दूसरा पार्टी के बाकी नेताओं का। हरीश रावत के समर्थक पिछले 1 साल से उनके नेता को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की मांग कर रहे थे।
लेकिन नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का गुट सामूहिक नेतृत्व में चुनाव में जाने की बात कहता रहा। इसे लेकर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी देवेंद्र यादव भी हरीश रावत के समर्थकों के निशाने पर रहे। चुनाव से ठीक पहले हरीश रावत ने अपनी नाराजगी खुलकर जताई तो हाईकमान ने दखल दिया लेकिन फिर भी हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनाया।
बीजेपी ने मजबूती से लड़ा चुनाव
दूसरी ओर, बीजेपी ने लगातार मुख्यमंत्री बदलने के बाद भी गुटबाजी को उभरने नहीं दिया और केंद्रीय नेतृत्व लगातार उत्तराखंड के दौरे करता रहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित तमाम बड़े नेता छोटे से राज्य उत्तराखंड की खाक छानते रहे। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व का इस बात पर जोर था कि किसी भी सूरत में उत्तराखंड की सत्ता में वापसी करनी है। बीजेपी ने चुनाव को बेहद गंभीरता से लड़ा।
केंद्रीय नेताओं की तैनाती
बीजेपी और कांग्रेस ने अपने विधायकों को ‘सुरक्षित’ करने के लिए वरिष्ठ नेताओं को तैनात किया हुआ है। बीजेपी ने अपने राष्ट्रीय महासचिव और चुनाव रणनीतिकार कैलाश विजयवर्गीय को देहरादून में तैनात किया है। कैलाश विजयवर्गीय के अलावा केंद्रीय मंत्री और पार्टी के प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी, प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम भी लगातार सियासी हालात पर नजर रख रहे हैं।
दूसरी ओर, कांग्रेस ने राज्य के 13 जिलों में 13 पर्यवेक्षक नामित किए हैं। इसमें हरियाणा के सांसद दीपेंद्र हुड्डा व वरिष्ठ नेता मोहन प्रकाश भी शामिल हैं।
चुनाव नतीजे पूरी तरह साफ होने के बाद पता चलेगा कि आम आदमी पार्टी और और बीएसपी ने किसे नुकसान पहुंचाया है। क्योंकि इन दोनों दलों ने भी कई सीटों पर मजबूत उम्मीदवारों को खड़ा किया था।