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हाथरसः योगी ने दिया न्यायिक जांच का आदेश, साजिश की भी खोज, बाबा का अता-पता नहीं

हाथरसः योगी ने दिया न्यायिक जांच का आदेश, साजिश की भी खोज, बाबा का अता-पता नहीं

हाथरस में 116 लोगों की मौत की जिम्मेदरी के लिए वजहें तलाशी जा रही हैं। लेकिन उस बाबा के खिलाफ अभी तक एफआईआर नहीं हुई, जिसके चरणों की धूल पाने के लिए वहां भगदड़ मची। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को घायलों से मिलने पहुंचे। अस्पताल की अव्यवस्था पर उनका ध्यान नहीं गया। उनकी सुरक्षा के नाम पर पूरी पुलिस लग गई और बाबा को खोजने का अभियान ठप हो गया। अफसर सीएम साहब की आवभगत में जुटे रहे। फॉरेंसिक विशेषज्ञ आसपास के खेतों में सबूत तलाश रहे हैं। 

हाथरस हादसे में घायलों और मृतकों के परिजनों से मिलने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में न्यायिक जांच कराई जाएगी। जो लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं उन्हें दंडित किया जाएगा। योगी ने कहा कि घटना की गहन जांच के लिए प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों को न्यायिक जांच में शामिल किया जाएगा। जांच का मकसद यह तय करना भी है कि क्या यह एक साजिश थी।

हाथरस हादसे का मुख्य जिम्मेदार बाबा फरार है। पुलिस उसे तलाश रही है लेकिन एफआईआर में उसका नाम नहीं है। हाथरस भगदड़ पर यूपी पुलिस ने कहा कि नारायण साकार हरि जाटव उर्फ ​​'भोले बाबा' अभी भी फरार है। इस बाबा के सत्संग में मंगलवार को हाथरस जिले में भगदड़ के दौरान 120 से अधिक लोगों की मौत हो गई। मरने वाले लोगों में गरीब और दलित लोगों की तादाद ज्यादा है। 

हाथरस में अब तक जो हुआ

  • मंगलवार 2 जुलाई को 12.55 बजे रतिभानपुर सत्संग में नारायण साकार हरि जाटव उर्फ ​​'भोले बाबा' का प्रवचन शुरू
  • मंगलवार 2 जुलाई को 1.55 पर सत्संग में भगदड़ मची। लोग कथित बाबा के चरणों की धूल लेना चाहते थे। बाबा के सहयोगी ने लोगों को रोका और लोग एक दूसरे पर टूट पड़े
  • बुधवार 3 जुलाई को एफआईआर दर्ज। एफआईआर में मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर को मुख्य आरोपी बनाया गया। बाबा का नाम गायब
  • बुधवार 3 जुलाई को पुलिस ने मुख्य आरोपी और बाबा को पकड़ने के लिए छापे मारे। घरों पर कोई नहीं मिला। यानी घटना के 20 घंटे बाद भी सुराग नहीं
  • बुधवार 3 जुलाई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हाथरस पहुंचे, न्यायिक जांच और साजिश का पता लगाने की घोषणा की
  • बुधवार 3 जुलाई को यूपी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय रॉय का हाथरस दौरा। कहा- मरने वालों की तादाद प्रशासनिक इंतजाम ठीक से नहीं होने की वजह से बढ़ी
  • बुधवार 3 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर

हाथरस के डीएसपी सुनील कुमार ने कहा कि स्वयंभू बाबा की तलाश में मैनपुरी जिले के राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट में तलाशी अभियान चलाने के बाद भोले बाबा नहीं मिले। पुलिस टीम रात को ही बाबा को तलाशने चली गई थी। लेकिन तथ्य यह है कि तमाम प्रत्यक्षदर्शियों ने कैमरे के सामने बयान दिए हैं कि हादसे के बाद बाबा वहां करीब एक घंटे तक रहा। जब तक पुलिस पहुंची, बाबा घटनास्थल से फरार हो गया। मैनपुरी पहुंचने में कई घंटे लगते हैं लेकिन पुलिस उसे तलाशने मैनपुरी जा पहुंची। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ बुधवार सुबह हाथरस में घायलों का हालचाल लेने पहुंचे। 

