उत्तराखंड में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से सत्ता में वापसी की है। लेकिन उसके चुनावी कमांडर पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या पार्टी पुष्कर सिंह धामी को ही मुख्यमंत्री बनाएगी या फिर किसी नए नेता के नाम का चयन इस पद के लिए करेगी।
इसे लेकर दिल्ली से देहरादून तक सियासी गलियारों में दौड़ भाग तेज हो गई है और बीजेपी के तमाम बड़े नेता राजधानी देहरादून में डेरा डाले हुए हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी को ही अपने मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर सामने रखा था। तमाम चुनावी विज्ञापनों में मोदी धामी सरकार का नारा बीजेपी की ओर से दिया गया था। लेकिन पुष्कर सिंह धामी अपनी पुरानी सीट खटीमा से कांग्रेस के उम्मीदवार भुवन कापड़ी के हाथों हार गए।
धामी को बीजेपी हाईकमान ने सिर्फ 46 साल की उम्र में ही मुख्यमंत्री पद पर बैठा दिया था। धामी ने अपने 6 महीने के कार्यकाल में ताबड़तोड़ जनसभाएं की और राज्य के चुनावी दौरे भी किए। अगर वह चुनाव जीत जाते तो निश्चित रूप से मुख्यमंत्री होते। लेकिन अब यह कहा जा रहा है कि बीजेपी जीते हुए विधायकों में से ही अपने विधायक दल के नेता का चुनाव करेगी।
जीते हुए विधायकों में से श्रीनगर के विधायक और पिछली सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे धन सिंह रावत, सतपाल महाराज का नाम आगे चल रहा है। एक और वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत का नाम भी चर्चा में है।
इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट का नाम भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में लिया जा रहा है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कुछ दिन पहले निशंक को दिल्ली बुलाकर उनसे मुलाक़ात भी की थी।
लेकिन कहा जा रहा है कि पार्टी जीते हुए विधायकों में से ही किसी पर दांव लगा सकती है। ऐसे में निशंक और अजय भट्ट की संभावनाएं कम हो जाती हैं क्योंकि उन्हें मुख्यमंत्री बनाने से राज्य में उनकी लोकसभा सीट खाली करनी पड़ेगी। निशंक हरिद्वार और अजय भट्ट नैनीताल उधम सिंह नगर सीट से सांसद हैं।
त्रिवेंद्र के समर्थक भी सक्रिय
धामी के चुनाव हारते ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के समर्थक भी सक्रिय हो गए हैं और उनकी डोईवाला सीट से जीते विधायक बृज भूषण गैरोला ने कहा है कि यदि पार्टी हाईकमान त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाता है तो वह अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं। इसी तरह चंपावत से विधायक कैलाश गहतोड़ी ने कहा है कि हाईकमान अगर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाता है तो वह अपनी सीट तुरंत छोड़ देंगे।
देखना होगा कि बीजेपी हाईकमान इस बारे में क्या फैसला लेता है।
बीजेपी ने पिछली बार चुनाव से 1 साल पहले ही कई बार मुख्यमंत्रियों को बदल दिया था। पार्टी यह नहीं चाहेगी कि वह ऐसी स्थिति का सामना फिर से करे। इसलिए वह देख परख कर किसी मजबूत चेहरे पर दांव लगाएगी जो 5 साल तक बिना दिक्कत के सरकार चला सके।