पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को इंद्रदेव ने बचा लिया, वरना हुक़ूमत ने तो उनकी तबाही का वारंट जारी कर ही दिया था। मौसम ने भले ही फ़ौरी तौर पर किसानों को राहत दे दी हो लेकिन किसान इस समय क़र्ज़ के बोझ में झुककर दोहरा हुआ जा रहा है। आइए पहले यह जान लेते हैं कि किसान को अगर इंद्रदेव राहत नहीं देते तो उनको क्या परेशानी झेलनी पड़ती। फिर किसानों की बदहाली की चर्चा करते हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ख़ुश करने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खेतों को सिंचाई के लिए मिलने वाला गंगा के पानी को रोक दिया गया। मौसम में गर्मी थी और फ़सल बचाने के लिए पानी की दरकार थी। पर सरकार के लिए किसानों से ज़्यादा ज़रूरी अमेरिकी राष्ट्रपति का नयनसुख था। उनको भारत की उजली तसवीर दिखाने के लिए हुक़ूमत कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती थी। इसलिए प्रदूषित यमुना को गंगाजल से निर्मल करने के लिए किसानों को मिलने वाला पानी रोक कर आगरा तक पहुँचाना ज़रूरी था ताकि जब डोनाल्ड ट्रंप आगरा में प्रेम के प्रतीक ताजमहल के दीदार करने जाएँ तो उन्हें प्रदूषित यमुना की सड़ांध का सामना न करना पड़े।
यमुना किनारे बसे ताजमहल की ख़ूबसूरती प्रदूषित यमुना मैली न कर दे, इसलिए ज़रूरी था कि 24 फ़रवरी को उनके आगरा कार्यक्रम से पहले व्यवस्था चाक-चौबंद हो जाए। लिहाज़ा हुक्मरानों का आदेश मिलते ही 500 क्यूसेक पानी गंग नहर से आगरा के लिए तत्काल छोड़ दिया गया जबकि तीन चरणों में 950 क्यूसेक पानी की डिमांड मेरठ सिंचाई विभाग को मिली थी। यह जल 22 फ़रवरी तक आगरा यमुना में 386 किलोमीटर की यात्रा कर पहुँचना शुरू कर देगा। गंग नहर हरिद्वार से शुरू होकर मुज़फ़्फ़रनगर, मेरठ, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर होते हुए हिंडन और फिर हिंडन से मथुरा के रास्ते यमुना में गंगाजल प्रवाहित होना शुरू हो चुका है।
अमेरिकी राष्ट्रपति तो यमुना में गंगाजल बहता देखकर आनंदित हों या न हों लेकिन इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दो हज़ार गाँव प्रभावित हुए जिन्हें गंग नहर से निकलने वाली ब्रांच नहरों के माध्यम से खेतों के लिए सिंचाई का जल मिलता है। किसानों को अपनी फ़सलों को बचाने के लिए इन दिनों पानी की अत्यधिक आवश्यकता थी और ब्रांच नहरें सूखी पड़ी थीं। दोघट गाँव के किसान सचिन पिछले तीन दिन से बहुत परेशान थे। सचिन जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अनेक किसानों को फ़सलें सूख जाने का अंदेशा था लेकिन इंद्रदेव ने कृपा कर झमाझम बारिश कर दी, वरना किसानों की समस्याएँ और गहरा जातीं।
इन दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान अनेक समस्याओं से ग्रस्त है। एक तरफ़ चीनी मिलें गन्ने के मूल्य का भुगतान अटकाए हुए हैं तो दूसरी तरफ़ बिजली बिलों के बकाया के चलते उनके नलकूप कनेक्शन लगातार काटे जा रहे हैं।
