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शिंदे खेमे से जुड़ने वाले रवींद्र वायकर का केस बंद क्यों किया जा रहा?

शिंदे खेमे से जुड़ने वाले रवींद्र वायकर का केस बंद क्यों किया जा रहा?

उद्धव खेमे में रहने के दौरान जिस सांसद रवींद्र वायकर पर भ्रष्याचार के आरोप लगे उनके ख़िलाफ़ अब आख़िर शिंदे खेमे में शामिल होने के बाद क्लोजर रिपोर्ट क्यों दाखिल की जा रही है?

उद्धव खेमे से एकनाथ शिंदे खेमे में शामिल होने वाले सांसद रवींद्र वायकर के ख़िलाफ़ क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई है। यानी उनके ख़िलाफ़ अब केस बंद करने की तैयारी है। बस, अब एक मंजूरी मिलने का इंतज़ार है। मौजूदा सांसद पर बीएमसी के साथ अपने समझौते का उल्लंघन करते हुए जोगेश्वरी में एक लग्जरी होटल के निर्माण के संबंध में जांच की जा रही थी।

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े में शामिल होने वाले वायकर ने मुंबई की उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट पर 48 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल की है। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा यानी ईओडब्ल्यू ने वायकर के अलावा उनकी पत्नी मनीषा और चार करीबी सहयोगियों के खिलाफ दर्ज मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मामले को बंद करने का कारण बताते हुए ईओडब्ल्यू ने कहा कि बृहन्मुंबई नगर निगम की ओर से दायर की गई शिकायत अधूरी जानकारी और गलतफहमी पर आधारित थी।

बीएमसी के सब-इंजीनियर संतोष मांडवकर की शिकायत पर वायकर, उनकी पत्नी मनीषा, बिजनेस पार्टनर आसू नेहलनई, राज लालचंदानी और पृथपाल बिंद्रा और आर्किटेक्ट अरुण दुबे पर आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया है। मामला शुरू में आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था, जिसके बाद जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दी गई थी।

एफआईआर के अनुसार, जोगेश्वरी में एक भूखंड पर खेल सुविधा चलाने की अनुमति मिलने के बाद वायकर ने बीएमसी के साथ अनुबंध किया था। एमवीए सरकार के सत्ता में रहने के दौरान यह अनुमति दी गई थी। 2023 की शुरुआत में उन्हें एक सार्वजनिक उद्यान के लिए आरक्षित भूखंड पर होटल बनाने के लिए उपयोग करने की वजह से नोटिस जारी किया गया था। नगर निगम ने भी वायकर पर होटल बनाने की अनुमति मांगते समय सार्वजनिक स्थान के लिए आरक्षित भूखंड के बारे में जानकारी छिपाने का आरोप लगाया था। भाजपा नेता किरीट सोमैया ने दावा किया था कि यह घोटाला 500 करोड़ रुपये से अधिक का है और उन्होंने आरोप लगाया था कि वायकर ने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करके बगीचे के लिए आरक्षित भूखंड पर पांच सितारा होटल के निर्माण के लिए धोखाधड़ी से मंजूरी प्राप्त की और बीएमसी को भारी नुकसान पहुंचाया।

इस साल की शुरुआत में सोमैया ने ट्वीट भी किया था, 'मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जुलाई 2021 में जोगेश्वरी में बीएमसी के आरक्षित खेल के मैदान पर 2 लाख वर्ग फीट के 5 सितारा होटल के लिए अवैध अनुमति दी थी।' अक्टूबर 2023 में प्रवर्तन निदेशालय ने ईओडब्ल्यू की एफआईआर के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम यानी पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया और इसके बाद जनवरी में एजेंसी ने वायकर के आवास और मामले में नामित अन्य आरोपियों के परिसरों सहित सात स्थानों पर छापेमारी की। जांच के दौरान मुंबई पुलिस के ईओडब्ल्यू और प्रवर्तन निदेशालय दोनों ने उन्हें पूछताछ के लिए तलब किया था। 

शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे का करीबी सहयोगी माने जाने वाले वायकर 10 मार्च को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा चुनाव के बीच में वायकर ने कहा था, 'मैं पहले से ही दबाव में था, लेकिन यह तब और बढ़ गया जब मेरी पत्नी का नाम भी उलझा हुआ था, तब पक्ष बदलने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। जो स्थिति भाग्य ने मेरे साथ लाई, वह किसी और के साथ नहीं हो।'

इसके बाद वायकर ने लोकसभा चुनाव में मुंबई उत्तर पश्चिम सीट से चुनाव लड़ा और सेना यूबीटी के अमोल कीर्तिकर को 48 वोटों से हराया।

बहरहाल, अब वायकर के मामले में ईओडब्ल्यू ने क्लोचर रिपोर्ट दाखिल कर दी है। अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, 'गुरुवार को अदालत में क्लोजर रिपोर्ट पेश की गई। हम आगे के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं।' अदालत में दायर सी-समरी रिपोर्ट में जांचकर्ताओं ने आरोप लगाया कि बीएमसी की ओर से दायर की गई शिकायत अधूरी जानकारी और गलतफहमी पर आधारित थी। सी-समरी रिपोर्ट उन मामलों में दायर की जाती है जहां एफआईआर तथ्य की गलती पर आधारित पाई जाती है।

रिपोर्ट के अनुसार एक अधिकारी ने कहा, 'शिकायतकर्ता अधिकारियों और आरोपी पक्षों के बयान दर्ज करने और बीएमसी के दस्तावेजों की जांच करने के बाद ऐसा लगता है कि वायकर और अन्य आरोपियों द्वारा होटल के निर्माण की अनुमति प्राप्त करने का मामला आपराधिक प्रकृति का नहीं है, बल्कि यह एक प्रशासनिक शिकायत है।' उन्होंने आगे कहा कि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि मामले में आरोपी लोगों को कोई लाभ मिला है या नहीं।

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