
यूपी में मस्जिदों को तिरपाल से ढंकने पर क्या माहौल शांत रहेगा?
यूपी के तमाम शहरों में मस्जिदों को तिरपाल से ढांक दिया गया है। कुछ शहरों में जुमे की नमाज़ का समय भी बदल दिया गया है। आमतौर पर होली दोपहर 1 बजे तक खत्म हो जाती है लेकिन आशंका है कि इस बार होली का रंग लंबा चलने वाला है, क्योंकि कई संगठनों ने इस संबंध में उत्तेजक बयान जारी किये हैं। कुछ ने तो पुरुषों को तिरपाल का हिजाब पहनने की सलाह दी है। यूपी के सीएम योगी आदित्यानथ तो पहले ही संभल के डीएसपी अनुज चौधरी के उस बयान का समर्थन कर चुके हैं कि लोग घरों में नमाज़ पढ़ें, उन्हें मस्जिद आने की जरूरत क्या है। और अगर बाहर निकलते हैं तो रंग पड़ने के लिए तैयार रहें। होली का एक अर्थ है मिल-जुलकर त्योहार मनाना। सद्भाव कायम करना। हालात कुछ ऐसे हो गये हैं कि जिस होली को सांप्रदायिक सद्भाव का त्योहार माना जाता है उसी से रंग में भंग होने की आशंका होने लगी है।
“
सबसे बड़ा सवाल यह है कि ऐसे तत्व जो इन मौकों पर माहौल खराब करते हैं, क्या वो तमाम एहतियात के बाद मान जाएंगे। यूपी में यह सवाल आम लोगों की जुबान पर है।
उत्तर प्रदेश के संभल में ऐसा ही कुछ फैसला लिया गया। दरअसल इस बार होली 14 मार्च को है। उस दिन रमज़ान के जुमा की नमाज भी है। दो धर्मों के बीच किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के लिए प्रशासन ने एक फैसला लिया है। इस फैसले के मुताबिक इलाके की 10 ऐतिहासिक मस्जिदों को प्लास्टिक शीट और तिरपाल से ढका जा रहा है। इनमें संभल की प्रसिद्ध शाही जामा मस्जिद भी शामिल है। प्रशासन का कहना है कि यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि होली के जश्न के दौरान गलती से भी इन धार्मिक स्थलों पर रंग न पड़े।
इस निर्णय पर कई सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि इसकी वजह होली पर निकाला जाने वाला चौपाई जुलूस है। संभल और आसपास के इलाकों में होली के दौरान ‘चौपाई’ नामक जुलूस निकाला जाता है। इस परंपरा में श्रद्धालु भक्ति गीत गाते हुए नगर भ्रमण करते हैं और रंगों के साथ उत्सव मनाते हैं। परंपरागत रूप से यह जुलूस जिन रास्तों से निकलता है उस रास्ते में की मस्जिद हैं।
होली और जुमे की नमाज एक ही दिन पड़ने की वजह से प्रशासन को तनाव की संभावना है। इसे देखते हुए प्रशासन ने यह कदम उठाया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीश चंद्र ने कहा कि "सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए यह जरूरी था कि मस्जिदों को ढक दिया जाए।"
प्रशासन का मानना है कि यह कदम किसी विशेष समुदाय को लक्षित करने के लिए नहीं बल्कि दोनों धर्मों के अनुयायियों को उनकी परंपराएँ निभाने की स्वतंत्रता देने के लिए उठाया गया है। "हमारी प्राथमिकता यही है कि दोनों समुदाय अपनी धार्मिक मान्यताओं का पालन कर सकें और किसी भी प्रकार का टकराव न हो," एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में सारी मस्जिदों को तिरपाल से धक दिया गया है।
— Syed Mohd Subhan (@SyedMohdSubhan2) March 12, 2025
क्योंकि जुलूस के दौरान होली पर रंग-गुलाल के साथ जूते-चप्पलों की बौछार भी की जाती है।
आप सभी से रमजान के इस मुबारक हो महीने में दुआओं की दरखास्त है।#JamaMasjid #Mosque #Shahjahanpur @juhiesingh pic.twitter.com/Ki6e6Jsm8h
इसके अलावा, यह भी तय किया गया कि जुमे की नमाज और चौपाई जुलूस के समय में बदलाव किया जाएगा ताकि दोनों आयोजन में टकराव के हालत न पैदा हो सकें। सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना न हो।
