गोरखपुर में नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध करने वालों के साथ क्या उत्तर प्रदेश सरकार नरम रुख अपनाएगी? जिन प्रदर्शनकारियो को गिरफ़्तार किया गया था और मुक़दमे चलाने की तैयारी की जा रही है, क्या राज्य सरकार उन्हें माफ़ कर देगी? इसके कयास लगाए जा रहे हैं।
कैफुलवरा से मुलाक़ात
इसकी वजह यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब नागरिकता क़ानून के पक्ष में जन-जागरण अभियान के तहत गोरखपुर के चौधरी कैफुलवरा से मिलने गए, इस मुसलिम स्थानीय धर्मगुरु ने इन युवाओं को क्षमा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इन युवकों को माफ़ कर दिया जाए वर्ना उनका भविष्य खराब हो जाएगा।बता दें कि गोरखपुर में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसे पुलिस ने बेरहमी से कुचला था। पर पुलिस पर मानवाधिकारों का उल्लंघन और ज़्यादतियाँ करने के आरोप लगे। यह महत्वपूर्ण इसलिए है कि आदित्यनाथ गोरखपुर के ही रहने वाले हैं। वे यहाँ के मठ के महंत अभी भी हैं। वे यहाँ से कई बार सांसद चुने गए हैं।
जन-जागरण अभियान
बीजेपी ने घर-घर जाकर जन-जागरुकता अभियान चलाने का फ़ैसला किया है, जिसमें लोगों को नागरिकता क़ानून पर पार्टी और सरकार का पक्ष समझाया जाएगा। इसके तहत 3 करोड़ लोगों से संपर्क करना है।इसी कार्यक्रम के तहत आदित्यनाथ अपने गृह नगर गोरखपुर गए और चौधरी कैफुलवरा के यहाँ गए। उन्होंने चौधरी को दो बुकलेट भेंट किए और दूसरे स्थानीय लोगों से मुलाक़ात की।
कौन हैं चौधरी कैफुलवरा?
चौधरी कैफुलवरा के परिवार से योगी का पुराना रिश्ता रहा है। कैफुलवरा के दादा सआदत हुसैन थे। आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ के गुरु महंत दिग्विजय सआदत हुसैन के मित्र थे। इस तरह आदित्यनाथ का कैफुलवरा परिवार से तीन पीढ़ियों का रिश्ता है।यह आरोप लग रहा है कि नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में उत्तर प्रदेश में हुए उग्र प्रदर्शनों को रोक पाने में नाकाम रहे पुलिस और प्रशासन ने अपनी खीज सामाजिक कार्यकर्ताओं, जागरुक नागरिकों, वामपंथी रुझान वाले लोगों और छात्रों के साथ ही अपने इलाक़े की समस्याएं उठाने वाले बुजुर्गों पर निकाली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘बदला’ लेने वाले बयान के बाद मानो पुलिस को सब कुछ करने की छूट मिल गयी।
पुलिस के आला अधिकारियों का खुलेआम कहना था कि उन्हें सख्ती करने के निर्देश दिये गए हैं। मुज़फ्फरनगर में एक बुजुर्ग तो लखनऊ में कई उम्रदराज लोगों की पिटाई के वीडियो खूब वायरल हो रहे हैं और पुलिस की ज्यादती की कहानी कह रहे हैं। सरकारी संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने वालों की मकान-दुकान जब्त कर वसूली के नोटिस वॉट्सऐप पर फैला कर सरकार के आला अधिकारी वाहवाही लूटने के भोंडे प्रयासों में जुटे हुए हैं। बनारस, गोरखपुर, लखनऊ, मेरठ सहित कई शहरों में इज्जतदार लोगों की तसवीरें इश्तेहार के तौर पर जारी कर उन्हें गुंडा व बलवाई करार दिया जा रहा है।