बुलंदशहर हिंसा में अभियुक्त प्रशांत नट की गिरफ़्तारी के बाद जो जानकारियाँ सामने आई हैं, उसे सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो सकते हैं। पुलिस ने जो जानकारी दी है, उसके अनुसार इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की बेरहमी से हत्या की गई। पुलिस ने कहा है कि इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह पर पत्थरों, रॉड और कुल्हाड़ी से हमला किया गया था। इसके बाद उन्हें लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारी गई थी। बुलंदशहर पुलिस के वरिष्ठ अधीक्षक प्रभाकर चौधरी ने कहा कि सुबोध कुमार सिंह की हत्या योजना बनाकर की गई थी। पुलिस ने अपनी एफ़आईआर में 27 लोगों का नाम लिया है और इनमें से 20 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है। लेकिन हैरानी की बात है कि प्रशांत नट का नाम एफ़आईआर में नहीं था। लेकिन प्रभाकर चौधरी के अनुसार, ‘प्रशांत नट पहले भी मुख्य अभियुक्त था। वह घटना के बाद से ही अपनी पत्नी और बच्चों के साथ ग़ायब हो गया था। हमने इसे छुपाकर रखा था क्योंकि हम नहीं चाहते थे कि इससे वह सतर्क हो जाए। विडियो फ़ुटेज की जाँच करने, चश्मदीदों से बात करने और गिरफ़्तार लोगों से पूछताछ करने के बाद ही यह साफ़ हो गया था कि इंस्पेक्टर की हत्या उसी ने की है।’ सुबोध पर भीड़ ने उस समय हमला किया था जब वह गोमाँस मिलने की अफ़वाह पर हो रहे बवाल को शांत करने के लिए मौक़े पर गए थे।
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मामले में ख़ास बात यह है कि प्रशांत नट के भाई ने कहा है कि उसके भाई को बलि का बकरा बनाया जा रहा है और ऐसा सिर्फ़ इसलिए किया जा रहा है क्योंकि पुलिस अब तक इस केस के मास्टरमाइंड को गिरफ़्तार करने में नाकाम रही है।
हैरानी की बात है कि पुलिस अब तक हिंसा के मुख्य अभियुक्त योगेश राज को गिरफ़्तार नहीं कर सकी है। योगेश बजरंग दल का जिला संयोजक है और फ़रार होने के दौरान उसने एक विडियो शेयर कर ख़ुद को बेगुनाह बताया था।
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यूपी पुलिस ने दावा किया है कि प्रशांत नट ने क़बूल कर लिया है कि उसी ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को गोली मारी थी। पुलिस का कहना है, ‘सुबोध भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे तभी कलुआ नाम के शख़्स ने उन पर कुल्हाड़ी से वार किया। इससे सुबोध के हाथ की अंगुली कट गई। इसके बाद कलुआ ने कुल्हाड़ी से उनके सिर में वार किया’। पुलिस के अनुसार, ‘सुबोध ने भागने की कोशिश की लेकिन अभियुक्तों ने उन्हें पकड़ लिया और घसीटते हुए खेतों में ले गए। जहाँ प्रशांत नट ने सुबोध की सर्विस रिवॉल्वर ले ली और उन्हें गोली मार दी।’
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लेकिन यह बेरहमी यहीं नहीं रुकी। भीड़ रॉड से उन पर हमला करती रही। सुबोध के साथियों ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, वे उन्हें जीप में डालकर अस्पताल ले जाने लगे तो भीड़ ने जीप पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। पुलिस ने कहा है कि हिंसा वाले दिन योगेश राज और कलुआ ही भीड़ को उकसा रहे थे। कलुआ भी पुलिस की पकड़ से बाहर है।
पुलिस के मुताबिक़, इसके बाद भीड़ ने उनके वाहन को जलाने की कोशिश की। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, इंस्पेक्टर की बायीं आँख के पास गोली मारी गई थी। इसके अलावा उनके हाथ और पाँव में भी कई फ़्रैक्चर थे।