विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, नवनिर्वाचित वायनाड सांसद प्रियंका गांधी और अन्य सांसद हिंसा के कुछ दिनों बाद बुधवार 4 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के संभल का दौरा करने की तैयारी कर रहे हैं। संभल की हिंसा में चार लोगों की मौत हो चुकी है। राहुल और बाकी सांसदों की यात्रा योगी सरकार द्वारा 10 दिसंबर तक लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद हो रही है। पिछले महीने शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के बाद भड़की हिंसा के बाद एक याचिका में दावा किया गया था कि उस स्थान पर पहले हरिहर मंदिर था।
राहुल को यूपी बॉर्डर पर रोकने की तैयारी
संभल के जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने मंगलवार को बुलंदशहर, अमरोहा, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) सहित पड़ोसी जिलों के अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे राहुल गांधी को अपने जिले की सीमाओं पर रोकें ताकि राहुल और बाकी सांसद संभल न पहुंच सकें। डीएम के पत्र में कहा गया है कि "24 नवंबर को, एक सर्वे आयोजित किया गया था, जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें गोलीबारी, पथराव और आगजनी शामिल थी। परिणामस्वरूप, संभल जिले में स्थिति बेहद संवेदनशील हो गई है। 10 दिसंबर तक, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत सम्भल जिले में किसी भी बाहरी व्यक्ति, सामाजिक संगठन या जन प्रतिनिधियों का प्रवेश सक्षम प्राधिकारी की पूर्वानुमति के बिना प्रतिबंधित है।“
कांग्रेस ने जनता से समर्थन मांगा
कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने राहुल गांधी के संभल दौरे के लिए जनता से समर्थन मांगा है। एक्स पर एक पोस्ट में, पांडे ने लिखा, "राहुल गांधी के नेतृत्व में एक कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल संभल हिंसा के पीड़ितों के परिवारों से मिलने के लिए बुधवार को दिल्ली से सड़क मार्ग से संभल के लिए रवाना होगा। इस संघर्ष में उनका समर्थन करने के लिए आप लोग भारी संख्या में अपने समर्थकों के साथ ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पहुँचें और इस संघर्ष में अपना अमूल्य योगदान दें। लोकतंत्र और न्याय की लड़ाई में आपके समर्थन की आवश्यकता है।
पुलिस की कथित कहानियों का सिलसिला जारीः संभल हिंसा के लिए वहां के मुस्लिमों को जिम्मेदार बता रही पुलिस रोजाना नई कहानी मीडिया को मसाले के रूप में पेश कर रही है। अखबार और टीवी चैनल बिना स्थानीय लोगों से पुष्टि किये हुए उन कहानियों को प्रमुखता से फैला रहे हैं और संभल की जनता को दोषी ठहरा रहे हैं। पुलिस ने अब जो नई कहानी बताई है, उसके मुताबिक मंगलवार को संभल हिंसा स्थल की जांच करने वाली एक फोरेंसिक टीम को छह खाली कारतूस मिले जिन पर "मेड इन पाकिस्तान" लिखा हुआ था। अधिकारियों के अनुसार, इसके अतिरिक्त, टीम ने 'मेड इन यूएसए' लेबल वाला एक और खाली कारतूस बरामद किया।
पुलिस अधीक्षक केके विश्नोई ने पत्रकारों को बताया कि 24 नवंबर की हिंसा की जांच कर रही एसआईटी के अनुरोध पर नगर निगम की टीम के साथ फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल की जांच की। विश्नोई ने कहा, "इस जांच में एक चौंकाने वाली बात सामने आई, क्योंकि पाकिस्तान में बने छह खाली कारतूस बरामद किए गए।" उन्होंने कहा, "घटनास्थल से बरामद एक अन्य कारतूस पर भी 'मेड इन यूएसए' लिखा हुआ है।" उन्होंने मामले को बेहद गंभीर बताते हुए आश्वासन दिया कि इसकी गहन जांच कराई जाएगी। हालांकि पुलिस की यह कहानी कितनी सच्ची है, इसका पता देर-सवेर चल जाएगा लेकिन पुलिस की कहानी से लगता है कि पाकिस्तान और यूएसए के कारतूस भेजने वालों को संभल में शाही मस्जिद का सर्वे होने और हिंसा करने की सूचना पहले से रही होगी, तभी उन्होंने वहां अपने एजेंटों से कारतूस भिजवाए होंगे। अदालतों में कई बार पुलिस की ऐसी फर्जी कहानी पकड़ी जा चुकी है, जब पुलिस मुलजिम के पास देसी कट्टा से लेकर अफीम, चरस, गांजा तक की बरामदगी दिखा देती है। मीडिया इस बरामदगी की पुष्टि करने स्थानीय लोगों के पास नहीं पहुंचा।