किसान माँग कर रहे हैं कि उन्हें बिजली बिलों के भुगतान के लिए कुछ समय और दिया जाए और साथ ही लगाए गए अर्थदंड से उन्हें मुक्ति मिले।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत कहते हैं कि सरकार किसानों के हितों की बात तो करती है लेकिन व्यवहार में इसका उल्टा होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली के फिक्स्ड बिल 250 रुपये के आसपास हुआ करते थे जबकि वर्तमान में क़रीब 1200 रुपये हो गए हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश में नलकूप के कनेक्शन में औसत 2000 हज़ार रुपये का बिजली बिल अदा करना पड़ता है, जबकि यह पड़ोसी राज्य हरियाणा की तुलना में क़रीब 10 गुना ज़्यादा है।
बिजली, बिजार और ब्याज ने कमर तोड़ी
मेरठ के किसान दीपक को मोदी सरकार से बड़ी आशाएँ थीं लेकिन इन दिनों बहुत व्यथित हैं। क्षुब्ध होकर कहते हैं कि बिजली, बिजार और ब्याज ने कमर तोड़ रखी है। उनका कहना है कि जबसे योगी सरकार का गोवंश को लेकर फरमान आया है तब से लोग अपने बूढ़े हो चुके गोवंश को खेतों या जंगलों में छोड़ कर चले जाते हैं। यही गाय और बिजार उनके खेतों में घुसकर फ़सलों को खा जाते हैं। समस्या इतनी ख़राब हो चुकी है कि आवारा पशुओं को शेल्टर हाउस की जगह निकायों के लोग भी चुपचाप उन्हें जंगलों में छोड़ कर अपना काम सिद्ध कर रहे हैं।
आरएलडी नेता राजकुमार सांगवान का आरोप है कि सरकार के फ़ैसले और उनकी कार्यप्रणाली किसानों को तबाह कर रही है। उनका कहना है कि चीनी मिलों ने इस सत्र में किसानों से खरीदे गए गन्ने का अभी तक भुगतान भी शुरू नहीं किया है, जबकि पिछले वर्ष का भुगतान भी अभी बकाया है। किसान के पास पैसा नहीं है और दूसरी तरफ़ बिजली बिल न दे पाने पर उनके कनेक्शन काटे जा रहे हैं और किसानों के ख़िलाफ़ बिजली चोरी के मुक़दमे दर्ज कराए जा रहे हैं। सांगवान का आरोप है कि एक तरफ़ चीनी मिलें किसानों को गन्ने का भुगतान नहीं कर रही हैं तो दूसरी तरफ़ किसानों का गन्ना खेतों में खड़ा है और उन्हें चीनी मिलों की पर्ची नहीं मिल रही क्योंकि प्रदेश का गन्ना विभाग चीनी मिलों के साथ मिलकर मनमानी कर रहा है। वह कहते हैं कि किसान से 8 रुपये प्रति कुंतल का भाड़ा भुगतान में से काटा जा रहा है जो नियम और शर्तों का सीधा उल्लंघन है।
आरएलडी नेता राजकुमार सांगवान कहते हैं कि इस समय गेहूँ को पानी की सख़्त ज़रूरत है लेकिन रजवाहों में पानी नहीं है। किसानों की फ़सलों की क़ीमत पर अमेरिकी राष्ट्रपति को ख़ुश करने की लीला को कैसे उचित कहा जा सकता है।
वह कहते हैं कि चार दिन के लिए यमुना को निर्मल दिखाने के लिए किसानों के पेट पर लात सिर्फ़ बीजेपी सरकार ही रख सकती है। सरकार को भारत की नदियों की स्वच्छता के लिए चलाए गए अभियान, उस पर हुआ ख़र्च और परिणामों पर श्वेत पत्र लाना चाहिए।
फ़िलहाल किसान ब्याज के दुष्चक्र में फँसा हुआ है। दूसरी तरफ़ आगरा में अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए तैयारियाँ करी़ब-क़रीब पूरी हो चुकी हैं। दीवारों पर रंगाई-पुताई के साथ राइजिंग इंडिया दिखाई देने लगा है।