गोरखपुर स्थित मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के लिए ऑक्सीजन की कमी को उजागर कर सरकार के गुस्से का शिकार होने वाले डॉक्टर कफ़ील ख़ान को उत्तर प्रदेश सरकार ने नौकरी से निकाल दिया है।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) आलोक कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुये बताया कि जाँच में दोषी पाए जाने के बाद डॉक्टर कफ़ील ख़ान को बर्खास्त कर दिया गया है। अभी तक निलंबित चल रहे डॉ. कफील को महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा (डीजीएमई) कार्यालय से संबद्ध किया गया था। प्रमुख सचिव ने कहा है कि यह मामला अदालत में चल रहा है, इसलिये बर्खास्त किए जाने के संबंध में अदालत में जानकारी दी जाएगी।
डॉक्टर कफ़ील ने इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा, "इस सरकार से कभी न्याय की उम्मीद नहीं थी। मैं जानता हूँ कि मैंने कुछ ग़लत नहीं किया है और मेरा हमारी न्याय व्यवस्था पर पूरा विश्वास है।"
क्या कहना है डॉक्टर कफ़ील का?
डॉ. कफ़ील ख़ान ने बीबीसी से कहा है, "मेरी नियुक्ति यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन से हुई थी, लिहाजा सरकार मुझे सीधे बर्ख़ास्त नहीं कर सकती थी, उन्हें यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन से अनुमति लेनी थी। मुझे बताया गया है कि वो इज़ाजत उन्होंने ले ली है।"
डॉक्टर कफील ने ट्वीट कर कहा, "63 बच्चों ने दम तोड़ दिया क्योंकि सरकार ने ऑक्सीजन सप्लायरों को भुगतान नहीं किया। आठ डॉक्टर, कर्मचारी निलंबित -7 बहाल किए गए। कई जाँच/अदालत द्वारा चिकित्सा लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोप में क्लीन चिट मिलने के बावजूद मैं बर्खास्त।माँ बाप-इंसाफ़ के लिए भटक रहे। न्याय? अन्याय ? आप तय करें।"
कांग्रेस ने की सरकार की आलोचना
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस मुद्दे पर योगी आदित्यनाथ सरकार की तीखी आलोचना करते हुए इसे दुर्भावना से प्रेरित बताया है और कहा है कि यह नफ़रत को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।क्या है मामला?
याद दिला दें कि अगस्त 2017 में गोरखपुर के बी. आर. डी. मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 60 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी। इस मामले में डॉ. कफ़ील खान को निलंबित कर दिया गया था।
सरकार ने इस मामले में 15 अप्रैल 2019 को जाँच अधिकारी की ओर से दायर जाँच रिपोर्ट को मान लिया था। इस रिपोर्ट में डॉ. कफ़ील ख़ान को निर्दोष पाया गया था।
इसके बाद 6 अगस्त, 2021 में राज्य सरकार ने 24 फरवरी, 2020 को दिए दोबारा विभागीय जाँच के आदेश को वापस ले लिया था।