पूरा पुलिस अमला और सारे अधिकारी योगी की सुरक्षा के लिए हाथरस के चप्पे चप्पे पर तैनात कर दिए गए। अस्पताल में खुद नए चीफ सेक्रेटरी मनोज कुमार सिंह सीएम को अब तक की कार्रवाई का ब्यौरा देते रहे। अफसरों ने मुख्यमंत्री के लिए फलों की टोकरी का इंतजाम किया हुआ था। योगी ने अस्पताल का जायजा आलोचनात्मक ढंग से नहीं किया। जबकि मरीज मंगलवार रात से ही चीख-चीख कर कह रहे हैं कि कई घंटे तक एक ़डॉक्टर लोकल डिस्पेंसरी पर मौजूद था। अस्पताल में स्टाफ नदारद था। लोगों के शव कूड़े की तरह इधर-उधर बिखेर दिए गए थे।

मंगलवार को जब हादसा हुआ तो योगी ने फौरन ही चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी को मौके पर जाने को कहा। डीजीपी का बयान आया कि किसी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा। मंगलवार रात में एफआईआर लिखी गई और जब कॉपी सामने आई तो नारायण साकार उर्फ हरि जाटव भोले बाबा का नाम उसमें नहीं था। 116 लोगों की दर्दनाक मौत के जिम्मेदार पुलिस के मुताबिक सिर्फ मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर है। प्रशासन और पुलिस पर भी एफआईआर नहीं हुई न कोई जिक्र हुआ। पुलिस का कहना है जांच चल रही है। लेकिन पुलिस दूसरी तरफ यह भी कह रही है कि वो बाबा को तलाश रही है।

पुलिस के मुताबिक एफआईआर भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा), 238 (सबूतों को गायब करना) के तहत दर्ज की गई है। 

साजिश भी तलाशी जा रही है

देश में अब यह आम चलन होता जा रहा है कि गंभीर हादसा होने के बाद उसमें साजिश भी तलाशी जाती है। खुद मुख्यमंत्री ऐसे बयान दे रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह तय करने के लिए घटना की गहन जांच की कसम खाई कि यह एक "दुर्घटना थी या साजिश"। उन्होंने पुष्टि की कि राज्य सरकार हाथरस घटना के पीछे की सच्चाई को उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने यह बयान यूं ही नहीं दिया। फॉरेंसिक विशेषज्ञ जो मौके पर पहुंचे हैं, वे आसपास के खेतों में साजिश के सबूत तलाश रहे हैं। एक समाचार एजेंसी ने जब एक फॉरेंसिक विशेषज्ञ से पूछा कि उनको घटनास्थल से क्या मिला, तो उन्होंने कहा कि वहां से जूते चप्पल मिले हैं। और कुछ नहीं मिला है। हम सबूत तलाश रहे हैं। याद दिला दें कि गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में बच्चों को ऑक्सीजन नहीं मिली और उनकी मौत हो गई थी। वहां डॉक्टर कफील खान ने ऑक्सीजन सिलिंडर का इंतजाम कर बच्चों को बचा लिया। योगी जब अस्पताल में बच्चों के परिवारों से मिलने पहुंचे तो उन्होंने सबसे पहले डॉ कफील खान को निलंबित किया। उस समय भी उस घटना में साजिश तलाशी गई। कफील खान जेल भेज दिए गए। बाद में अदालत ने उन्हें बेदाग बरी किया।  

लोग इस घटना के लिए फरार बाबा को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। पीटीआई के मुताबिक फुलराई गांव में, हाथरस की भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजन शोक में डूबे हुए हैं। हालांकि एफआईआर में 'भोले बाबा' का नाम नहीं है, लेकिन मृतक के परिवार के सदस्यों ने इस पर असंतोष जताया है। एक स्थानीय व्यक्ति बाबू राव ने पीटीआई को बताया, "लोग 'सेवादारों' का अनुसरण नहीं करते हैं, लोग बाबा के कारण आए हैं। भोले बाबा को मुख्य आरोपी माना जाना चाहिए।" घटनास्थल से भागने से पहले बाबा वहां करीब एक घंटा रुका था। जैसे ही पुलिस आने की सूचना मिली, बाबा वहां से खिसक गया। इस बीच बाबा के बारे में तमाम बातें अब धीरे-धीरे सामने आ रही हैं।

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