बीजेपी के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी को 5 अगस्त को अयोध्या में होने वाले भूमिपूजन कार्यक्रम के लिए फ़ोन के जरिये निमंत्रण भेजा जाएगा, ऐसी ख़बरें मीडिया में चल रही हैं। इससे पहले आडवाणी और बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी को निमंत्रण नहीं भेजे जाने की ख़बर आई थी।
लेकिन चूंकि राम मंदिर आंदोलन को खड़ा करने में आडवाणी और जोशी का अहम योगदान है और इन्हें निमंत्रण न भेजा जाना बड़ा मुद्दा बन सकता था, इसलिए डैमेज कंट्रोल करते हुए अब इन दोनों नेताओं को कार्यक्रम में बुलाने की बात कही गई है। आडवाणी और जोशी, दोनों ही बाबरी मसजिद विध्वंस मामले में अभियुक्त हैं।
दूसरी ओर, मंदिर आंदोलन से ही बीजेपी की राजनीति में चमकीं उमा भारती और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को पहले ही सम्मानित ढंग से निमंत्रण भेज दिया गया था। उमा और कल्याण सिंह कह चुके हैं कि उन्हें 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मसजिद के विध्वंस की घटना का कोई अफ़सोस नहीं है।
उपेक्षा के शिकार आडवाणी
2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आडवाणी, जोशी जैसे दिग्गज नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया था। माना गया था कि पार्टी उनके अनुभवों का इस्तेमाल करेगी लेकिन इस मार्गदर्शक मंडल की शायद ही कोई बैठक हुई हो।
प्रधानमंत्री बनने की सियासी ख़्वाहिश रखने वाले आडवाणी के बारे में कहा जाता है कि वे इससे चूकने के बाद राष्ट्रपति बनना चाहते थे, लेकिन इस पद के लिए जब रामनाथ कोविंद को बीजेपी की ओर से चुना गया, तो आडवाणी के परेशान होने की ख़बरें आई थीं।
बिना बताए टिकट काट दिया
लोकसभा चुनाव 2019 में लोग तब हैरान रह गए थे जब गुजरात की गांधीनगर सीट से आडवाणी का टिकट काट दिया गया था। आडवाणी की जगह तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव लड़ा था। कहा जाता है कि आडवाणी इस बात से नाराज़ हुए थे कि टिकट काटने से पहले उनसे विचार-विमर्श तक नहीं किया गया।
‘आडवाणी की आंखों में थे आंसू’
पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने कहा था कि टिकट कटने के बाद वह आडवाणी से मिलने गये तो उनकी आंखों में आंसू थे और ये बहुत कुछ कह रहे थे। शांता कुमार का भी पिछले चुनाव में टिकट काट दिया गया था।
लोकसभा चुनाव से पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो ख़ूब वायरल हुआ था जिसमें एक जनसभा में मोदी क़तार में खड़े पार्टी के बाक़ी नेताओं से तो मिलते दिखते हैं लेकिन आडवाणी से नहीं। आडवाणी याचक की तरह हाथ जोड़े खड़े रह जाते हैं लेकिन मोदी उन पर ध्यान दिए बिना ही आगे निकल जाते हैं। इस वीडियो को आज भी शेयर किया जाता है।
रथ यात्रा में सारथी थे मोदी
आडवाणी ने ही गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक हजारों किमी लंबी रथ यात्रा के जरिये राम मंदिर के पक्ष में माहौल बनाया था। हालांकि वह यात्रा पूरी नहीं कर सके थे और रास्ते में ही बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उन्हें समस्तीपुर में गिरफ़्तार कर लिया था। इस रथ यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके सारथी रहे थे।
रथ यात्रा के दौरान आडवाणी के साथ नरेंद्र मोदी।
मोदी को इस मुक़ाम तक पहुंचाने का श्रेय आडवाणी को दिया जाता है। गोधरा दंगों के बाद जब गुजरात में नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री पद से हटाने की बात आई, तो कहा जाता है कि आडवाणी ही मोदी के पक्ष में अड़ गए थे और उनकी कुर्सी बचाई थी।
इस सबके बीच, अयोध्या में भूमिपूजन की तैयारियां जोरों पर हैं। मंदिर निर्माण के लिए गठित किए गए राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से 200 लोगों को निमत्रंण भेजे जाने की बात कही गई है। लेकिन मीडिया में आ रही ख़बरें बताती हैं कि वहां बड़ी संख्या में लोग उमड़ सकते हैं।
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, संघ प्रमुख मोहन भागवत सहित कई नामी-गिरामी हस्तियां शिरकत करेंगी।