धारचूला में नाई समुदाय की दो नाबालिग लड़कियों को बहला-फुसलाकर ले जाने के बाद स्थानीय व्यापारी संगठन ने धारचूला में मुस्लिम दुकानदारों को दुकानें बंद करने और शहर छोड़ने के लिए कहा है। इसके बाद कस्बे में तीन दिनों से मुस्लिम समुदाय के दुकानदारों की दुकानें बंद हैं और तनाव है। हालांकि फरवरी में हुई इस घटना में लड़कियों को बचा लिया गया और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन व्यापार संघ ने मामले को अब तूल दिया है।
धारचूला व्यापार संघ ने 91 व्यापारियों, जिनमें अधिकतर मुस्लिम हैं, की सदस्यता रद्द कर दी है। व्यापार संघ ने उन्हें अपनी दुकानें खोलने से रोक दिया है। तीन दिनों से उनकी दुकानें बंद हैं। व्यापार संघ ने मकान मालिकों से ऐसे "बाहरी लोगों" को धाकचूला से बाहर करने को भी कहा है। जिला पिथौरागढ़ प्रशासन का दावा है कि किसी भी मकान मालिक या दुकान मालिक ने व्यापारी संगठन के आह्वान का समर्थन नहीं किया है। पिथौरागढ़ से धारचूला 90 किलोमीटर दूर है।
धारचूला एसएचओ परवेज़ अली ने कहा फरवरी में नाबालिग लड़कियों को फुसलाने के आरोप में गिरफ्तार किए गए बरेली के दो व्यापारियों पर आईपीसी की धारा 363 (अपहरण), 376 (यौन उत्पीड़न), 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए आपराधिक बल का उपयोग) और POCSO अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई थी।
पिथौरागढ़ की जिला मजिस्ट्रेट रीना जोशी ने कहा, "हमने उन तत्वों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है जिन्होंने दुकान मालिकों को अपनी दुकानें बंद करने के लिए मजबूर किया।" उन्होंने कहा- “किसी भी गैरकानूनी गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाएगी। शहर में व्यापार करने वाले बाहर के व्यापारियों को पूरी सुरक्षा दी जाएगी।” धारचूला के एसडीएम मंजीत सिंह ने कहा कि जिन व्यापारियों की सदस्यता रद्द की गई है, उन्हें जिला प्रशासन द्वारा पूरी सुरक्षा प्रदान की जा रही है।
अधिकारियों ने बताया कि धारचूला में बाहर के व्यापारियों ने पिछले तीन दिनों से अपनी दुकानें बंद रखी हुई हैं, लेकिन उनमें से किसी ने भी जगह नहीं छोड़ी है। शहर के 600 से अधिक व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यापार संघ ने केवल राज्य के अंदर के व्यापारियों को सदस्यता देने का निर्णय लिया है। व्यापारी संघ के सचिव महेश गर्बियाल ने कहा, "बाहर से आने वाले व्यापारी आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं जिन्हें इस संवेदनशील सीमावर्ती शहर में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।" हालांकि घटना के तुरंत बाद लड़कियों को बचा लिया गया और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन शहर में व्यापार करने वाले बाहर के व्यापारियों के खिलाफ तनाव पैदा हो गया है।
पुरोला में भी यही हुआ था
उत्तरकाशी जिले के पुरोला में इसी तरह की स्थिति के कारण पिछले साल जून में कस्बे में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी गई थी, क्योंकि एक मुस्लिम सहित दो लोगों पर एक नाबालिग लड़की के अपहरण के प्रयास का आरोप लगा था। इससे वहां तनाव बन गया था। कुछ असामाजिक तत्वों ने पुरोला में ऐसे पोस्टर चिपका दिए जिसमें चेतावनी दी गई थी कि मुस्लिम व्यापारी 15 जून तक दुकानें खाली कर दें। टीओआई की रिपोर्ट में उस समय कहा गया था कि मई 2023 से 30 से अधिक दुकानें बंद रहीं। हालाँकि पुलिस ने कुछ पोस्टरों को हटा दिया था। मुस्लिम दुकानदारों ने आरोप लगाया था कि उत्तरकाशी में उन्हें डराया जा रहा है। रिपोर्ट में मुस्लिम परिवारों के हवाले से कहा गया था कि यहाँ तक कि दशकों से बसे परिवारों को भी निशाना बनाया गया। उन्हें 'बाहरी' कहकर निशाना बनाया गया था।
दरअसल, 26 मई 2023 में उत्तरकाशी में उस समय तनाव बढ़ गया था जब दो लोगों ने कथित तौर पर नाबालिग को अगवा करने का प्रयास किया। मीडिया रिपोर्टों में पुलिस के हवाले से कहा गया था कि अपहरण की कोशिश विफल होने के बाद आरोपी फरार हो गए थे और अगले दिन दोनों आरोपी- एक स्थानीय दुकानदार उबेद खान और मोटरसाइकिल मैकेनिक जितेंदर सैनी को कथित अपहरण के प्रयास के लिए 27 मई को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन इसके बाद भी यह मामला थमा नहीं। एक मुस्लिम व्यक्ति ने टीओआई को बताया कि उनका परिवार 50 साल से किराए पर दुकान चला रहा था। इतने सालों से यहां होने के कारण लोग हमें जानते हैं। हमारा कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और सौहार्दपूर्ण ढंग से रह रहे हैं। अब, मकान मालिक पर दक्षिणपंथी संगठन दुकान खाली कराने के लिए दबाव बना रहे हैं।' वह कहते हैं कि 27 मई से दुकान बंद होने के कारण लगभग 1 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है।