मेरठ में दो धार्मिक स्थलों में रुके 19 विदेशी नागरिकों का पता लगने के बाद हड़कंप मच गया है। लोकल इंटेलीजेंस यूनिट (एलआईयू) के इनपुट के बाद पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने मेरठ के सरधना और मवाना के धार्मिक स्थलों से ले जाकर इन लोगों को क्वरेंटीन कर दिया है।
जांच और उपचार के लिए ले जाये गये ये सभी विदेशी नागरिक लोगों के जत्थे के साथ मेरठ पहुंचे थे लेकिन इनके धार्मिक स्थल पर रुकने की सूचना प्रबंधकों और स्थानीय लोगों ने प्रशासन को नहीं दी। अब पुलिस इन्हें ठहराने और सूचना छिपाने वालों के ख़िलाफ़ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई में जुट गई है। इन सभी के पासपोर्ट और वीजा कब्जे में ले लिये गये हैं। इन विदेशी यात्रियों में इंडोनेशिया, सूडान, जिबूती, केन्या सहित कुछ अन्य देशों के नागरिक भी शामिल हैं।
मेरठ के उपनगर मवाना में मुहल्ला हीरालाल स्थित बिलाल मसजिद में एलआईयू द्वारा दी गई सूचना पर मवाना थाना कोतवाली और स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची, जहां सूडान और केन्या के 10 विदेशी नागरिक बिना सूचना के रुके हुए थे। इसी कड़ी में सरधना उपनगर की आजाद नगर स्थित मसजिद में 9 विदेशी धार्मिक यात्री मौजूद थे। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इनके स्वास्थ्य की प्राथमिक जांच कर इन्हें कोरोना वायरस की जांच के लिए क्वरेंटीन कर दिया है।
लॉकडाउन के बाद भी स्थानीय पुलिस प्रशासन को सूचना न दिए जाने पर संबंधित थानों में आईपीसी की धारा 188, 269, 270 और 14 विदेशी अधिनियम के साथ महामारी एक्ट की धारा 3 के तहत धार्मिक स्थलों का प्रबंधन देख रहे लोगों के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज कराया गया है। गौरतलब है कि मवाना में बीती 17 मार्च और सरधना में 22 मार्च 2020 को ये धार्मिक जत्थे दिल्ली के निजामुद्दीन होते हुए यहां पहुंचे थे।
शहर क़ाज़ी मौलाना नफीस का कहना है कि दुनिया में जो जमात चलती हैं, वे पहले मरकज निजामुद्दीन दिल्ली आती हैं जहां से निजाम बनाकर जमातों को आगे भेजा जाता है जिसका सारा रिकॉर्ड उन्हीं के पास रहता है। दूसरी तरफ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जब देश में लॉकडाउन है तो मसजिद प्रबंधन से जुड़े लोगों को पुलिस को सूचना देनी चाहिए थी।