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दलितों को जोड़ने का यूपी कांग्रेस का नया अभियान, जानें क्या है योजना 

दलितों को जोड़ने का यूपी कांग्रेस का नया अभियान, जानें क्या है योजना 

लोकसभा चुनाव में इस बार मिली बढ़त को मज़बूत करने के लिए कांग्रेस ने नयी तैयारी शुरू की है। जानिए, आख़िर किस तरह से वह इसके लिए क्या करेगी।

यूपी कांग्रेस प्रमुख अजय राय ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस के पदाधिकारी आज से तीन दिनों तक उत्तर प्रदेश की सभी अनधिकृत कॉलोनियों में 'दलित सहभोज' का आयोजन करेंगे। उन्होंने कहा कि दलित समुदाय कांग्रेस पार्टी के साथ खड़ा है और हम उन्हें एकजुट करने का काम करेंगे। वह जगजीवन राम की पुण्यतिथि पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज हमारे नेता जगजीवन राम की पुण्यतिथि है। 

दरअसल, कांग्रेस ने इस तरह के आयोजन के लिए एक नयी योजना बनाई है। इसने दलितों को पार्टी से जोड़ने के लिए अब कई कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की है। इसका मक़सद है कि वह दलितों में अपना खोया हुआ वोटबैंक वापस पा ले। यह सब तैयारी 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले चल रही है। इसी को लेकर पार्टी पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर संपर्क अभियान चलाने जा रही है।

इस संपर्क अभियान में दलितों के बीच विशेष सदस्यता अभियान, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में प्रभावशाली दलित व्यक्तित्वों की पहचान, साथ ही उनके मुद्दों पर चर्चा करने के लिए संभाग स्तरीय सम्मेलन और जिला स्तरीय दलित चौपाल आयोजित करना शामिल होगा। 

रिपोर्ट है कि गोरखपुर से मंडल स्तरीय दलित सम्मेलन शुरू किया जाएगा। इसके बाद प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से कम से कम 1000 पहचाने जाने वाले और प्रमुख दलित चेहरों को जोड़ने के लिए सदस्यता अभियान शुरू किया जाएगा। पार्टी की जिला इकाइयों के साथ समन्वय में, दलितों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में हर पखवाड़े कम से कम एक बार दलित चौपाल भी आयोजित की जाएगी।

लखनऊ में राज्य कांग्रेस मुख्यालय में हाल ही में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में राज्य भर के प्रमुख दलित नेताओं के सुझावों को सुनने के बाद 15 दिनों का विस्तृत कार्यक्रम तैयार किया गया। द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि हालाँकि कार्यक्रम की अभी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन पहले चार सम्मेलन योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर, लखनऊ, पीएम मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी और मेरठ में आयोजित किए जाने का प्रस्ताव है।

माना जा रहा है कि यह कदम कांग्रेस आलाकमान के निर्देश के बाद उठाया गया है। यूपी कांग्रेस के अनुसूचित जाति (एससी) विभाग के प्रमुख और यूपी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष आलोक प्रसाद ने अंग्रेजी अख़बार से कहा, 'दलित परंपरागत रूप से हमारे समर्थक रहे हैं, लेकिन बीच में कुछ गलतफहमियों के कारण वे समय के साथ हमसे दूर हो गए। हालांकि, हाल के चुनावों में उन्होंने संविधान के नाम पर या राहुल जी की वजह से हमारा समर्थन किया।'

उन्होंने कहा कि अगर दलित हमारा समर्थन करने के लिए एक कदम बढ़ाते हैं तो अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनसे संपर्क करने के लिए एक और कदम बढ़ाएं। उन्होंने कहा, 'जमीन हड़पने, आरक्षण का लाभ उठाने से जुड़े मुद्दे, छात्रवृत्ति के नाम पर लोगों को बरगलाने आदि के मुद्दे हैं। उन्होंने हमारा समर्थन किया। अब उनकी समस्याओं को सुनने और समाधान खोजने की बारी हमारी है।'

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पार्टी जमीनी स्तर पर अपनी एससी इकाई को मज़बूत करने के लिए संगठन में प्रमुख दलित चेहरों को नई ज़िम्मेदारियाँ देने पर विचार कर रही है। संपर्क अभियान के तहत पार्टी समुदाय के डॉक्टर, शिक्षक जैसे पेशेवरों से संपर्क करने की भी योजना बना रही है।

कांग्रेस ने यह योजना तब बनाई है जब लोकसभा चुनाव में पार्टी और इंडिया गठबंधन को जबर्दस्त सफलता मिली है। बीजेपी को यूपी में बड़ा नुक़सान हुआ है। यहाँ तक ​​कि भाजपा की आंतरिक समीक्षा में माना गया है कि दलित वोटों के सपा-कांग्रेस गठबंधन में स्थानांतरित होने से भारी नुकसान हुआ। पार्टी के आकलन के अनुसार, 'संविधान बचाओ' अभियान के चलते बसपा के मुख्य जाटव दलित वोटों का लगभग 6% इंडिया गठबंधन में स्थानांतरित हो गया। ऐसी ही रिपोर्टों के बीच अब कांग्रेस ने दलितों को जोड़ने की योजना बनाई है।

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