मुज़फ़्फ़रनगर किसान महापंचायत में भारी भीड़ 

01:06 pm Sep 05, 2021 | सत्य ब्यूरो

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे आन्दोलन के तहत उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में बुलाई गई किसान महापंचायत में भारी भीड़ जुट चुकी है, लोगों का आना जारी है। यह पंचायत थोड़ी देर में शुरू हो जाएगी। 

शनिवार शाम तक हज़ारों की तादाद में किसान पहँच चुके थे और हज़ारों की तादाद में उनके हुज़ूम के आने का सिलसिला रात भर चलता रहा। 

उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के अलावा सुदूर दक्षिण कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल से भी किसानों की जत्थे आए हुए हैं।

दिल्ली के पास गाजीपुर बार्डर पर तमिलनाडु और केरल से किसानों के जत्थे शुक्रवार को ही पहुँच गए। 

जीआईसी मैदान

किसान महापंचायत का मुख्य मंच मुज़फ्फ़रनगर के सबसे बड़े जीआईसी मैदान में लगााया गया है। इसके अलावा किसानों की बहुत बड़ी तादाद में मौजूदगी को देखते हुए पास के चार मैदानों में भी उनके बैठने की व्यवस्था की गई है।

इन सभी मैदानों में महापंचायत के मंच का सीधा प्रसारण करने के लिए बड़े-बड़े स्क्रीन लगाए गए हैं। 

धरना स्थल के आसपास 500 लंगर व 100 स्वास्थ्य केंद्र खोले गए हैं। इसके अलावा दूसरी तरह के इंतजाम भी किए गए हैं।

पाँच हज़ार वालंटियर

राकेश टिकैत ने शनिवार को 'एनडीटीवी' से कहा कि बाहर से काफी संख्या में किसान-मजदूर इस पंचायत में पहुंचेंगे। इतनी बड़ी भीड़ की व्यवस्था बनाए रखने के लिए  पाँच हज़ार वालंटियर तैयार किए गए हैं। 

साल 2020 में संसद से पारित तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ इस किसान आन्दोलन का समन्वय भारतीय किसान यूनियन कर रही है। उसने एक बयान जारी कर शनिवार को कहा,

महापंचायत योगी-मोदी सरकार को किसानों, खेत मजदूरों और कृषि आन्दोलन के समर्थकों की शक्ति का एहसास कराएगी। मुज़फ्फ़रनगर महापंचायत पिछले नौ महीनों में अब तक की सबसे बड़ी महापंचायत होगी।


भारतीय किसान यूनियन

भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने मुज़फ्फ़रनगर में पत्रकारों से कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा समेत देश के विभिन्न हिस्सों से सैकड़ों किसान महापंचायत में हिस्सा लेने के लिये पहुँच चुके हैं।

उन्होंने बताया कि बीकेयू महासचिव युद्धवीर सिंह भी किसान महापंचायत में शामिल होने के लिए आए हुए हैं।

राकेश टिकैत के बेटे चरण सिंह टिकैत ने कहा कि उनके पिता तब तक घर नहीं आएंगे, जब तक सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती।