पश्चिमी यूपी के संभल में शाही जामा मस्जिद में सर्वे को लेकर हुई हिंसा में 4 लोगों की मौत के एक दिन बाद, सोमवार को समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क और पार्टी के एक विधायक के बेटे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। संभल हिंसा की निन्दा करते हुए नेता विपक्ष राहुल गांधी ने इसे सरकार की पक्षपातपूर्ण कार्रवाई कहा है। वायनाड सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग की है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने घटना के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की है।
रविवार को हिंसा तब शुरू हुईं जब अदालत द्वारा नियुक्त एक अधिवक्ता आयुक्त और उनकी टीम के छह सदस्य सुबह करीब सात बजे दूसरे सर्वेक्षण के लिए मस्जिद में दाखिल हुए। अदालत के आदेश पर पहला सर्वेक्षण 19 नवंबर को किया गया था। डिवीजनल कमिश्नर ने दावा किया कि “सर्वे टीम अदालत के अधिवक्ता आयुक्त, जिला मजिस्ट्रेट और सुरक्षा कर्मियों की एक टीम के साथ सर्वेक्षण के लिए मौके पर पहुंची। लोगों का समूह जल्द ही घटनास्थल पर पहुंच गया और नारे लगाने और पथराव करने लगा।'' हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि सर्वे टीम के साथ आए लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगाए और मस्जिद में घुसने की कोशिश की। इसका भीड़ ने विरोध किया। इसके बाद पथराव हुआ। पुलिस ने तुरंत ही फायरिंग शुरू कर दी। इस घटना में 4 मुस्लिम युवक मारे गए हैं। चौथे युवक की मौत सोमवार को हुई। पुलिस ने युवक के परिवार से राजीनामा करने की कोशिश की और न करने पर उन्हें फंसाने की धमकी दी।
एकतरफा कार्रवाई के आरोप का सामना कर रहे अधिकारियों ने कहा कि पथराव कुछ समय के लिए कम हो गया लेकिन जब सर्वे टीम सुबह करीब 11 बजे अपना काम खत्म करने के बाद साइट से निकल रही थी तो बड़े पैमाने पर फिर से पथराव शुरू हो गया। वहां तीन समूह थे, एक बाईं ओर, एक दाईं ओर और दूसरा बीच सड़क पर। उन्होंने पुलिस और सर्वेक्षण टीम के सदस्यों पर पथराव शुरू कर दिया।
नेता विपक्ष राहुल गांधी ने संभल हिंसा की कड़ी निन्दा की है। राहुल ने सोमवार को कहा- संभल, उत्तर प्रदेश में हालिया विवाद पर राज्य सरकार का पक्षपात और जल्दबाज़ी भरा रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हिंसा और फायरिंग में जिन्होंने अपनों को खोया है उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। प्रशासन द्वारा बिना सभी पक्षों को सुने और असंवेदनशीलता से की गई कार्रवाई ने माहौल और बिगाड़ दिया और कई लोगों की मृत्यु का कारण बना - जिसकी सीधी ज़िम्मेदार भाजपा सरकार है।
राहुल गांधी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भाजपा का सत्ता का उपयोग हिंदू-मुसलमान समाजों के बीच दरार और भेदभाव पैदा करने के लिए करना न प्रदेश के हित में है, न देश के। मैं सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में जल्द से जल्द हस्तक्षेप कर न्याय करने का अनुरोध करता हूं। मेरी अपील है कि शांति और आपसी सौहार्द बनाए रखें। हम सबको एक साथ जुड़ कर यह सुनिश्चित करना है कि भारत सांप्रदायिकता और नफ़रत नहीं, एकता और संविधान के रास्ते पर आगे बढ़े।
वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है। प्रियंका ने कहा- संभल, उत्तर प्रदेश में अचानक उठे विवाद को लेकर राज्य सरकार का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इतने संवेदनशील मामले में बिना दूसरा पक्ष सुने, बिना दोनों पक्षों को विश्वास में लिए प्रशासन ने जिस तरह हड़बड़ी के साथ कार्रवाई की, वह दिखाता है कि सरकार ने खुद माहौल खराब किया। प्रशासन ने जरूरी प्रक्रिया और कर्तव्य का पालन भी जरूरी नहीं समझा। सत्ता में बैठकर भेदभाव, अत्याचार और फूट फैलाने का प्रयास करना न जनता के हित में है, न देश के हित में। माननीय सुप्रीम कोर्ट को इस मामले का संज्ञान लेकर न्याय करना चाहिए। प्रदेश की जनता से मेरी अपील है कि हर हाल में शांति बनाएं रखें।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट से 'सर्वेक्षण के नाम पर तनाव फैलाने की साजिश का तुरंत संज्ञान लेने' का आग्रह किया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार और उसके प्रशासन ने "चुनावी कदाचार से ध्यान भटकाने के लिए हिंसा की साजिश रची"।