अयोध्या प्रशासन का कहना कि "धोखाधड़ी" के आरोप में दो ठेकेदारों पर केस दर्ज किया जाएगा, क्योंकि उन्होंने 50 लाख रुपये से अधिक मूल्य की लगभग 3,800 बांस और 36 प्रोजेक्टर लाइटें "शायद कभी स्थापित नहीं कीं" थीं। जिनके बारे में दोनों ठेकेदारों का दावा है कि वे भक्ति पथ और राम पथ से चुराई गई थीं। जबकि यहाँ बहुत उच्च सुरक्षा वाला क्षेत्र है। जहां इस तरह की चोरी नामुमकिन सी बात है।
अयोध्या में लाइट चोरी होने का सच दैनिक भास्कर के वीडियो में देखिए
पुलिस ने कहा कि यश एंटरप्राइजेज और कृष्णा ऑटोमोबाइल्स की चोरी की शिकायत पर 9 अगस्त को राम जन्मभूमि पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जिन्होंने अयोध्या विकास प्राधिकरण द्वारा दिए गए कॉन्ट्रैक्ट के तहत लाइटें लगाई थीं।
जहां समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पवित्र शहर में कानून व्यवस्था को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की आलोचना की, वहीं अयोध्या के आयुक्त और अयोध्या विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष गौरव दयाल ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है।
खास बात यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में उल्टा विपक्ष को ही घेरने की कोशिश की। योगी ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले उन लाइटों को रामपथ और भक्ति पथ पर लग जाना था। लाइट लगी ही नहीं और विपक्षियों के साथ फर्जी भुगतान की साजिश रची गई। योगी ने कहा कि इस मामले में गड़बड़ी करने वालों के आका भी जेल जाएंगे। लेकिन यह बात समझ से बाहर है कि 2017 से यूपी में भाजपा की सरकार है। अयोध्या में सारा काम योगी सरकार के संरक्षण में हो रहा है तो ऐसे में विपक्ष किस हिसाब से और क्यों शामिल होगा। कभी सत्ता पक्ष के समय में विपक्ष को ऐसे काम मिले हैं क्या।
अधिकारियों ने कहा, "हमने सरकार को धोखा देने के आरोप में ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का फैसला किया है।" अयोध्या प्रशासन ने दावा किया कि लाइटें "शायद कभी लगाई ही नहीं गई थीं।" एफआईआर के मुताबिक, एक कंपनी को मई में चोरी के बारे में पता चला लेकिन उसने 9 अगस्त को शिकायत दर्ज कराई।
दूसरी तरफ एक कंपनी के मैनेजर शेखर शर्मा ने कहा, "राम पथ पर 6,400 बांस की लाइटें और भक्ति पथ पर 96 प्रोजेक्टर लाइटें लगाई गई थीं। 19 मार्च तक सभी लाइटें वहां थीं लेकिन 9 मई को निरीक्षण के बाद पता चला कि कुछ लाइटें गायब थीं।" उन्होंने कहा, "अब तक लगभग 3,800 बांस की लाइटें और 36 प्रोजेक्टर लाइटें कुछ अज्ञात चोरों द्वारा चुरा ली गई हैं।"
इस साल 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह से पहले एक बड़ी परियोजना के तहत अयोध्या का नवीनीकरण किया गया था। अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर इस ''निर्लज्ज'' चोरी को लेकर सरकार की आलोचना की। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने एक्स पर लिखा, "चोरों ने यूपी-अयोध्या में कानून-व्यवस्था की स्थिति को बाधित कर दिया है। भाजपा सरकार का मतलब 'अंधेर नगरी' आज की अयोध्या कहती है कि उसे भाजपा नहीं चाहिए।"