पूर्व सांसद अतीक अहमद की हत्या के मामले में क्या किसी पत्र से बड़ा धमाका होने वाला है। सत्य हिन्दी पर अतीक के वकील ने ऐसा पत्र होने की जानकारी दी है।
किसने दी अशरफ़ को जान से मारने की धमकी ? वो अफ़सर कौन था ? क्या इस बात का पता कभी चल सकता ? किन किन को भेजी गई चिट्ठी ? सत्य हिन्दी पर आशुतोष को बता रहे हैं अशरफ़ के वकील विजय मिश्रा।
सत्य हिन्दी के संपादक आशुतोष ने वकील विजय मिश्रा से इस संबंध में बात की थी। दिवंगत अतीक के वकील विजय मिश्रा ने सोमवार देर रात सत्य हिन्दी पर कहा कि अतीक अहमद का एक पत्र उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भारत के चीफ जस्टिस को उनकी मौत के मामले में भेजने के निर्देश के साथ भेजा जा रहा है।
सत्य हिन्दी के वीडियो के मुताबिक उनके वकील विजय मिश्रा ने कहा- सीलबंद लिफाफे में वह पत्र न तो मेरे पास है और न ही मेरे द्वारा भेजा गया है। इसे कहीं और रखा गया है और किसी अन्य व्यक्ति द्वारा भेजा जा रहा है। मुझे पत्र की कटेंटे की जानकारी नहीं है। यानी पत्र में क्या लिखा है, इसकी जानकारी वकील को नहीं है।
अतीक अहमद (60) और उनके भाई अशरफ को शनिवार की रात मीडिया से बातचीत के दौरान पत्रकारों के रूप में आए तीन लोगों ने गोली मार दी थी। यूपी के पुलिसकर्मी उस समय उन्हें प्रयागराज के एक मेडिकल कॉलेज में जांच के लिए ले जा रहे थे।
वकील मिश्रा ने कहा -अतीक अहमद ने कहा था कि अगर कोई घटना होती है या उनकी हत्या होती है तो सीलबंद लिफाफे में पत्र भारत के चीफ जस्टिस और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजा जाना चाहिए।
प्रयागराज में जेल में बंद दोनों भाइयों को उस समय हथकड़ी लगी हुई थी, जब कैमरा क्रू के सामने उनकी हत्या कर दी गई थी। भयावह दृश्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और टीवी चैनलों पर व्यापक रूप से प्रसारित किए गए थे। झांसी में 13 अप्रैल को पुलिस मुठभेड़ में मारे गए अहमद के बेटे असद का अंतिम संस्कार डबल मर्डर से कुछ घंटे पहले किया गया था।
इस साल की शुरुआत में उमेश पाल और उनके दो पुलिस सुरक्षा गार्डों की हत्या के सिलसिले में पूछताछ के लिए उन्हें गुजरात और बरेली की जेलों से प्रयागराज लाया गया था।
अहमद ने सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें दावा किया गया था कि उसे और उसके परिवार को उमेश पाल हत्या मामले में झूठा फंसाया गया है और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उन्हें उनके बेटे असद की तरह फर्जी मुठभेड़ में मारा जा सकता है। उन्हें किसी एनकाउंटर में नहीं मारा गया, अलबत्ता जब दोनों पुलिस सुरक्षा में थे तो दोनों की हत्या कर दी गई।
अतीक और अशरफ के मामले में यूपी सरकार ने एक न्यायिक जांच समिति और एक एसआईटी गठित कर दी है। लेकिन इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यही है कि जिन तीन आरोपियों ने हत्या की है, आखिर उन्हें किसने भेजा था। उनकी अतीक से कोई दुश्मनी नहीं थी। उन्होंने पकड़े जाने से पहले धार्मिक नारे लगाए। क्या इस घटना का मकसद कुछ और है और जिसकी पुलिस जानबूझकर जांच नहीं कर रही है।