नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में जेल में बंद डॉ. कफ़ील ख़ान की पत्नी शाबिस्ता ख़ान ने उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट को पत्र लिखकर कहा है कि जेल में उनके पति की जान को ख़तरा है। डॉ. कफ़ील को कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था और उसके बाद उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (रासुका) लगा दिया था। डॉ. कफ़ील नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में लगातार आवाज़ बुलंद कर रहे थे।
अपने पत्र में शाबिस्ता ख़ान ने दावा किया है कि उनके पति की जान ख़तरे में है। उन्होंने कहा है कि वह डॉ. कफ़ील से मथुरा जेल में मिली थीं। एनडीटीवी के मुताबिक़, शाबिस्ता ने कहा, ‘हम लोग उनसे मिलने मथुरा जेल गये थे। उन्होंने मुझे बताया कि गिरफ़्तार करने के बाद जेल में उन्हें 5 दिन तक खाना नहीं दिया गया। जिस बैरक में उन्हें रखा गया है, वह बहुत छोटी है और 100-150 लोगों को उसमें रखा गया है। वहां उनकी जान ख़तरे में है।’ डॉ. कफ़ील के भाई का कहना है कि राज्य सरकार लगातार कफ़ील को निशाना बना रही है।
डॉ. कफ़ील पर आरोप है कि उन्होंने नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में 12 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण दिया था। इस मामले में अलीगढ़ पुलिस ने डॉ. कफ़ील के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 153-ए (धर्म के आधार पर द्वेष फैलाना) के तहत 13 दिसंबर को मुक़दमा दर्ज किया गया था। 29 जनवरी को उन्हें मुंबई से गिरफ़्तार कर लिया था। तब डॉ. कफ़ील नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ मुंबई में हो रहे एक प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे थे। इसके बाद 10 फ़रवरी को उन्हें जमानत मिली थी।
जमानत मिलने के बाद भी डॉ. कफ़ील को मथुरा जेल में ही रखा गया था और चार ही दिन बार उत्तर प्रदेश सरकार ने उन पर रासुका लगा दिया था।
डॉ. कफ़ील को अलीगढ़ से मथुरा जेल भेज दिया गया था। पुलिस का कहना था कि ऐसा सुरक्षा कारणों से किया गया क्योंकि अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय और ईदगाह मैदान में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहे हैं। पुलिस का कहना था कि डॉ. कफ़ील के अलीगढ़ में रहने से क़ानून और व्यवस्था की स्थिति ख़राब हो सकती है।
डॉ. कफ़ील का नाम तब चर्चा में आया था जब 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 60 बच्चों की मौत हो गई थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने लापरवाही बरतने, भ्रष्टाचार में शामिल होने सहित कई आरोप लगाकर डॉ. कफ़ील को निलंबित कर जेल भेज दिया था। लेकिन बाद में सरकारी रिपोर्ट में ही डॉ. कफ़ील बेदाग़ निकले थे और सरकार ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी।