उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले के एक गांव में मंत्री से सवाल पूछने वाले एक पत्रकार की गिरफ्तारी पर सोशल मीडिया पर लोग रोष जता रहे हैं। सोशल मीडिया यूज़र पूछ रहे हैं कि क्या मंत्री से सवाल पूछना गुनाह है? पत्रकार को हथकड़ी और रस्सी से बंधे होने पर पूछा जा रहा है कि क्या वह कोई गुंडा, बलात्कारी हैं कि इस तरह पेश आया जा रहा है? कोई इसे लोकतंत्र पर तो कोई इसे लोकतंत्र के चौथे खंभे पर हमला बता रहा है।
विपक्षी दल ने भी इस मामले को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा। कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेट ने कहा, 'यूपी के संभल में पत्रकार संजय राणा ने मंत्री गुलाब देवी से तीखे सवाल पूछे, जवाब में पहले एफ़आईआर, फिर गिरफ्तारी हो गई।'
दरअसल, यह मामला यूपी के संभल का 11 मार्च का बताया जा रहा है। ज़िले के एक गांव में माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र) गुलाब देवी पहुँची थीं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि कार्यक्रम में स्थानीय पत्रकार संजय राणा ने माइक पकड़े हुए सवाल पूछ लिया, 'बुद्धनगर में एक भी बारातघर नहीं है। न ही यहां पर सरकारी शौचालय है। आपने कहा था कि मंदिर से लेकर इस रोड को पक्का कराऊंगी। अभी तक ये रास्ता ऐसा है कि बाइक क्या, पैदल वाले लोग भी परेशान हैं। आपने कहा था कि देवी मां के मंदिर की बाउंड्री कराऊंगी, आपने अभी तक कोई सुनवाई नहीं की। गांववालों ने बहुत प्रेशर दिया, आपके कार्यालय भी गए, पर उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। आप इसके बारे में क्या कहेंगी?'
इस सवाल पर मंत्री के बोलने से पहले उनकी ओर से एक महिला बोल उठती हैं। वह महिला पत्रकार से कहती हैं कि आपने कोई समस्या नहीं बताई। गांव वाले भी पत्रकार की बातों से सहमति जताते हैं कि गांव में ये समस्याएँ हैं और इस पर कोई काम नहीं हुआ है।
पत्रकार के सवालों का जवाब देते हुए गुलाब देवी ने कहा, 'ये सब बातें जो आपने कही हैं। सही हैं, लेकिन अभी समय बाकी है। यह मत भूलिए कि कुंदनपुर गांव और बुद्धनगर खंडवा मेरी जिम्मेदारी हैं। ये सारे जो मैंने वादे किये हैं वे सब पूरे किए जाएँगे।' लेकिन इस कार्यक्रम के बाद पत्रकार संजय राणा पर एफ़आईआर हो जाती है।
स्थानीय बीजेपी नेता ने मंत्री के कार्यक्रम के दौरान सरकारी काम में हस्तक्षेप और शांति भंग करने का मामला पुलिस में दर्ज कराया। शिकायत के बाद पुलिस ने पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया था। पत्रकार को अदालत में पेश किए जाने के बाद मंगलवार को जमानत दे दी गई।
लेकिन इस दौरान सोशल मीडिया पर जो वीडियो आए उन पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रियाएँ दीं। सदाफ अफ्रीन नाम के ट्विटर यूज़र ने लिखा है, 'पत्रकार संजय राणा को जेल भेजना लोकतंत्र पर हमला है! मंत्री गुलाबो देवी से 4 सवाल क्या पूछ लिया पत्रकार को जेल भेज दिया गया!...'
एक यूज़र ने पत्रकार द्वारा सवाल पूछे जाने के वीडियो और एफ़आईआर की प्रति को ट्वीट करते हुए कहा है कि इस पत्रकार ने मंत्री से सवाल पूछने की हिमाकत कर दी थी...।
एक यूज़र ने पत्रकार के साथ पेश आने के पुलिस के रवैये पर सवाल उठाया और कहा कि जिस तरह से हथकड़ी और रस्सी से बांधा गया है क्या वह कोई गुंडा, बलात्कारी हैं।
पत्रकार प्रभाकर कुमार मिश्रा ने ट्वीट किया है, 'सही मायने में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला इसे कहेंगे। संभल में यूपी सरकार की मंत्री गुलाब देवी से संजय राणा नाम के इस पत्रकार ने सवाल पूछकर कोई गुनाह नहीं किया कि उसे गिरफ्तार कर लिया गया!'
पत्रकार रणविजय सिंह ने तंज कसते हुए लिखा है कि इसने मंत्री से तीखे सवाल करने का गुनाह किया है....।
इस मामले में शुभम राघव नाम के एक बीजेपी कार्यकर्ता की शिकायत पर संजय राणा के ख़िलाफ़ आईपीसी की धाराओं में एफ़आईआर दर्ज की गई। बीजेपी युवा मोर्चा के ज़िला महामंत्री शुभम राघव ने बीबीसी से कहा, 'संजय राणा ने मंत्री गुलाब देवी के कार्यक्रम में हंगामा किया था। जब मैंने उसे समझाया तो मेरे साथ अभद्रता की। उसके साथ तीन-चार शराबी और थे, जिन्होंने मेरे साथ मारपीट की। मुझे थप्पड़ मारा गया।' राघव ने आरोप लगाया, 'संजय राणा पत्रकार नहीं है, बल्कि ऐसे ही हाथ में माइक लेकर घूमता रहता है और स्थानीय ग्राम प्रधानों और ग्राम विकास सचिवों को विकास ना करने के नाम पर ब्लैकमेल करता रहता है।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालाँकि पुलिस भी संजय राणा को पत्रकार नहीं मान रही है। पुलिस के मुताबिक संजय राणा ज़िले के सूचना विभाग के साथ पंजीकृत नहीं हैं। एक स्थानीय पत्रकार ने बताया कि संजय राणा एक लोकल यूट्यूब चैनल के लिए काम करते हैं और वे पिछले छह महीनों से रिपोर्टिंग कर रहे हैं।