ज्ञानवापी मस्जिद में होगा सर्वे, कमिश्नर नहीं हटेंगे: अदालत

05:23 pm May 12, 2022 | सत्य ब्यूरो

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी की एक अदालत ने गुरुवार को अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर सर्वे होगा और 17 मई से पहले सर्वे टीम को अदालत को इसकी रिपोर्ट देनी होगी।

अदालत ने कहा कि उसके द्वारा नियुक्त किए गए कोर्ट कमिश्नर को नहीं हटाया जाएगा। अदालत ने एक और कमिश्नर को नियुक्त किया है। अदालत ने कहा है कि सर्वे में बाधा डालने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

बता दें कि यह मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है। कोर्ट कमिश्नर को लेकर मुसलिम पक्ष ने सवाल खड़े किए थे और उन्हें हटाने की मांग की थी। 

स्थानीय अदालत ने इस साल अप्रैल में मंदिर में सर्वे करने का आदेश दिया था। यह आदेश 5 हिंदू महिलाओं की याचिका पर दिया गया था। अदालत ने इसकी वीडियोग्राफी करने और उसकी रिपोर्ट सौंपे जाने का आदेश दिया था। 

हुआ था विरोध

पिछले हफ्ते ज्ञानवापी मसजिद में सर्वे को लेकर हंगामा हुआ था। अदालत की ओर से नियुक्त कमिश्नर और वकीलों की टीम जब ज्ञानवापी मसजिद की पश्चिमी दीवार के पीछे स्थित श्रृंगार गौरी स्थल का सर्वे करने पहुंची थी तो वहां मौजूद लोगों ने नारेबाजी की थी। 

मसजिद के प्रबंधकों ने मसजिद के भीतर किसी भी तरह की वीडियोग्राफी होने को लेकर आपत्ति जताई और इसका विरोध किया था।

क्या है मामला?

बीते साल अप्रैल महीने में राखी सिंह और 4 अन्य लोगों ने बनारस की एक अदालत में याचिका दायर कर कहा था कि उन्हें श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की इजाजत दी जानी चाहिए। उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि मसजिद की पश्चिमी दीवार पर श्रृंगार गौरी की एक छवि थी।

उन्होंने याचिका में मांग की थी कि मसजिद के प्रबंधकों को श्रृंगार गौरी की पूजा, दर्शन, आरती करने में किसी भी हस्तक्षेप से रोका जाए। स्थानीय मान्यताओं के मुताबिक श्रृंगार गौरी देवी की पूजा साल में एक बार नवरात्रि के दौरान की जाती है।

उन्होंने अपनी याचिका में किसी एडवोकेट को कमिश्नर के रूप में नियुक्त करने और इस जगह का निरीक्षण कराने की भी मांग की थी। 

इसके बाद निचली अदालत ने सर्वे कराने का आदेश दिया था। 

इस बारे में इलाहाबाद हाई कोर्ट में अंजुमन इंतजामिया मसजिद की ओर से दायर एक याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया था। मसजिद के प्रबंधकों ने निचली अदालत के द्वारा मसजिद का सर्वे किए जाने के लिए कमिश्नर को नियुक्त करने के आदेश को चुनौती दी थी।

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि ज्ञानवापी मसजिद का सर्वे किया जाना 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का खुला उल्लंघन है।

पूजा स्थल अधिनियम, 1991 

बता दें कि पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के अनुसार, किसी भी पूजा स्थल का धार्मिक स्वरूप 15 अगस्त 1947 को जैसा था, वैसा ही रहेगा और उसे बदला नहीं जा सकता है। इससे अयोध्या मामले को बाहर रखा गया था और बाकी सभी मुद्दों पर इस तरह की क़ानूनी प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई थी। पूजा स्थल अधिनियम, 1991 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है।