यूपी: असिस्टेंट प्रोफ़ेसरों की भर्ती में आरक्षण से खिलवाड़

12:08 pm Dec 03, 2019 | प्रीति सिंह - सत्य हिन्दी

उत्तर प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफ़ेसरों की भर्ती में आरक्षण के प्रावधानों को ताक पर रखकर भर्ती प्रक्रिया चलाई गई है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने सुनवाई के दौरान पाया है कि इसमें आरक्षण के प्रावधानों का खुला उल्लंघन हुआ है। इसे देखते हुए एनसीबीसी ने भर्ती के लिए चल रहे साक्षात्कार तत्काल रोक देने को कहा है। साथ ही आयोग ने लिखित परीक्षा के परिणाम के आधार पर आरक्षण के प्रावधानों के मुताबिक़ उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की सूची बनाकर साक्षात्कार कराने को कहा है।

एनसीबीसी को यह शिकायत मिली थी कि संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर इस परीक्षा में अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) और अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी व एसटी) वर्ग के अभ्यर्थियों को उनके कोटे में ही उत्तीर्ण कराया गया है और सामान्य पदों पर उनका चयन नहीं किया गया है। याचिका में कहा गया कि इसकी वजह से ओबीसी अभ्यर्थियों को अनारक्षित सीटों पर चयनित अभ्यर्थियों से ज़्यादा अंक मिलने के बावजूद साक्षात्कार के लिए आमंत्रित नहीं किया गया।

इस शिकायत के बाद एनसीबीसी ने पिछली 6 सितंबर को सुनवाई की। इसमें शिकायतकर्ता व उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की सचिव ने अपना अपना पक्ष रखा। सचिव द्वारा कोई प्रासंगिक अभिलेख प्रस्तुत न किए जाने के बाद आयोग ने साक्षात्कार रोक देने और अगली सुनवाई की तिथि 11 सितंबर को निर्धारित की थी।

आयोग के अध्यक्ष डॉ. भगवान लाल साहनी और सदस्य कौशलेंद्र सिंह पटेल की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की। आयोग के सूत्रों ने बताया कि उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग (यूपीएचईएससी) की सचिव ने एनसीबीसी को लिखित जानकारी दी कि जून 2018 में एक आंतरिक बैठक में यह फ़ैसला किया गया कि आरक्षित वर्ग के लोगों का चयन आरक्षित श्रेणी में ही किया जाएगा। यूपीएचईएससी ने आयोग की बैठक संख्या 1028 की जानकारी दी। एनसीबीसी ने पाया कि इस फ़ैसले में आरक्षण के तमाम प्रावधानों व न्यायालय के फ़ैसलों का उल्लंघन हुआ है।

एनसीबीसी ने 2018 में मिली संवैधानिक शक्तियों का हवाला देते हुए अनुशंसा की है कि विज्ञापन संख्या 47 की साक्षात्कार प्रक्रिया को अविलंब स्थगित किया जाए। एनसीबीसी ने कहा है कि आरक्षण अधिनियमों व आदेशों के मुताबिक़ साक्षात्कार के लिए फिर से मेरिट सूची बनाई जाए।

आयोग ने कहा है कि मेरिट सूची इस तरह जारी की जाए कि अनारक्षित संवर्ग की अंतिम कट ऑफ़ के बराबर या उससे अधिक अंक पाने वाले समस्त अभ्यर्थियों (ओबीसी, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति संवर्ग को शामिल करते हुए) को साक्षात्कार हेतु आमंत्रित किया जाए।

एनसीबीसी ने कहा है कि विज्ञापन संख्या 47 के जिन विषयों के अंतिम परिणाम जारी किए जा चुके हैं, उनमें भी संशोधन कर ओबीसी/एससी/एसटी संवर्ग के उन अभ्यर्थियों को फिर से साक्षात्कार कर शामिल किया जाए, जिन्होंने अनारक्षित वर्ग की लिखित परीक्षा के अंतिम कट ऑफ़ के बराबर या उससे ज़्यादा अंक अर्जित किए हैं और पहले के साक्षात्कार से वंचित कर दिए गए हैं।

‘सत्य हिन्दी’ ने 30 जून को प्रकाशित ख़बर (योगी का आरक्षण: जनरल से ज़्यादा अंक वाले ओबीसी कट-ऑफ़ में नहीं) में आशंका जताई थी कि आयोग ने आरक्षित वर्गों को उनके कोटे में समेट दिया है और उन्हें अनारक्षित सीटों पर जगह नहीं मिली है। एनसीबीसी की सुनवाई में इस बात की पुष्टि हुई है कि डिग्री कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफ़ेसरों की नियुक्ति में आरक्षित वर्ग को उनके कोटे में समेट दिया गया था, जिसकी वजह से हर विषय में ओबीसी की मेरिट लिस्ट सामान्य से ऊपर चली गई। 

साक्षात्कार के लिए निकाली गई सूची में ‘सत्य हिन्दी’ ने पाया था कि आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का इंटरव्यू के लिए चुनाव सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों से अधिक नंबर पर किया गया। 16 विषयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए परीक्षा ली गई और अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। इनमें से 14 विषयों में आरक्षित श्रेणी का कट ऑफ़ सामान्य श्रेणी के कट ऑफ़ से ऊपर (क्या योगी सरकार ने शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण में किया घालमेल) था, यानी अधिक नंबर पर चुनाव हुआ। सिर्फ़ वाणिज्य और सैन्य विज्ञान विषय ही अपवाद रहे। एनसीबीसी ने सुनवाई के बाद यह पाया है कि भर्तियों में बड़े पैमाने पर आरक्षण नियमों का उल्लंघन हुआ है।