समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के कन्नौज निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल किया। इसके एक दिन पहले ही पार्टी ने तेज प्रताप यादव की जगह अखिलेश को कन्नौज से उम्मीदवार बनाने की घोषणा की थी। दो दिन पहले ही तेज प्रताप यादव को अपना उम्मीदवार बनाया था।
कन्नौज में 13 मई को मतदान होना है और गुरुवार को नामांकन दाखिल करने का आख़िरी दिन है। जीत हासिल करने और एनडीए को हराने का भरोसा जताते हुए अखिलेश ने कहा, 'यहाँ सवाल सीट से ऐतिहासिक जीत का है। इस चुनाव में भाजपा इतिहास बन जाएगी क्योंकि लोगों ने इंडिया गठबंधन के लिए अपना मन बना लिया है। लोग एनडीए के खिलाफ वोट करने जा रहे हैं।'
सपा ने पहले इस सीट से तेज प्रताप यादव को चुनाव मैदान में उतारा था। तेज प्रताप मुलायम सिंह यादव के बड़े भाई रतन सिंह यादव के पोते और राजद प्रमुख लालू प्रसाद के दामाद हैं। वह 2014-2019 के दौरान मैनपुरी से सपा सांसद थे।
अखिलेश ने 2000 में कन्नौज सीट से जीत हासिल की थी। बाद में उन्होंने 2004, 2009 में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया और 2012 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने सीट छोड़ दी और उनकी पत्नी डिंपल यादव ने निर्विरोध उपचुनाव जीता। बाद में डिंपल 2014 में इस सीट से जीतीं लेकिन 2019 में वह बीजेपी के सुब्रत पाठक से हार गईं।
अब फिर से अखिलेश यादव को कन्नौज से उतारकर पार्टी बड़ा संदेश देना चाहती है। कुछ रिपोर्टों में पहले विरोधियों के हवाले से कहा जा रहा था कि अखिलेश आख़िर चुनाव लड़ने को अनिच्छुक क्यों हैं। अब पार्टी ने ट्वीट किया है, 'कन्नौज ने दिया संदेश- हमारा सांसद फिर अखिलेश।'
इंडिया गठबंधन के सहयोगियों समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने हफ्तों की तनावपूर्ण बातचीत और कड़ी सौदेबाजी के बाद फरवरी में उत्तर प्रदेश में अपने सीट-बंटवारे समझौते को अंतिम रूप दिया था।
उनके समझौते के तहत कांग्रेस राज्य की 80 में से 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, शेष 63 सीटें सपा और उसके छोटे सहयोगियों के लिए छोड़ रही है।
कांग्रेस यूपी में जिन सीटों पर चुनाव लड़ रही है उसमें पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले रायबरेली और अमेठी भी शामिल हैं। इनके लिए अभी तक उम्मीदवारों के नाम तय नहीं किए गए हैं। चर्चा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा यहां से चुनावी मैदान में उतर सकती हैं और राहुल गांधी भाजपा की स्मृति ईरानी के साथ तीसरे मुकाबले के लिए लौट सकते हैं।
यूपी की 80 सीटें किसी भी राज्य की तुलना में सबसे अधिक हैं। कहा जाता है कि केंद्र में सत्ता उसको मिलने की ज़्यादा संभावना होती है जो राज्य में बढ़िया प्रदर्शन करता है। भाजपा ने 'अबकी बार, 400 पार' का नारा दिया है और विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरे कार्यकाल से रोकने के लिए यूपी में काफी मेहनत कर रहा है।