अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ख़रीदी गई ज़मीन में कथित घपले को लेकर चल रही बहस के बीच एक और जानकारी सामने आई है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने दस्तावेज़ों के हवाले से लिखा है कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 18 मार्च, 2021 को ज़मीन के एक नहीं दो टुकड़े ख़रीदे थे। पहली ज़मीन 1.208 हेक्टेयर की है जबकि दूसरी ज़मीन 1.037 हेक्टेयर है।
1.208 हेक्टेयर वाली ज़मीन को लेकर आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने मोर्चा खोला हुआ है और आरोप लगाया है कि इस ज़मीन को 18 मार्च, 2021 को सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी के नाम पर शाम को 7.10 मिनट पर 2 करोड़ रुपये में ख़रीदा गया और फिर 7.15 मिनट पर यानी 5 मिनट बाद इसे 18.50 करोड़ रुपये में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने फिर से ख़रीद लिया। सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने यह ज़मीन हरीश व कुसुम पाठक से ख़रीदी थी।
जबकि दूसरी ज़मीन यानी जो 1.037 हेक्टेयर की है, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसे 8 करोड़ रुपये में ख़रीदा था। इस ज़मीन को ट्रस्ट ने हरीश पाठक और कुसुम पाठक से सीधे ख़रीदा था और नवंबर, 2017 से यह ज़मीन उनके नाम पर थी।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने लिखा है कि ज़मीन के ये दोनों टुकड़े या दोनों ज़मीनें गाटा नंबर 242, 243, 244 और 246 की कुल भूमि है और सितंबर, 2019 में किए गए एग्रीमेंट का हिस्सा हैं। यह एग्रीमेंट हरीश व कुसुम पाठक व 9 अन्य लोगों के बीच हुआ था और तब इसकी क़ीमत 2 करोड़ रुपये थी।
1.208 हेक्टेयर की जो ज़मीन है, उसे गाटा नंबर 243, 244 और 246 के रूप में चिन्हित किया गया है जबकि 1.037 हेक्टेयर वाली ज़मीन को गाटा नंबर 242 के रूप में।
18 मार्च, 2021 को सितंबर, 2019 में किया गया एग्रीमेंट रद्द हो गया। 1.208 हेक्टेयर वाली ज़मीन का जो टुकड़ा था उसे अंसारी और तिवारी को 2 करोड़ रुपये में बेचा गया और ट्रस्ट ने इसे 18.5 करोड़ में ख़रीदा।
यहां बड़ी बात यह है कि हरीश व कुसम पाठक से 1.037 हेक्टेयर जो ज़मीन ख़रीदी गई उसके दोगुने से ज़्यादा पैसे इस ज़मीन (जिसके लिए हंगामा हो रहा है) के लिए चुकाए गए। इन सभी ज़मीनों की ख़रीद में ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय गवाह थे।
आरोपों का किया खंडन
ज़मीन ख़रीद में भ्रष्टाचार के आरोपों का श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने खंडन किया है और कहा है कि आरोप लगाने वाले व्यक्तियों ने ट्रस्ट के किसी भी पदाधिकारी से तथ्यों की जानकारी नहीं ली और इस वजह से समाज में भ्रम की स्थिति पैदा हुई है। ट्रस्ट ने सभी राम भक्तों से अपील की है कि वे ऐसे किसी दुष्प्रचार में यकीन न करें।