प्रियंका गाँधी के कांग्रेस से चुनाव मैदान में न उतरने और फिर सीमा सुरक्षा बल में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाने पर बर्खास्त होने वाले सिपाही तेज़ बहादुर का सपा प्रत्याशी के तौर नामांकन रद्द होने से बनारस का चुनाव बेरंग और बेरस हो गया है। कम से कम बाहर तो यही माना जा रहा है कि अब बनारस में प्रधानमंत्री मोदी को टक्कर नहीं मिल रही है और उनकी जीत आसानी से होगी। ख़ुद बनारस में और समूचे उत्तर प्रदेश में जीत के अंतर को लेकर बहस चल रही है। लोगों के बीच चर्चा है कि मैनपुरी, बनारस और रायबरेली में कहाँ जीत का फ़ासला सबसे ज़्यादा रहने वाला है। इन तीनों ही सीटों पर मुलायम सिंह यादव, नरेंद्र मोदी और सोनिया गाँधी की जीत लगभग तय मानी जा रही है।
बेरंग हो चले बनारस के चुनाव में हालाँकि प्रियंका गाँधी ने पूरी तरह से हार नहीं मानी है। कम से कम कांग्रेस को मुख्य मुक़ाबले में लाने और प्रधानमंत्री की जीत का अंतर घटाने की उनकी पूरी तैयारी लगती है। बनारस में एक बार फिर अजय राय कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, जबकि सपा ने तेज़ बहादुर यादव का टिकट कटने के बाद शालिनी यादव को ही प्रत्याशी बना दिया है।
अमेठी वाली टीम का अब बनारस में डेरा
स्मृति ईरानी के साथ मुश्किल मुक़ाबले में अमेठी में फँसे राहुल गाँधी की जीत सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस ने वहाँ 100 के क़रीब बाहरी कार्यकर्ताओं की एक फ़ौज उतारी थी। इस टीम में ज़्यादातर पूर्व में वामपंथी छात्र संगठनों से जुड़े नौजवान और सामाजिक कार्यकर्ता रहे लोग शामिल थे। अमेठी में इस टीम ने छोटी-छोटी टुकड़ियों में बँट कर स्थानीय नेताओं को साथ लेकर गाँवों में सघन प्रचार किया। इन उत्साही नौजवानों की टीम ने अमेठी में 10 दिन से ज़्यादा रुक कर 500 से ज़्यादा गाँवों को मथा और राहुल के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया। अमेठी में 6 मई को मतदान होने के बाद अब यही टीम प्रियंका गाँधी के निर्देश पर बनारस के लिए रवाना कर दी गयी है।
इन दिनों कांग्रेस की यही टीम बनारस की गलियों और गाँवों की खाक छान रही है। टीम में शामिल एक नौजवान के मुताबिक़ उनका प्रचार का काम और तरीक़ा स्थानीय लोगों से अलग है। वे गाँवों, मुहल्लों में जा जाकर लोगों को मोदी की असलियत, बनारस में अधूरे रहे वादे, सपनों को छले जाने से लेकर क्योटो की कहानियाँ सुना रहे हैं।
प्रियंका करेंगी 15 मई को रोड शो
कांग्रेस संगठन में औपचारिक रूप से सक्रिय होने के बाद फ़रवरी में लखनऊ के बाद बनारस में प्रियंका सबसे पहले आयी थीं। उसी दौरे में एक सवाल के जवाब में प्रियंका ने संगठन का आदेश होने पर बनारस से लड़ने की बात कह कर इन चर्चाओं को हवा दे दी थी कि वह मोदी के ख़िलाफ़ कांग्रेस प्रत्याशी हो सकती हैं। हालाँकि यह बात तो कोरी अफ़वाह ही साबित हुई पर अब अजय राय के प्रचार में प्रियंका बनारस आ रही हैं। बनारस में प्रियंका का लंबा रोड शो होगा। इस रोड शो को यादगार बनाने की तैयारी हो रही है। प्रियंका गाँधी 15 मई को बीएचयू गेट पर लंका स्थित महामना मालवीय की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर अपना रोड शो शुरू करेंगी। वहाँ से प्रियंका रविदास गेट, अस्सी, शिवाला, सोनारपुरा, मदनपुरा, गोदौलिया, बाँसफाटक होते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर तक जाएँगी।
प्रियंका गाँधी के अलावा कांग्रेस के और भी कई बड़े नेता बनारस में सभाएँ करेंगे। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक़ दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, राज बब्बर, प्रमोद तिवारी, अजय सिंह लल्लू, राजीव शुक्ला, हरीश रावत और कई अन्य नेता बनारस में छोटी-छोटी सभाओं को संबोधित करेंगे।
तेज़ बहादुर का नामांकन रद्द होना भी मुद्दा
बनारस में कांग्रेस तेज़ बहादुर का नामांकन रद्द होने को भुना रही है। पार्टी का कहना है कि अपने ख़िलाफ़ किसी मज़बूत प्रत्याशी को न खड़े होने देने के लिए यह साज़िश मोदी ने ख़ुद रची। बनारस के गली नुक्कड़ों पर कांग्रेस इसे उठा रही है। अब मैदान में अजय राय के अकेले मज़बूत प्रत्याशी रहने के चलते कांग्रेस का मानना है कि अल्पसंख्यक मतों का अधिकांश हिस्सा उसके पाले में आएगा जबकि दलित वोट भी ख़ासी तादाद मे मिलेंगे। बीएचयू के छात्रों के दमन और असंतोष को भी कांग्रेस मुद्दा बना रही है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए पुराने मंदिर ढहाने से लेकर साधु-संतों की नाराज़गी भी कांग्रेस के लिए इस चुनाव में मुद्दा है। कांग्रेस की ख़ास टीम के सदस्य शाहनवाज़ आलम कहते हैं कि बनारस का संत समाज, बुद्धिजीवी, छात्र, भूमिहार, अल्पसंख्यक और दलितों के साथ पिछड़े इस चुनाव में ताक़त बनेंगे। दूसरी ओर बनारस में राजभर वोटों को मोदी के ख़िलाफ़ करने का काम हाल ही में बीजेपी से अलग हुए ओमप्रकाश राजभर कर रहे हैं।
कुल मिलाकर बनारस के लोगों का कहना है कि मोदी की जीत तो पक्की है पर कांग्रेस या अन्य विपक्षी दल आसानी से मैदान नहीं छोड़ेंगे।