संभल हिंसा के बाद अखबारों और टीवी चैनलों में यह कहानी फैलाई गई यहां पर मुस्लिमों के दो गुट तुर्क और पठानों की आपसी लड़ाई है, जिसकी वजह से संभल में सर्वे के दौरान हिंसा हुई। हालांकि संभल में तुर्क और पठानों के जिन दो गुटों की कहानी मीडिया में फैलाई गई, उसका उन्हीं दोनों गुटों से जुड़े लोगों ने खंडन किया औऱ कहा कि धार्मिक मामलों में हम लोग एक हैं। पुलिस खुद को बचाने के लिए हमारे ऊपर आरोप डाल रही है। संयोग से जिन तुर्क और पठानों के गुटों की बात की जा रही है, दोनों तरफ के लोग समाजवादी पार्टी में हैं और सपा संभल हिंसा को प्रमुखता से उठा रही है।
संसद में उठा संभल मामला
संसद में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को भाजपा पर संभल में हिंसा के पीछे 'सुनियोजित' साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस कर्मियों ने आधिकारिक और व्यक्तिगत दोनों हथियारों का इस्तेमाल किया, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस की मनमानी के विरोध में स्थानीय लोगों द्वारा पथराव के बाद निर्दोष लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। अखिलेश ने कहा कि संभल हिंसा के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलाया जाए।
19 नवंबर को शाही जामा मस्जिद का पहला सर्वेक्षण एक याचिका के आधार पर अदालत के आदेश के बाद किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि यह स्थान कभी हरिहर मंदिर था, तब से संभल में तनाव बढ़ गया। 24 नवंबर को मस्जिद के दूसरे सर्वेक्षण के दौरान स्थिति हिंसक हो गई, जिससे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं। चार लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए।
स्थानीय कोर्ट का आदेश
संभल की शाही मस्जिद को लेकर अदालत में एक अर्जी दायर की गई कि इस मस्जिद के नीचे पहले हरिहर मंदिर था, उसकी जगह मस्जिद बनाई गई। अदालत ने दूसरे पक्ष को नोटिस देने की बजाय, उसका पक्ष सुनने की बजाय शाही मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया। 19 नवंबर को जैसे ही अदालत ने सर्वे का आदेश दिया, सर्वे टीम चंद मिनटों में भीड़ के साथ मस्जिद पहुंच गई। भीड़ जयश्रीराम के नारे लगा रही थी। उस दिन का सर्वे उसने कर लिया। कोई घटना नहीं हुई। लेकिन 24 नवंबर को इसी सर्वे टीम ने फिर से मस्जिद पहुंच गई। उसके साथ गई भीड़ फिर से साम्प्रदायिक नारेबाजी कर रही थी। वही भीड़ मस्जिद के अंदर घुस गई। उसने वहां नमाज पढ़ रहे लोगों को भगाना शुरू कर दिया। नमाजी बाहर निकले, उन्होंने बाकी लोगों को सूचित किया और जबरदस्त भीड़ मस्जिद पर जमा हो गई। सर्वे टीम के साथ आई भीड़ की उत्तेजक नारेबाजी अभी जारी थी। इसके बाद दोनों तरफ से पथराव हुआ और व्यापक हिंसा हुई।संभल के लोगों का आरोप है कि पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई की। उसने चार मुस्लिम युवकों को सामने से गोली मारी। खुद बड़े पुलिस अधिकारी फायरिंग में शामिल थे। पुलिस मुस्लिमों को उनके घर में घुस-घुसकर मार रही थी। एक परिवार ने बेटी की शादी के लिए तैयारी कर रखी थी, आरोप है कि पुलिस ने सारा सामान तोड़फोड़ दिया या उठा ले गए। तमाम लोगों के वीडियो पर बयान हैं कि संभल में पुलिस ने किस तरह के अत्याचार किये। अभी तक सपा और कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने संभल जाने की कोशिश लेकिन उन्हें लखनऊ में ही रोक दिया गया।