उत्तराखंड सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को आखिरकार शुक्रवार को कांग्रेस में एंट्री मिल ही गई। हरक सिंह रावत के फिर से कांग्रेस में जाने की चर्चाओं के बीच बीजेपी ने उन्हें कुछ दिन पहले उत्तराखंड सरकार और पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। उसके बाद से ही उनके कांग्रेस में शामिल होने की बात कही जा रही थी।
हरक सिंह रावत और विजय बहुगुणा ने उत्तराखंड में 2016 में हरीश रावत की तत्कालीन सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया था और इसी वजह से हरीश रावत हरक सिंह रावत की कांग्रेस में एंट्री को लेकर बहुत ज्यादा तैयार नहीं थे।
हरीश रावत से मांगी माफ़ी
हरीश रावत ने इस बारे में कहा था कि कांग्रेस हाईकमान को इस संबंध में कोई भी फैसला जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लेना चाहिए। हरक सिंह रावत ने बीजेपी से बाहर होने के बाद कई बार कहा है कि वह हरीश रावत से हजारों बार माफी मांगने के लिए तैयार हैं और रावत के नेतृत्व में काम करने में उन्हें कोई हर्ज नहीं है।
देखना होगा कि कांग्रेस हरक सिंह रावत को किस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाती है। हरक सिंह अपनी बहू अनुकृति गुसाईं के लिए भी टिकट मांग रहे हैं।
बड़े नेता हैं हरक सिंह
हरक सिंह रावत उत्तराखंड की सियासत के बड़े नामों में से एक हैं। रावत अविभाजित उत्तर प्रदेश यानी उत्तराखंड बनने से पहले भी मंत्री रह चुके हैं। हरक सिंह रावत ने बीएसपी, बीजेपी और कांग्रेस में रहकर चुनाव लड़े हैं और जीते हैं। गढ़वाल क्षेत्र से आने वाले हरक सिंह रावत कई अलग-अलग सीटों से भी चुनाव जीत चुके हैं।
हरक सिंह रावत उत्तराखंड के अकेले ऐसे नेता हैं जो कई विधानसभा सीटों से चुनाव जीत चुके हैं। हरक सिंह रावत ने पौड़ी से लेकर लैंसडाउन और रुद्रप्रयाग से लेकर कोटद्वार तक से चुनाव लड़े और जीते हैं। रावत गढ़वाल विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से निकले नेता हैं।
हरक सिंह कांग्रेस में नेता विपक्ष से लेकर कैबिनेट मंत्री रहे हैं और एक वक्त में मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी थे।
चूंकि हरक सिंह रावत कई बार विधायक और कई बार कैबिनेट मंत्री रहे हैं इसलिए उत्तराखंड के भीतर वह जाने-पहचाने चेहरे हैं। बीजेपी को उनके जाने से गढ़वाल क्षेत्र की कुछ सीटों पर जरूर नुकसान होगा।