देहरादून में एक जिम ट्रेनर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी कि उसकी पत्नी 'लापता' है और उसे उससे मिलवाया जाए। इस मामले में सुनवाई चलने के बाद अब अदालत का फ़ैसला आया है और यह ट्रेनर पति के लिए झटका से कम नहीं है।
दरअसल, जिम ट्रेनर की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर अदालत में महिला पेश हुई। उसने कहा कि वह अपने पति, 10 साल के बेटे और छह साल की बेटी को छोड़ गई है। उसने यह भी कहा कि वह अब फरीदाबाद में अपने उस लिव-इन पार्टनर के साथ रह रही है जिससे उसकी मुलाकात सोशल मीडिया पर हुई थी। इसके बाद कोर्ट ने महिला के पक्ष में फ़ैसला सुनाया।
महिला ने अदालत से कहा है कि वह अपनी पसंद के शख्स के साथ लिव-इन में रह रही है और वह वहीं रहना चाहती है। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार महिला ने अदालत से कहा कि उसके पति ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और वह अब उसके साथ नहीं रहना चाहती।
रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस पंकज पुरोहित और मनोज तिवारी की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता जिम ट्रेनर की दलीलों को सुनने के बाद महिला का पक्ष भी पूरी तरह सुना और इसके बाद महिला को अपनी जिंदगी जीने के तरीके के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दी।
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार याचिकाकर्ता के वकील अरुण कुमार शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने के बावजूद वे इस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती देंगे क्योंकि ऐसा फ़ैसला विवाह संस्था के लिए खतरनाक होगा।
बता दें कि क़रीब पाँच साल पहले 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार को एक आपराधिक अपराध के रूप में खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि 19वीं सदी का कानून जो 'पति को स्वामी के रूप में मानता है', असंवैधानिक है। पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि व्यभिचार कानून मनमाना है और यह एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाता है। एक बिंदु पर अदालत ने यह भी कहा था कि व्यभिचार नागरिक कानून के तहत तलाक का आधार हो सकता है, लेकिन आपराधिक अपराध नहीं।
बहरहाल, देहरादून के याचिकाकर्ता जिम ट्रेनर के वकील ने कहा है कि जोड़े ने फरवरी 2012 में शादी की थी, लेकिन 37 वर्षीय महिला ने फरीदाबाद में एक व्यक्ति के साथ विवाहेतर संबंध बना लिया और 7 अगस्त, 2022 को अपने परिवार को छोड़ दिया। इसके बाद वह फरीदाबाद में रहने लगी, जहां उसके माता-पिता भी रहते हैं, और लौटने से इंकार कर दिया।
45 वर्षीय जिम ट्रेनर द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई थी, जिसमें देहरादून और फरीदाबाद के एसएसपी को अदालत के समक्ष पत्नी को पेश करने और 'अवैध हिरासत' से 'उसे मुक्त करने' के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई थी। महिला अदालत में पेश हुई और उसने कहा कि वह अपनी मर्जी से फरीदाबाद गई थी।