दोनों ही आयोजनों को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करानया संभल की प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण है। हालांकि प्रशासन बता रहा है कि तैयारियां पूरी हैं। संभल की उप-मंडल मजिस्ट्रेट वंदना मिश्रा के अनुसार, “किसी भी संभावित अशांति को रोकने के लिए यूपी पुलिस ने करीब 1,015 लोगों को हिरासत में लिया है।“
संभल, UP: जामा मस्जिद को सफेद तिरपाल से ढक दिया गया
— The Muslim Spaces (@TheMuslimSpaces) March 12, 2025
संभल में कुल 10 मस्जिदों को ढका जा रहा है, ताकि मस्जिद पर होली का रंग न गिरे। पुलिस ने कहा मस्जिद मुतवल्लियों की बैठक हुई थी जिसमें मस्जिद ढकने का फैसला लिया गया है। शाहजहांपुर में 67 मस्जिदों को ढका है। pic.twitter.com/ge6KHMljrP
उन्होंने बताया, "संभल की अलग-अलग मस्जिदों में लेखपालों की ड्यूटी लगाई गई है। जिले को सेक्टरों में बांटा गया है। हम होली के लिए पूरी तरह तैयार हैं और सुनिश्चित करेंगे कि यह शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो।"
बीते वर्षों में कई जगहों पर इस तरह के कदम देखे गए हैं, जहाँ धार्मिक स्थलों को ढकने, जुलूसों के रास्ते बदलने, या फिर समय सीमित करने जैसे उपाय अपनाए गए हैं। बहरहाल सेकुलर मूल्यों में विश्वास रखने वालों के लिए यह निर्णय हैरान करने वाला है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है कि एक त्योहार के जश्न के लिए धार्मिक स्थलों को प्लास्टिक शीट से ढकने की जरूरत पड़ रही है? क्या यह धार्मिक असहिष्णुता बढ़ने का संकेत है, या फिर यह सिर्फ एक प्रशासनिक फैसला है?
पहली बार ऐसा लग रहा है जैसे त्यौंहार नहीं कोई युद्ध होने वाला है।
— Rishi Choudhary 🇮🇳 (@RishiRahar) March 12, 2025
अरे भाई सब मिल जुलकर खुशी खुशी अपना अपना त्यौहार मनाओ।
दोनों तरफ के कट्टरपंथियों ने जनता और देश को बरबाद करने का ठेका ले रखा है।
कुछ लोगों का मानना है कि यह कदम प्रशासन की सूझबूझ का परिणाम है, जबकि कुछ इसे धार्मिक ध्रुवीकरण की दिशा में बढ़ता एक और कदम मान रहे हैं। सोशल मीडिया पर इसे लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हैं। कुछ लोगों का कहना है कि अन्य जिलों में भी मस्जिदों को ढका जा रहा है। वहीं कुछ लोग कह रहे, ऐसा लग रहा यह किसी त्योहार की नहीं, युद्ध की व्यवस्था है।
राज्यमंत्री रघुराज सिंह का कहना है, "जिस तरह मस्जिद को तिरपाल से ढका जाता है उसी तरह मुस्लिम महिलाएं होली में रंग से बचने के लिए तिरपाल का हिजाब और पुरुष सफेद टोपी वाले तिरपाल का हिजाब पहने।"
— UP Congress (@INCUttarPradesh) March 11, 2025
भाजपा नेताओं ने नीचता की सारी हदों को पार कर दिया है। संविधान की शपथ लेकर, उसमें अंकित… pic.twitter.com/WHz6ziridJ
इस मामले में एक अजीबो गरीब बयान उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री रघुराज सिंह का आया है। उन्होंने मुस्लिम महिलाओं और पुरुषों को होली में रंग से बचने के लिए हिजाब पहनने की नसीहत दे डाली है। उनका कहना है कि "जिस तरह मस्जिद को तिरपाल से ढका जाता है उसी तरह मुस्लिम महिलाएं होली में रंग से बचने के लिए तिरपाल का हिजाब और पुरुष सफेद टोपी वाले तिरपाल का हिजाब पहने।"
इस तरह के बेतरतीब बयानों और धार्मिक स्थलों को ढकने के बीच सवाल उठता है कि क्या ढकना समाधान है, या फिर हमें अपने समाज में ज्यादा परिपक्वता लाने की जरूरत है? हमें काम कट्टर होने की जरूरत है ताकि कोई भी त्योहार या धार्मिक अनुष्ठान बिना किसी डर और बाधा के संपन्न हो सके!
रिपोर्टः अणु शक्ति सिंह, संपादनः यूसुफ किरमानी