ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के मामले में वाराणसी की जिला अदालत मंगलवार को फैसला सुनाएगी। सोमवार को जिला अदालत में सुनवाई के बाद जिला जज अजय कृष्ण ने अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को जिला जज को ट्रांसफर किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मस्जिद की अंजुमन इंतजामिया कमेटी की ओर से दायर याचिका पर प्राथमिकता के आधार पर फैसला किया जाए। बता दें कि हिंदू महिलाओं ने मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर स्थित मां श्रृंगार गौरी की छवि की पूजा करने की अनुमति मांगी थी जिसे मुसलिम पक्ष ने चुनौती दी थी।
मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, वाराणसी की अदालत को यह मुकदमा सुने जाने लायक है या नहीं इस पर पहले फैसला करना चाहिए जबकि हिंदू पक्ष की मांग है कि अदालत उन्हें सर्वे टीम की रिपोर्ट का अध्ययन करने और इसे देखने की इजाजत दे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी धार्मिक स्थल के चरित्र का पता लगाने पर कोई रोक नहीं है और धार्मिक चरित्र का पता लगाना पूजा स्थल अधिनियम के नियम तीन या चार का उल्लंघन भी नहीं है।
उधर, मथुरा की जिला अदालत ने कहा है कि कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में 1991 में बना पूजा स्थल अधिनियम लागू नहीं होता है। बता दें कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 के अंतर्गत 1947 में तमाम धर्मस्थलों की जो स्थिति थी उससे छेड़छाड़ नहीं किए जाने की बात कही गई है।
सर्वे रिपोर्ट लीक होने पर सवाल
ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे की रिपोर्ट लीक होने को लेकर भी सवाल उठे थे। कोर्ट के द्वारा नियुक्त कमिश्नर विशाल सिंह ने बीते गुरुवार को अदालत में अपनी रिपोर्ट जमा कर दी थी। सर्वे कमेटी की रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में अदालत में जमा की गई थी। इसके बाद भी यह रिपोर्ट लीक कैसे हो गई, यह सवाल पूछा गया था।
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि सर्वे की रिपोर्ट को जान जानबूझकर लीक किया गया है।