+
उत्तराखंड: पांच अन्य जगहों पर भी बन सकते हैं जोशीमठ जैसे हालात 

उत्तराखंड: पांच अन्य जगहों पर भी बन सकते हैं जोशीमठ जैसे हालात 

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के निर्माण कार्य की वजह से कई जगहों पर घरों में दरारें आने की शिकायत लोगों ने की है। राज्य सरकार पर आरोप है कि जोशीमठ के मामले में वह सोयी रही और हालात खराब होने के बाद एक्शन में आई। इसलिए खतरे वाली दूसरी जगहों के मामले में राज्य सरकार को तुरंत जरूरी कार्रवाई करनी चाहिए। 

जोशीमठ में जमीन के लगातार धंसने के बाद बने बेहद खराब हालातों के बीच यह जानकारी सामने आई है कि उत्तराखंड के 5 जिलों में कुछ जगहों पर भी ऐसे ही हालात बन सकते हैं। ऐसी जगहें पौड़ी, बागेश्वर, उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल और रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हैं। 

इंडिया टुडे ने इस संबंध में विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की है। 

बता दें कि जोशीमठ में अब तक 700 से ज्यादा घरों में दरारें आ चुकी हैं और प्रशासन वहां दो होटलों और खतरे की जद में आए कुछ मकानों को गिराने की कार्रवाई करने वाला है। लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया है और उचित मुआवजा देने की मांग की है। बड़ी संख्या में लोगों को विस्थापित किया गया है। 

आइए, बताते हैं कि ऐसी कौन सी 5 जगहें हैं, जहां पर जोशीमठ जैसे हालात बनने का खतरा है। 

 - Satya Hindi

रुद्रप्रयाग

रुद्रप्रयाग जिले के मरोड़ा गांव में भी कई घरों में दरारें आ गई हैं। इस गांव के नीचे ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का काम चल रहा है। यहां कुछ परिवारों को रेलवे की ओर से मुआवजा मिला है और वे इस जगह को छोड़ कर जा चुके हैं लेकिन अभी बड़ी संख्या में ऐसे परिवार भी हैं जिन्हें मुआवजा नहीं मिला है और वे लोग गांव में ही रुके हुए हैं। यहां के लोगों का कहना है कि रेल लाइन के निर्माण की वजह से ही उनके घरों में दरारें आ रही हैं। 

घर के कभी भी गिरने की सूरत में कई लोगों ने मकान खाली कर दिया है और वे किराए में रहने के लिए कहीं दूर चले गए हैं। स्थानीय लोगों का साफ कहना है कि इसके लिए पूरी तरह रेल लाइन का निर्माण कार्य जिम्मेदार है। लेकिन लोगों के सामने मुश्किल यह है कि वे अपना घर छोड़कर कहां जाएं। इसके साथ ही मवेशियों की भी चिंता है क्योंकि गांव में लोगों ने मवेशी पाले हुए थे। 

टिहरी गढ़वाल

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन टिहरी जिले की नरेंद्र नगर विधानसभा के अटाली गांव से होकर निकल रही है। इंडिया टुडे के मुताबिक, स्थानीय लोग परेशान है क्योंकि अटाली के एक छोर पर जमीन के धंसने से कई मकानों में दरारें आ गई हैं जबकि गांव के दूसरे छोर पर सुरंग बनाने के लिए धमाके किए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस वजह से भी उनके घरों में दरारें आ रही हैं। 

 - Satya Hindi

लोगों ने इंडिया टुडे को बताया कि सुरंग बनाने के लिए जब धमाके किए जाते हैं तो उनके घरों में कंपन होता है और उन्हें देर रात को भी घरों से बाहर आना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन इस संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। 

इंडिया टुडे के मुताबिक, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन प्रोजेक्ट की वजह से ना सिर्फ अटाली बल्कि गुलार, व्यासी, कौड़ियाला और मलेथा गांव भी प्रभावित हो रहे हैं। 

पौड़ी

इंडिया टुडे के मुताबिक, पौड़ी के श्रीनगर में आशीष विहार और नर्सरी रोड इलाकों में कुछ घरों में दरारें आ गई हैं और ऐसा ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के निर्माण कार्य की वजह से हो रहा है। निश्चित रूप से लोग इस वजह से दहशत में हैं। 

कर्णप्रयाग 

कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर में 50 से ज्यादा घरों में चौड़ी दरारें आ चुकी हैं और बड़ी संख्या में लोग अपने घरों को छोड़ कर जा चुके हैं। कर्णप्रयाग जोशीमठ से 80 किलोमीटर दूर है। यहां के लोग घरों में दरारें आने के लिए एनटीपीसी के द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य को जिम्मेदार ठहराते हैं। 

हालांकि एनटीपीसी ने इससे इनकार किया है कि उसके द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य से जोशीमठ या दूसरी जगह पर दरारें आई हैं। 

 - Satya Hindi

बागेश्वर

बागेश्वर के कपकोट में स्थित खरबगड़ गांव भी खतरे की जद में है। इस गांव में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की सुरंग के ऊपर स्थित पहाड़ी में गड्ढे हो गए हैं और कई जगहों से पानी निकल रहा है। इस वजह से स्थानीय लोग डरे हुए हैं। 

उत्तरकाशी 

यही हाल उत्तरकाशी के मस्ताड़ी और भटवाड़ी गांव का भी है। मस्ताड़ी गांव के लोगों का कहना है कि गांव धीरे-धीरे डूब रहा है और उनके घरों में दरारें आ चुकी हैं। गांव में 1991 में भूकंप आया था और 1995 और 1996 में ही उनके घरों के भीतर से पानी निकलना शुरू हो गया था और यह अब तक जारी है। भटवाड़ी गांव में भी कई घरों में दरारें आ चुकी हैं और यह हर साल बढ़ती जा रही हैं। इस जिले के 26 गांवों को बेहद संवेदनशील घोषित किया गया है। 

निश्चित रूप से जिस तरह का खतरा जोशीमठ के लोगों के सामने पैदा हुआ है। वैसा ही खतरा उत्तराखंड में कई अन्य जगहों पर भी पैदा हो सकता है। इसलिए सरकार व प्रशासन को ग्रामीणों से मिलकर संभावित खतरे को टालने की कोशिश करनी चाहिए। जोशीमठ में भी लोग नवंबर 2021 से ही लगातार सरकार से शिकायत कर रहे थे। उनका आरोप है कि राज्य सरकार हालात खराब होने के बाद हरकत में आई।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें