राज्य में लोकसभा चुनाव में हार के बाद उत्तर प्रदेश भाजपा इकाई की पहली बड़ी बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि "अति आत्मविश्वास" ने इस साल के चुनावों में भाजपा की उम्मीदों को नुकसान पहुंचाया है। लखनऊ में भाजपा की उत्तर प्रदेश कार्य समिति की बैठक को संबोधित करते हुए, आदित्यनाथ ने कहा कि भाजपा पिछले चुनावों के अपने वोट शेयर को बनाए रखने में कामयाब रही, लेकिन "वोटों का ट्रांसफर" हुआ, और अब "पराजित" विपक्ष फिर से "उछल-कूद" रहा है। हालांकि एक दिन पहले ही 7 राज्यों में 13 विधानसभा सीटों में से विपक्ष ने 10 सीटें जीती हैं, इसके बावजूद योगी विपक्ष को पराजित बता रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, ''पीएम मोदी के नेतृत्व में हमने 2014, 2017, 2019 और 2022 (राष्ट्रीय और राज्य चुनाव) में बड़ी सफलता हासिल करते हुए यूपी में विपक्ष पर लगातार दबाव बनाए रखा था।'' उन्होंने कहा, ''2014 और उसके बाद के चुनावों में बीजेपी के पक्ष में जितने प्रतिशत वोट थे, बीजेपी 2024 में भी उतने ही वोट हासिल करने में सफल रही है, लेकिन वोटों की शिफ्टिंग और अति आत्मविश्वास ने हमारी उम्मीदों को नुकसान पहुंचाया है।''
लखनऊ में राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के अंबेडकर सभागार में दिनभर चली बैठक के समापन सत्र में मुख्यमंत्री ने कहा, ''विपक्ष, जिसने पहले हार मान ली थी, आज फिर उछल-कूद कर रहा है।'' सात राज्यों में उपचुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के निराशाजनक प्रदर्शन के एक दिन बाद आदित्यनाथ की टिप्पणी आई है। इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने 13 विधानसभा क्षेत्रों में से 10 पर उपचुनाव में जीत हासिल की, जबकि भाजपा दो और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई।
हाल ही के लोकसभा चुनावों में, भाजपा ने 33 सीटें जीतीं, जो 2019 में मिली 62 सीटों से कम है। कांग्रेस ने छह सीटें जीतीं, जबकि उसकी सहयोगी समाजवादी पार्टी ने यूपी से 37 सीटें हासिल कीं। यूपी से 80 लोकसभा सांसद चुने जाते हैं। योगी आदित्यनाथ की यह स्वीकारोक्ति जायज है। क्योंकि यूपी में भाजपा की करारी हार का ठीकरा भाजपा के तमाम कोनों से उन पर फोड़ने की कोशिश हो रही है। पिछले दिनों उनसे इस्तीफा मांगने की अफवाहें भी फैली थीं। योगी आदित्यनाथ बिना गुस्सा दिखाए, अपना पक्ष लगातार रख रहे हैं।
विपक्षी दलों पर सीधा हमला करते हुए, आदित्यनाथ ने लोगों को जाति के आधार पर विभाजित करने के "पाप" के खिलाफ चेतावनी दी, जो उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान सपा ने किया था। उन्होंने कहा, ''दुनिया जानती है कि अगर हमारा समाज बिखरा हुआ है, तो वह आसानी से गिर जाएगा, लेकिन अगर वह एकजुट है, तो बड़ी से बड़ी ताकतें भी उसके सामने धराशायी हो जाएंगी।'' हालांकि योगी आदित्यनाथ विपक्ष पर जातिवादी राजनीति का आरोप लगा रहे हैं, जबकि भाजपा खुद हिन्दू वोट बैंक को अपने कब्जे में रखने के लिए ध्रुवीकरण की कोशिश करती रहती है। लेकिन भाजपा इस सत्य को स्वीकार नहीं करती।
मुख्यमंत्री ने कहा, "हमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का यथासंभव इस्तेमाल करना होगा। सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके विपक्ष और विदेशी एक साजिश में शामिल थे और इसमें सफल भी हुए। लेकिन भाजपा बहरहाल एक राष्ट्रवादी पार्टी है।" आदित्यनाथ ने कहा, "बीजेपी कार्यकर्ताओं को देखना होगा कि सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है। हमें तुरंत अफवाहों का खंडन करना होगा. हमें अनुसूचित जाति के महापुरुषों के बारे में बीजेपी के विचारों के बारे में बात करनी होगी। 2019 में हमने राज्य के सबसे बड़े गठबंधन को हराया था।"
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य में 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए सभी को अभी से सक्रिय होना होगा। लोकसभा और राज्यसभा सांसद, विधायक, एमएलसी, जिला पंचायत अध्यक्ष, मेयर, ब्लॉक प्रमुख और पार्षदों, सभी को आज से ही 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।"
भाजपा सूत्रों का कहना है कि यूपी में 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर ही यूपी भाजपा कार्यसमिति की यह बैठक बुलाई गई थी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हालात का आकलन करने खुद आए थे। अयोध्या (फैजाबाद लोकसभा सीट) हारने के बाद यूपी भाजपा में लगातार मंथन चल रहा है। लेकिन अभी तक किसी ने यह नहीं कहा कि यूपी में भाजपा की हार के लिए कौन जिम्मेदार है।