कांग्रेस अमेठी और रायबरेली सीटों पर बने सस्पेंस को खत्म करने के लिए अभी तैयार नहीं है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बुधवार 1 मई को कहा कि अगले 24 घंटे में इसकी घोषणा हो जाएगी। जयराम रमेश ने कहा, "न कोई डरा हुआ है और न कोई भाग रहा है।" कांग्रेस की ओर से जब यह घोषणा की जा रही थी तो उधर अमेठी में कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल को वहां से चुनाव लड़ाने की मांग को लेकर धरना दे रहे थे।
जयराम रमेश ने 24 घंटे की समय सीमा देते हुए यह भी कहा कि पार्टी ने केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अधिकार दे दिया है, वो इस पर कोई निर्णय लेकर घोषणा करेंगे। बता दें कि पिछले एक हफ्ते में सीईसी की तीन बैठकें हुईं और रोजाना कहा जाता था कि अमेठी-रायबरेली पर आज फैसला ले लिया जाएगा, लेकिन बात टलती रही। दोनों ही सीटों पर नाम दाखिल करने की अंतिम तारीख 3 मई है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी और दोनों जिलों के पार्टी कार्यकर्ता राहुल और प्रियंका को चुनाव लड़ाने की मांग कर रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस के कई नेता बयान भी दे चुके हैं कि अगर राहुल-प्रियंका आते हैं तो पार्टी में जान पड़ जाएगी और सारे कार्यकर्ता जुट जाएंगे।
राहुल नहीं तैयार
हिन्दुस्तान टाइम्स ने प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के हवाले से खबर दी है कि राहुल गांधी अमेठी या रायबरेली में से कहीं से भी चुनाव नहीं लड़ना चाहते। राहुल यह भी नहीं चाहते कि इन दोनों सीटों से गांधी परिवार का कोई शख्स वहां से चुनाव लड़े। हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेठी और रायबरेली में नामांकन की आखिरी तारीख 3 मई है। जबकि 3 मई को राहुल गांधी की पुणे में रैली है। इससे पता चलता है कि राहुल कम से कम 3 मई को अमेठी या रायबरेली में नहीं होंगे। अमेठी-रायबरेली में 20 मई को पांचवें चरण की वोटिंग होगी।
पार्टी के नेताओं ने हिन्दुस्तान टाइम्स को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अभी भी राहुल को मनाने में जुटे हैं। लेकिन राहुल मान नहीं रहे हैं। एक अन्य पदाधिकारी ने एचटी को बताया कि राहुल पहले रायबरेली से लड़ने को इच्छुक थे लेकिन फिर उन्होंने मना कर दिया और साथ ही यह भी सलाह दी कि परिवार का कोई भी सदस्य इन दोनों सीटों पर न लड़े।
एचटी के मुताबिक सपा के प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस ने अमेठी-रायबरेली को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव से बात की थी। अखिलेश ने सलाह दी थी कि राहुल का चुनाव लड़ना एक बेहतर विकल्प होगा। राहुल के लिए वहां व्यापक समर्थन भी है। तब इसके जवाब में राहुल ने अखिलेश को कहलवाया था कि अगर वो अमेठी या रायबरेली से चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें बता देंगे। इसी आधार पर पिछले दिनों अखिलेश ने संकेत दिया था कि राहुल अमेठी से चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
कुल मिलाकर संकेत यह है कि राहुल और प्रियंका दोनों ही अमेठी और रायबरेली से नहीं लड़ेंगे। बल्कि चुनाव अभियान चलाएंगे। वैसे भी नरेंद्र मोदी कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाते रहते हैं। इसलिए राहुल पीएम मोदी को और मौका नहीं देना चाहते हैं। क्योंकि राहुल वायनाड से खड़े ही हैं। ऐसे में प्रियंका उतरती हैं या राहुल दूसरी सीट पर उतरते हैं तो मोदी और भी तीखा हमला कर सकते हैं। लेकिन राहुल को कौन जानता है। कब बदल जाएं।
यूपी के कांग्रेस प्रभारी अनिनाश पांडे ने हाल ही में कहा था कि कांग्रेस एक रणनीति के तहत दोनों सीटों से प्रत्याशियों का ऐलान नहीं कर रही है। जैसे भाजपा ने भी तो रायबरेली से अपने प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है और सस्पेंस बनाए हुए है। बताया जाता है कि भाजपा ने वरुण गांधी से रायबरेली से लड़ने के लिए संपर्क साधा था लेकिन वरुण ने मना कर दिया। भाजपा ने अपना जो आंतरिक सर्वे कराया था, उसमें बताया गया था कि अमेठी में तो स्मृति ईरानी बेहतर स्थिति में हैं लेकिन रायबरेली में भाजपा को कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ेगा।
इस तरह अमेठी और रायबरेली से कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा में वाकई 24 घंटे का ही सस्पेंस बचा है। 2 मई का दिन कांग्रेस के लिए अहम है। कुल मिलाकर कांग्रेस चाहती तो इस तरह के सस्पेंस को खड़ा करने से बच भी सकती थी। अगर राहुल-प्रियंका को इन सीटों से नहीं लड़ना था तो अन्य नाम की घोषणा में देर नहीं करना चाहिए था।