कोरोना संकट को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने इस साल कांवड़ यात्रा को रद्द कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार का यह निर्णय महामारी की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए लिया गया है। महामारी रोग विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि ऐसे समय में कांवड़ यात्रा जैसे आयोजन से तीसरी लहर का ख़तरा ज़्यादा होगा। दूसरी लहर से पहले हरिद्वार में कुंभ मेले के आयोजन को लेकर सवाल उठे थे और कांवड़ यात्रा को लेकर सबक़ लेने के लिए आगाह किया जा रहा था।
कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान पिछले साल भी कांवड़ यात्रा को रद्द कर दिया गया था। हरेक साल कई राज्यों से लाखों कांवड़िये हरिद्वार में गंगा नदी से कांवड़ में जल भरने जाते हैं और फिर अपने-अपने क्षेत्र के शिव मंदिरों में उस जल को अर्पण करते हैं।
सावन महीने में होने वाले इस आयोजन को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को ही दिल्ली में पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा था कि "भगवान भी नहीं चाहेंगे कि लोग मरें। ज़िदगियाँ बचाना ही इस वक़्त प्राथमिकता है।'
आज ही प्रधानमंत्री मोदी ने भी कोरोना संक्रमण को लेकर कहा है कि बाज़ारों और पर्यटन स्थलों पर बिना मास्क लगाई हुई भीड़ की तसवीरें चिंता का कारण हैं। उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं किए जाने पर भी चिंता जताई। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए कोरोना प्रोटोकॉल का पालन ज़रूरी है।
मोदी ने कहा, 'कई बार लोग सवाल पूछते हैं कि तीसरी लहर के बारे में क्या तैयारी है? तीसरी लहर पर आप क्या करेंगे? हमारे मन में सवाल यह होना चाहिए कि तीसरी लहर को आने से कैसे रोका जाए।'
इस मामले में डॉक्टरों के शीर्ष संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए ने एक दिन पहले ही ख़त लिखकर कहा है कि 'पर्यटन, तीर्थाटन और धार्मिक उत्साह, सबकुछ ठीक है, पर इन्हें कुछ समय के लिए टाला जा सकता है। धार्मिक अनुष्ठानों और उनमें बड़ी तादाद में लोगों के बेरोकटोक जाने की अनुमति देने से ये कार्यक्रम सुपर स्प्रेडर यानी कोरोना फैलाने के बड़े कारण बन सकते हैं।'
कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी काफ़ी ज़्यादा दबाव है। उन्होंने भी आज कहा है कि कम से कम लोगों को ही इस आयोजन में शामिल होना चाहिए। उन्होंने कोरोना प्रोटोकॉल की पालना के लिए भी सख़्त निर्देश दिया है।
पहले ख़बर आई थी कि कांवड़ यात्रा के लिए उत्तर प्रदेश में तैयारियाँ चल रही हैं। ऐसा तब था जब महामारी रोग विशेषज्ञ तीसरी लहर की आशंका जता रहे हैं। भारतीय स्टेट बैंक ने भी एक रिपोर्ट में इसके संकेत दिए हैं। 8 राज्यों में कोरोना पॉजिटिविटी रेट बढ़ने लगी है। उस नये डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले आ रहे हैं जिसका पहले के रूप डेल्टा वैरिएंट को देश में कोरोना की दूसरी लहर में तबाही लाने के लिए ज़िम्मेदार माना गया है।
हाल ही में उत्तराखंड हाईकोर्ट की काफ़ी अहम टिप्पणी आई है। हालाँकि यह टिप्पणी कांवड़ यात्रा को लेकर नहीं, बल्कि चारधाम यात्रा को लेकर है जिसके लिए उत्तराखंड सरकार अड़ी है, लेकिन अदालत ने साफ़ कर दिया है कि कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र ऐसी भीड़ नहीं होने दी जाएगी। जब उत्तराखंड सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने दलील दी थी कि चारधाम के पूजा-पाठ के लाइव प्रसारण की शास्त्र अनुमति नहीं देते तो हाई कोर्ट ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, यहाँ क़ानून का शासन है, शास्त्रों का नहीं। कुछ दिन पहले हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी और इसी के साथ कोर्ट ने पूजा-अनुष्ठानों के लाइव प्रसारण के लिए कहा था।
धार्मिक अनुष्ठानों को लेकर हाई कोर्ट का ऐसा सख़्त रवैया इसलिए है कि भारत ने अभी कुछ महीने पहले ही एक अभूतपूर्व संकट को देखा है। देश में अस्तपाल बेड, दवाइयाँ और ऑक्सीजन जैसी सुविधाएँ भी कम पड़ गई थीं। ऑक्सीजन समय पर नहीं मिलने से बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुईं। अस्पतालों में तो लाइनें लगी ही थीं, श्मशानों में भी ऐसे ही हालात थे। इस बीच गंगा नदी में तैरते सैकड़ों शव मिलने की ख़बरें आईं और रेत में दफनाए गए शवों की तसवीरें भी आई थीं।
देश में ऐसे हालात की शुरुआत में ही उत्तराखंड में कुंभ का आयोजन किया गया था। कुंभ मेले में शाही स्नान के एक-एक दिन में 30-30 लाख लोगों के पहुँचने के दावे किए गए। कुंभ के दौरान ही कोरोना के मामले हरिद्वार में काफ़ी बढ़ गए। कोरोना से कई साधुओं के संक्रमित होने और एक साधु की मौत की ख़बर भी आई। तय समय से पहले कुंभ को रोका गया, लेकिन जब देश भर से आए लोग अपने-अपने घरों को पहुँचे तो संक्रमित लोगों से बड़े पैमाने पर संक्रमण फैला। दूसरी लहर के फैलने में ऐसे लोगों का भी बड़ा हाथ रहा।