उत्तर प्रदेश की सियासत में ख़ुद को मज़बूत करने में जुटी कांग्रेस ‘किसने बिगाड़ा उत्तर प्रदेश’ के नारे के साथ चुनावी बिगुल फूंकने जा रही है। इस नारे के जरिये वह योगी सरकार की विफलताओं के बारे में जनता को बताएगी। इसके लिए पार्टी पूरे प्रदेश में प्रशिक्षण कैंप लगाने जा रही है।
इन प्रशिक्षण कैंप के जरिये पार्टी के कार्यकर्ताओं को बताया जाएगा कि बीते 32 सालों के दौरान उत्तर प्रदेश के हालात किस तरह ख़राब होते गए हैं। बता दें कि कांग्रेस 1989 के बाद से ही सूबे की सत्ता से बाहर है और मौजूदा वक़्त में वह बेहद कमज़ोर हो चुकी है।
कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने एएनआई को बताया कि पार्टी 9 अगस्त से 9 सितंबर तक लगभग 70 हज़ार कार्यकर्ताओं को योगी सरकार की विफलताओं के बारे में प्रशिक्षित करेगी। इसके साथ ही उन्हें बूथ मैनेजमेंट, सोशल मीडिया के इस्तेमाल, कांग्रेस और बीजेपी-आरएसएस की विचारधारा के अंतर के बारे में बताया जाएगा। 9 अगस्त के दिन को एतिहासिक माना जाता है क्योंकि इस दिन महात्मा गांधी ने अगस्त क्रांति या भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी।
इस दौरान पार्टी पूरे उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभाओं में 675 ट्रेनिंग कैंप लगाएगी, इनमें से 100 सीटों पर वह विशेष रूप से फ़ोकस करेगी।
छत्तीसगढ़ में मिल रहा प्रशिक्षण
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के 100 नेताओं और कार्यकर्ताओं को इन दिनों छत्तीसगढ़ में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इधर, कांग्रेस ने प्रदेश के 8 ज़ोन में आने वाले ब्लॉकों के अध्यक्ष को हाल ही में प्रशिक्षण दिया है। पार्टी नेताओं ने एएनआई को बताया कि प्रशिक्षण कैंप से पार्टी संगठन को नई ताक़त मिली है।
प्रशिक्षण कैंप में हिस्सा लेने वाले कार्यकर्ता उन्हें बताई गई बातों को लेकर जनता के बीच में जाएंगे और योगी सरकार को घेरने का काम करेंगे।
जान फूंकने की कोशिश
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में जान फूंकने की कोशिश में जुटी हैं। ख़बरों के मुताबिक़, प्रियंका हर महीने के ज़्यादातर दिन अब लखनऊ में रहेंगी। राज्य की प्रभारी होने के नाते प्रियंका के कंधों पर ज़्यादा बड़ी जिम्मेदारी है।
इस तरह की भी ख़बरें हैं कि कांग्रेस प्रियंका गांधी को यहां मुख्यमंत्री पद का चेहरा बना सकती है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के सामने चुनौतियों का अंबार लगा हुआ है और 2022 के चुनाव में उसे बेहतर प्रदर्शन करना ही होगा, वरना यहां उसका ख़ुद को जिंदा रख पाना मुश्किल हो जाएगा।
बीजेपी के साथ मित्रता निभाने के आरोप को लेकर प्रियंका मायावती और अखिलेश यादव पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला बोल चुकी हैं और किसान आंदोलन के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर किसान महापंचायत कर उन्होंने पार्टी को खड़ा करने की कोशिश की है।