उन्नाव का नाम सुनते ही दहशत सी होती है लेकिन क्यों इसलिए क्योंकि पिछले कुछ महीनों में उन्नाव महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अत्याचारों को लेकर ख़ासा सुर्खियों में रहा है। इसमें दो मामले ख़ासे चर्चित रहे हैं। पहला मामला बीजेपी से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का है और दूसरा ताज़ा मामला है, जिसमें दबंगों ने बलात्कार पीड़िता को जिंदा जला दिया और उसकी मौत हो गई। इस साल जनवरी से नवंबर तक (11 महीने) उन्नाव जिले में बलात्कार की 86 घटनाएँ हो चुकी हैं। हालात इस क़दर ख़राब हैं कि उन्नाव को उत्तर प्रदेश की ‘रेप कैपिटल’ कहा जाने लगा है।
एनडीटीवी के मुताबिक़, ‘इसी 11 महीने की अवधि में महिलाओं के यौन उत्पीड़न की 185 घटनाएँ उन्नाव जिले में दर्ज हुई हैं। महिलाओं पर अत्याचार की ये घटनाएँ असोहा, अजगैन, माखी और बांगरमऊ में हुई हैं। अधिकतर मामलों में या तो अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर जमानत पर रिहा कर दिया गया है या वे फरार हैं। उन्नाव के स्थानीय लोग क़ानून व्यवस्था की ख़राब स्थिति और इस तरह के मामलों के बढ़ने के लिए स्थानीय पुलिस को जिम्मेदार मानते हैं।
एनडीटीवी के मुताबिक़, अजगैन के निवासी राघव राम शुक्ला ने कहा, ‘उन्नाव में पुलिस का पूरी तरह राजनीतिकरण हो चुका है। पुलिस अपने राजनीतिक आकाओं की इच्छा के बिना एक इंच भी क़दम आगे नहीं बढ़ाती। इससे अपराधियों को बढ़ावा मिल रहा है।’
एक स्थानीय वकील ने कहा, ‘राजनेता अपने राजनीतिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपराध का सहारा ले रहे हैं और पुलिस उनकी हितैषी बनी हुई है। यहां तक कि जब किसानों ने हाल ही में एक नई टाउनशिप के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान हिंसा की, तब भी वे रक्षात्मक बने रहे।’ वकील ने कहा कि एक भी ऐसी घटना नहीं है जिसमें पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की हो।
विधायक सेंगर पर बलात्कार का आरोप
2017 में उन्नाव का नाम तब चर्चा में आया था जब एक स्थानीय युवती ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर बलात्कार करने का आरोप लगाया था। युवती ने कहा था कि जून, 2017 में जब वह नौकरी माँगने विधायक के आवास पर गई थी तो विधायक ने उसके साथ बलात्कार किया था। कुछ महीने पहले ही पीड़िता जब रायबरेली जेल में बंद अपने चाचा से मिलने जा रही थी तो रास्ते में उनकी गाड़ी को ग़लत दिशा से आ रहे एक ट्रक ने जोरदार टक्कर मार दी थी। इस घटना में पीड़िता की मौसी और चाची की मौत हो गई थी जबकि पीड़िता और वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मामले में पीड़िता के चाचा की शिकायत पर विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, उसके भाई मनोज सिंह सेंगर और 8 अन्य लोगों के ख़िलाफ़ हत्या, हत्या की साज़िश रचने का मुक़दमा दर्ज कराया गया था।
क़ानून व्यवस्था का बुरा हाल
उन्नाव में सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता को जिंदा जलाने का ताज़ा मामला यह बताता है कि इस जिले में न्याय व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही लाख दावे कर लें कि यूपी में अपराधियों में भय है लेकिन सामूहिक बलात्कार मामले में जमानत पर चल रहे अपराधी जब पीड़िता को जिंदा जलाने का दुस्साहस रखते हों, तो यह मानने में क़तई गुरेज नहीं होना चाहिए कि प्रदेश में क़ानून व्यवस्था ख़त्म हो चुकी है।
यह तो पूरे यूपी में सिर्फ़ उन्नाव की बात है। अलीगढ़, बुलंदशहर सहित कई जिलों से महिलाओं से बलात्कार व यौन उत्पीड़न की ख़बरें आती रहती हैं। सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश में क़ानून व्यवस्था की स्थिति कब सही होगी। इससे पहले भी महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध होते रहे हैं और ये बदस्तूर जारी हैं। जब तक अपराधियों में क़ानून का खौफ़ नहीं होगा, तब तक वे इस तरह की वारदात करते रहेंगे। सरकारों को बलात्कार से जुड़े सभी मामलों को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाकर अभियुक्तों को जल्द से जल्द कड़ी सजा दिलाने की कोशिश करनी चाहिए।