रामचरित मानस पर बिहार आरजेडी नेता और मंत्री चंद्रशेखर के बयान के बाद अब यूपी में पिछड़ों के नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी कहा है कि उस ग्रंथ में आपत्तिजनक बातें लिखी हैं।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने गोस्वामी तुस्लीदास द्वारा लिखित महाकाव्य रामचरितमानस में दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्ग के लिए "आपत्तिजनक भाषा" कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया। उनका बयान रविवार को सामने आया था।
न्यूज चैनल आजतक पर मौर्य ने कहा, कोई करोड़ लोग इसको नहीं पढ़ते। सब बकवास है। ये तुलसीदास ने अपनी तारीफ और खुशी के लिए लिखा है। धर्म हो, हम उसका स्वागत करते हैं। स्वामी ने कहा -
“
पर धर्म के नाम पर गली क्यों? दलित को, आदिवासियों को, पिछड़ों को जाति के नाम पर। शूद्र कह कर के, क्यों गली दे रहे हैं? क्या गली देना धर्म है?
- स्वामी प्रसाद मौर्य, पूर्व मंत्री यूपी, 22 जनवरी 2023 को आजतक पर
सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा की गई टिप्पणी, बिहार के शिक्षा मंत्री और आरजेडी नेता चंद्रशेखर द्वारा की गई इसी तरह की टिप्पणियों के बाद आई है। मौर्य ने भी स्पष्ट शब्दों में कहा- मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। लेकिन अगर धर्म के नाम पर किसी समुदाय या जाति को अपमानित किया जाता है तो यह आपत्तिजनक है। मौर्य ने जो बातें कहीं है, बिहार के मंत्री चंद्रशेखर ने भी लगभग वही बातें कहीं हैं।
बीजेपी ने मौर्य के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी ने कहा, जब स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी में थे, तब हमने उनसे इस तरह के बयान कभी नहीं सुने। सपा में आने के बाद से उन्होंने हिंदुओं का अपमान करना शुरू कर दिया है जो सपा के एजेंडे में है। वह समाज को बांटने के लिए रामचरितमानस का विरोध कर रहे हैं। सपा को इसके परिणाम भुगतने होंगे।
अभी सपा प्रमुख अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया नहीं आई है। बिहार में चंद्रशेखर का आरजेपी नेता तेजस्वी यादव ने बचाव किया था लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश ने अप्रत्यक्ष रूप से नाराजगी जता दी थी। देखना है कि अखिलेश क्या करते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य बीएसपी में प्रभावशाली नेता थे। बीएसपी के बाद वो बीजेपी में चले गए थे। लेकिन जब बीजेपी में उनकी नहीं चली तो वो सपा में चले आए।