सोलापुर के मरकडवाडी में ग्रामीणों ने मॉक पोल के रूप में बैलट पेपर से वोटिंग को रद्द कर दिया, लेकिन उनपर पुलिस कार्रवाई कर रही है। गाँव के क़रीब 200 लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है। ऐसा तब है जब उन्होंने मॉक पोल की तैयारी भर की थी। यानी प्रशासन ने उन्हें पोलिंग करने ही नहीं दी। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन पर मॉक पोलिंग को रद्द करने का दबाव बनाया।
तो सवाल है कि फिर पुलिस ने उनपर कार्रवाई किस अपराध में की है? सोलापुर पुलिस का कहना है कि इसने निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने, चुनाव प्रक्रिया के खिलाफ अविश्वास फैलाने और ऐसा कोई प्रावधान न होने पर बैलेट पेपर पर पुनर्मतदान कराने का प्रयास करने का आरोप लगाया है।
बता दें कि 20 नवंबर को ईवीएम के जरिए गांव में डाले गए वोटों की वास्तविक गिनती को चुनौती देने के लिए गांव में बैलट पेपर से वोटिंग कराई जानी थी। प्रशासन ने पहले ही उन्हें अनुमति देने से इनकार कर दिया था। फिर भी, गांव के एमवीए समर्थकों ने घोषणा की कि वे बैलेट वोटिंग के साथ आगे बढ़ेंगे। तनावपूर्ण स्थिति की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने निषेधाज्ञा जारी की और गांव में भारी पुलिस बल तैनात किया।
दरअसल, राज्य में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ईवीएम मशीन को लेकर लगाए जा रहे आरोपों के बीच सोलापुर जिले के मालशिरस तालुका के मरकडवाडी गांव ने ईवीएम नतीजों पर अविश्वास जताया है। मालशिरस विधानसभा क्षेत्र में इस साल शरद पवार के उत्तम जानकर और बीजेपी उम्मीदवार राम सातपुते के बीच कड़ी टक्कर हुई। इसमें उत्तम जानकर ने जीत हासिल की। लेकिन मरकडवाडी गांव में सातपुते को ज़्यादा वोट मिले। सातपुते को 1003 वोट मिले, जबकि जानकर को गांव से मात्र 843 वोट मिले। ग्रामीणों में इसी को लेकर नाराज़गी है।
एक रिपोर्ट के अनुसार जानकर समर्थकों की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस साल हुए विधानसभा चुनाव में सातपुते को जानकर से ज़्यादा वोट मिले, जो पहले कभी नहीं हुआ। इससे पहले 2009, 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में जानकर ने गांव में ज़्यादा वोट हासिल किए थे और उनको गांव के 80 फीसदी से ज़्यादा वोट मिले थे।
लोकसभा के दौरान भी गांव के 80 फीसदी वोट बीजेपी के खिलाफ थे। इसी को चुनौती देने के लिए ग्रामीणों ने बैलट पेपर से वोटिंग की तैयारी की। लेकिन पुलिस प्रशासन ने वोटिंग नहीं होने दी।
मालशिरस सीट से भाजपा के राम सतपुते को हराने वाले एनसीपी (एसपी) विधायक उत्तमराव जानकर मॉक पोलिंग के समर्थन में गांव में डेरा डाले हुए थे। एमवीए समर्थकों ने एक पंडाल लगाया और इस काम के लिए अन्य व्यवस्थाएं कीं, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने ग्रामीणों और जानकर के साथ कई बैठकें कीं ताकि उन्हें आगे न बढ़ने के लिए मना सकें।
विधायक ने आरोप लगाया कि पुलिस ने ग्रामीणों पर मतदान रद्द करने का दबाव बनाया। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'ग्रामीणों ने शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से बैलेट पेपर से मतदान का आयोजन किया था, लेकिन पुलिस ने हमें बताया कि वे एक भी वोट नहीं डालने देंगे। उन्होंने सभी सामग्री जब्त करने और ग्रामीणों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी। इसलिए, उन्होंने मॉक पोलिंग को रद्द कर दिया।'
रिपोर्ट के अनुसार उत्तमराव जानकर ने कहा कि वे दबाव में नहीं आएंगे और अगले हफ्ते ईवीएम में हेराफेरी को लेकर न्याय की मांग करते हुए मार्च निकालेंगे। टीओआई के अनुसार बीजेपी के हारने वाले उम्मीदवार सतपुते ने कहा, 'यह पूरा नाटक जानकर ने (भाजपा एमएलसी) रंजीतसिंह मोहिते पाटिल के समर्थन से रचा था। मेरी पार्टी को उनके कृत्य का संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने मरकडवाडी के ग्रामीणों को धमकाने की कोशिश की, जिन्होंने इस नाटक का समर्थन नहीं किया और वे मतदान के लिए नहीं आए। जानकर और मोहिते पाटिल ईवीएम के खिलाफ झूठी कहानी फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।'
इस बीच, सोलापुर पुलिस ने निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के आरोप में नटेपुटे पुलिस स्टेशन में 200 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया, जिसमें मरकडवाडी के 17 ग्रामीण भी शामिल हैं। यह मामला बीएनएस की धारा 189 के तहत गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होने, 353 (1) के तहत झूठी सूचना और अफवाह फैलाने के लिए दर्ज किया गया है, जिससे सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा को नुक़सान पहुंच सकता है, 223 के तहत लोक सेवक द्वारा जारी आदेशों की अवहेलना करने और 135 के तहत किसी व्यक्ति को गलत तरीके से बंधक बनाने के प्रयास में हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करने के लिए मामला दर्ज किया गया है।