निषादों को एससी आरक्षणः केंद्रीय मंत्री प्रधान ने जनगणना आयुक्त से की सीधे बात

04:15 pm Dec 29, 2021 | सत्य ब्यूरो

बीजेपी ने यूपी में निषाद समाज के लोगों को आरक्षण के लिए आज एक कदम और बढ़ाया।

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज अपने आवास पर जनगणना आयुक्त को बुलाकर बैठक की।

इस बैठक में बीजेपी सांसद प्रवीण निषाद मौजूद थे।

अब अधिसूचना का इंतजार

समझा जाता है कि जनगणना आयुक्त ने इस बात पर सहमति जताई है कि यूपी में निषाद समाज को अनुसूचित जाति की श्रेणी में लाकर एससी आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए।

यूपी-बिहार में निषादों को दूसरे पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) ग्रुप में रखा गया है जबकि दिल्ली और दूसरे राज्यों में उन्हें अनुसूचित जाति श्रेणी में रखा गया है। निषाद समाज की मांग है कि उन्हें भी अनुसूचित जाति में शामिल किया जाए।

17 दिसम्बर को गृह मंत्री अमित शाह निषाद समाज की रैली में लखनऊ आए थे। इस रैली में जब निषाद समाज के लिए एससी आरक्षण की घोषणा नहीं की गई तो निषाद समाज के लोगों ने बीजेपी के खिलाफ नारेबाजी कर दी।

निषाद समाज पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद कह चुके हैं कि जब तक हमारे समाज को एससी आरक्षण नहीं मिलता है, तब तक हमारे समाज के लिए बीजेपी को वोट नहीं देगी।

इसके बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनगणना आय़ुक्त को फिर से पत्र लिखकर यह मांग दोहराई।

इस मामले में अभी तक जब कोई नतीजा नहीं निकला तो केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सीधे जनगणना आयुक्त को अपने घर बुला लिया।

सूत्रों का कहना है कि अब जनगणना आयुक्त पर यूपी के निषाद समाज को एससी घोषित करने पर दबाव बढ़ गया है।

केंद्रीय जनगणना निदेशालय इस संबंध में अधिसूचना जारी कर सकता है।


राजनीतिक उठापटक

यूपी में निषाद समाज को एससी आरक्षण का मामला पूरी तरह राजनीतिक है। राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक है।

बीजेपी सरकार में होने का फायदा उठाकर निषाद समाज को एससी आरक्षण दिलाकर चुनाव में लाभ लेना चाहती है। 

उधर, निषाद समाज पार्टी गठबंधन के तहत पहले ही 24 सीटें बीजेपी से मांग चुकी है। लेकिन इस पर अभी तक बीजेपी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

सपा भी कर चुकी है कोशिश

अखिलेश यादव के शासनकाल में समाजवादी पार्टी की तत्कालीन सरकार ने दिसंबर 2016 में अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों के आरक्षण अधिनियम-1994 की धारा-13 में संशोधन कर केवट, बिंद, मल्लाह, नोनिया, मांझी, गोंड, निषाद, धीवर, बिंद, कहार, कश्यप, भर और राजभर को ओबीसी की श्रेणी से एससी में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था।

इस प्रस्ताव को अदालत में चुनौती देने से निषाद समाज को आरक्षण का मसला हल नहीं हो पाया। 

सपा ने भी जनगणना आयुक्त से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक से उस समय गुहार लगाई थी लेकिन कुछ हुआ नहीं। 

अब बीजेपी मौके का फायदा उठाना चाहती है। यूपी और केंद्र में उसकी सरकार है।


निषाद पार्टी को भी लगता है कि अगर इस बार ये मसला हल नहीं हुआ तो आगे भी लटका रहेगा। बहरहाल, एससी आरक्षण के बाद कितने लोग बीजेपी को वोट देंगे, इसका पता जल्द ही लग जाएगा।