जमानत के बाद भी आशीष मिश्रा की जेल से नहीं हुई रिहाई, जानिए क्यों?

02:45 pm Feb 12, 2022 | सत्य ब्यूरो

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जमानत मिलने के बाद भी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा की जेल से रिहाई नहीं हुई है। लेकिन ऐसा क्यों हुआ है।

आशीष मिश्रा के खिलाफ लखीमपुर की पुलिस ने जो चार्जशीट फाइल की है उसमें उन्हें धारा 147, 148, 149, 302, 307, 326, 347, 427 और 120बी के तहत अभियुक्त बनाया गया है। 

इसके अलावा उन पर आर्म्स एक्ट की भी धाराएं लगाई गई हैं। लेकिन हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत का जो आदेश जारी किया है उसमें धारा 302 और 120बी का कोई जिक्र नहीं है। 

धारा 302 हत्या के मामले में जबकि धारा 120बी आपराधिक साजिश रचने को लेकर लगाई जाती है। क्योंकि यह दोनों ही धाराएं जमानत के आदेश में नहीं हैं इसलिए आशीष मिश्रा की रिहाई अभी नहीं हो सकती। 

आशीष मिश्रा के वकील ने कहा है कि वह इस मामले में फिर से हाई कोर्ट में अपील करेंगे और अनुरोध करेंगे कि जमानत के आदेश में इन दोनों धाराओं को भी जोड़ दिया जाए। इसलिए अदालत का संशोधित आदेश आने में कुछ वक़्त लग सकता है और उसके बाद ही आशीष मिश्रा की जेल से रिहाई हो पाएगी। 

क्या कहा था अदालत ने?

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने गुरुवार को आशीष मिश्रा के द्वारा प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करने के पुलिस के आरोप पर सवाल खड़े किए थे। अदालत ने कहा कि इस मामले में जांच के दौरान किसी भी मृतक या घायल शख्स के शरीर पर बंदूक की गोलियों के निशान नहीं मिले हैं। 

अदालत ने कहा कि घटनास्थल पर हजारों लोग मौजूद थे और ऐसा हो सकता है कि थार एसयूवी के ड्राइवर ने खुद को बचाने के लिए गाड़ी तेज रफ्तार में भगा दी हो और इस वजह से यह घटना घटी हो। 

अदालत ने कहा कि आशीष मिश्रा पर किसानों पर गाड़ी चढ़ाने के लिए एसयूवी गाड़ी के ड्राइवर को भड़काने का आरोप है। लेकिन उस गाड़ी में मौजूद ड्राइवर और दो अन्य लोगों की प्रदर्शनकारियों ने हत्या कर दी थी। 

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में थार एसयूवी मैं बैठे तीन लोगों की हत्या पर आंखें बंद नहीं कर सकती क्योंकि इस घटना के जो फोटो सामने आए हैं उन से पता चलता है कि प्रदर्शनकारियों ने कितनी बर्बरता की थी।

लखीमपुर खीरी की घटना में किसानों को गाड़ियों से रौंद दिया गया था। घटना में कुल 8 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से 4 किसान भी थे। 

किसानों के साथ ही बीजेपी के तीन कार्यकर्ताओं शुभम मिश्रा, श्याम सुंदर निषाद और हरि ओम मिश्रा की भीड़ ने जान ले ली थी। एक पत्रकार की भी मौत इस घटना में हुई थी।