हाथरस गैंगरेप मामले में मीडिया, आम लोगों के सवालों से बुरी तरह घिर चुकी योगी आदित्यनाथ सरकार की मुश्किलों को उसके अपने ही एक विधायक ने और बढ़ा दिया है।
गाजियाबाद की लोनी सीट से विधायक नंद किशोर गुर्जर ने महामहिम राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को पत्र लिखकर कहा है, ‘देश की आज़ादी के बाद यह पहली ऐसी घटना है, जिसमें पुलिस प्रशासन ने शीर्ष अधिकारियों के इशारे पर कथित दुष्कर्म और वीभत्स तरीके से की गई हत्या पर बिना पीड़ित परिवार को भरोसे में लिए उनसे अर्थी को कंधा और मुखाग्नि देने तक का मौलिक अधिकार छीन लिया।’
विधायक ने पत्र में बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि लखनऊ में बैठे शीर्ष अधिकारियों और राजनीतिक दलों के सिंडिकेट के द्वारा बीजेपी सरकार की छवि को नुक़सान पहुंचाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस सिंडिकेट की कोशिश बीजेपी की छवि को दलित विरोधी बताने की है।
विधायक गुर्जर ने पत्र में लिखा है कि बलरामपुर आदि स्थानों पर घटित घटना एक षड्यंत्र का हिस्सा है और भविष्य में यह सिंडिकेट ऐसी कई घटनाओं को अंजाम देने की फिराक में है।
उन्होंने लिखा है कि महामहिम राज्यपाल इस पूरी घटना का संज्ञान लेते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच कराएं और उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजीपी, हाथरस के डीएम और एसएसपी समेत मामले को देख रहे अन्य अधिकारियों पर भी हत्या का मुक़दमा दर्ज कर इन्हें फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट से सजा दिलाई जाए। विधायक ने इस पत्र की प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को भी भेजी है।
विधायक का डीजीपी जैसे आला ओहदे पर बैठे अफ़सर के ख़िलाफ़ हत्या का मुक़दमा दर्ज करने की बात कहना बेहद गंभीर मामला है। विधायक गुर्जर कई बार अपने बयानों के लिए चर्चा में रहे हैं।
गांव में सख़्त पहरा
हाथरस पीड़िता के गांव में पुलिस की जबरदस्त तैनाती है और वहां किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है। सोशल मीडिया पर कुछ न्यूज़ चैनलों के पत्रकारों के वीडियो वायरल हो रहे हैं। इन वीडियो में पत्रकार पुलिस से कह रहे हैं कि वे अपना काम करने यानी सच का पता लगाने के लिए पीड़िता के गांव में जाना चाहते हैं। पीड़िता के परिजनों से बात करना चाहते हैं। लेकिन पुलिस उन्हें अंदर नहीं जाने दे रही है।बलात्कार नहीं हुआ: पुलिस
उधर, उत्तर प्रदेश पुलिस बार-बार कह रही है कि दलित पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं हुआ है। गुरूवार को उसने फिर कहा कि पीड़िता के विसरा की फ़ॉरेंसिक रिपोर्ट से यह पता चला है कि युवती के साथ बलात्कार या सामूहिक बलात्कार नहीं हुआ है। जबकि सोशल मीडिया पर वायरल कई वीडियो में दलित युवती ने कहा था कि उसके साथ जबरदस्ती की गई, गला दबाने की कोशिश भी की गई। इससे पहले भी उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा था कि सरकारी मेडिकल रिपोर्ट में लड़की के साथ दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है।बलात्कार के कोई सबूत नहीं
यूपी पुलिस के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने गुरूवार को कहा, ‘रेप के बारे में एफएसएल की रिपोर्ट आ गई है और इससे पता चलता है कि बलात्कार के कोई सबूत नहीं हैं। पुलिस ने घटना के बाद उचित धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया और पीड़िता को चिकित्सा सुविधा दी गई। 25 तारीख़ को सारे सैंपल एफ़एसएल को भेजे गये। जो सैंपल इकट्ठे गए थे, उसमें किसी तरह का स्पर्म और शुक्राणु नहीं पाया गया है।’
हाथरस दलित रेपकांड पर क्या योगी सरकार लीपापोती कर रही है। देखिए, वीडियो-
पुलिसिया तानाशाही चरम पर
पुलिस ने 14 सितंबर को उस दलित युवती के साथ हुए सामूहिक बलात्कार को मानने से मना कर दिया है। अपनी सरकारी रिपोर्ट में उसने अभियुक्तों की पिटाई के कारण लकवाग्रस्त हो चुकी दलित युवती को लगी चोटों का जिक्र नहीं किया। रात में सफदरजंग से शव को हाथरस पहुंचा दिया, परिजनों की लाख मनुहार के बाद उनकी बेटी का चेहरा उन्हें नहीं देखने दिया और युवती का दाह संस्कार कर दिया।इसके बाद पुलिस ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को पीड़िता के गांव में नहीं पहुंचने दिया। पीड़िता के परिवार वाले लगातार कह रहे हैं कि उन पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है, डीएम दबाव बना रहे हैं और उन्हें मीडिया से बात नहीं करने दी जा रही है।