कुम्भ में शहीदों का पंडाल, देशभक्ति के लिए महायज्ञ भी

09:22 am Jan 20, 2019 | मनीष पालीवाल - सत्य हिन्दी

प्रयागराज के कुम्भ मेले में सिर्फ़ धर्म और अध्यात्म की ही गंगा नहीं बह रही है। देशभक्ति का संदेश देने वाला यह कैंप न सिर्फ देशवासियों को आकर्षित कर रहा है, बल्कि विदेशी भी इस पंडाल के आकर्षण को देखकर पहुँच रहे हैं। संगम की रेती पर बसे कुम्भ मेला में भगवान की भक्ति जगाने वाले तो कई साधु-संतों के पंडाल हैं लेकिन इन्हीं पंडालोें के बीच यह एक ऐसा पंडाल है जहाँ पर श्रद्धालुओं के अंदर देशभक्ति की भावना भी जगायी जा रही है। सेक्टर-14 में बनाये गये इस पंडाल में शहीदों को न सिर्फ़ याद किया जा रहा है, बल्कि उनके लिये रोज हवन और भंडारा भी किया जा रहा है। इस पंडाल की एक ख़ासियत यह भी है कि यहाँ पर धर्म-ध्वजा की जगह तिरंगा लहराया जाता है औऱ कैंप में राष्ट्रगान के साथ दिन की शुरुआत की जाती है।

पंडाल में आर्मी के जवानों के पोस्टर भी लगाए गए हैं।

देश की सरहद पर शहीद होने वालों के साथ ही मुंबई हमले के वीर शहीदों को नमन किया जा रहा है। इसके साथ ही पंडाल में मुख्य स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर शहीदों के परिवार वालों को भी लाया जाएगा। यहाँ आकर शहीदों के परिजन न सिर्फ़ उन्हें याद करेंगे बल्कि उनके नाम पर होने वाले हवन औऱ भंडारे में भी शामिल होंगे। 

पूरे पंडाल में मुंबई के 26/11 और कारगिल युद्ध समेत दूसरी जगहों पर शहीद हुए वीर सैनिकों की तसवीरें लगाई गई हैं। यही नहीं इस पंडाल में भक्ति-गीतों की जगह पर देश-भक्ति गीत भी दिन भर बजते रहते हैं।

देश-भक्ति गीतों की धुन और इस पंडाल के बाहर लगे शहीदों के बैनर-पोस्टर पंडाल को मेले में सबसे ख़ास औऱ अलग बनाते हैं। कुम्भ मेले में सैकड़ों स्थानों पर धर्म और अध्यात्म के कई तरह के रंग देखने को मिलते हैं। लेकिन देश-भक्ति और शहीदों के सम्मान वाला यह पंडाल पूरे मेला क्षेत्र में सबसे अलग है। जहाँ पर भगवान की भक्ति के साथ ही देश-भक्ति की शिक्षा भी मिलती है।

महायज्ञ के लिए तैयारी।

शहीद ग्राम में स्वागत

इस पंडाल क्षेत्र को शहीद ग्राम नाम दिया गया है। बद्रीनाथ में आश्रम बनाकर रहने वाले बालक योगेश्वर दास महाराज के इस पंडाल में घुसते ही मन में देश-भक्ति की भावना जागृत होने लगती है। पंडाल के गेट पर ही भारतीय सेना व उसके जाँबाज़ों की तसवीरों वाले कई बैनर-पोस्टर लगाए गए हैं। बाबा बालक दास के मुताबिक़, वह देश में सभी चारों जगहों पर लगने वाले कुम्भ में इस तरह के आयोजन कर शहीदों के परिवार वालों को यह संदेश देने की कोशिश करते हैं कि शहादत के बाद भी देशवासी अपने जाँबाज़ सिपाहियों को हमेशा याद रखता है। बाबा ने बताया कि उनके पिता औऱ भाई भी सेना में थे। उन्होंने बारह वर्ष की आय़ु में घर छोड़कर बद्रीनाथ में तपस्या शुरू की थी। 

योगेश्वर दास महाराज ने 2003 में जम्मू कश्मीर में शहीदों के लिए विष्णु महायज्ञ शुरू किया था। अब तक वह चार कुम्भ मेला में शहीदों के लिए विष्णु महायज्ञ कर चुके हैं। प्रयागराज में भी 108 फीट ऊँचे हवनकुंड में शहीदों के लिए हवन कर उन्हें नमन किया जाएगा।

भगवान की भक्ति का मार्ग

पंडाल में अति विष्णु महायज्ञ व दूसरे आयोजन औपचारिक तौर पर छब्बीस जनवरी से शुरू होंगे। लेकिन तैयार हो रहे इस पंडाल को देखने के लिए रोज़ाना सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालु यहाँ आते हैं। श्रद्धालुओं को बाबा बालक योगेश्वर दास की यह कोशिश काफ़ी प्रभावित करती है। कैंप के संचालक का कहना है कि वह शहीदों के परिवार वालों को उनके घरों से लाने के साथ ही वापस भेजने का भी इंतजाम करते हैं। साथ ही कैंप में उनके रुकने का इंतज़ाम भी बालक योगेश्वर दास की तरफ़ से ही किया जाता है। बालक योगेश्वर दास वीर शहीदों औऱ उनके परिवार वालों की मदद करना ही भगवान की भक्ति का मार्ग मानते हैं। यही वजह है कि वह देश के लिये अपने प्राणों का दान करने वाले शहीदों के लिये कुम्भ में न सिर्फ़ धार्मिक अनुष्ठान करते हैं बल्कि शहीदों की याद में ही सुबह से लेकर शाम तक भंडारा भी चलाते हैं।