सुल्तानपुर डकैती के आरोपी को क्या 'जात' देखकर किया गया एनकाउंटर?
सुल्तानपुर में एक ज्वैलरी शॉप में जो दिन-दहाड़े डकैती हुई थी उसके आरोपियों पर 'जात' देखकर कार्रवाई किए जाने का गंभीर आरोप लग रहा है। इसको लेकर यूपी की राजनीति में बवाल मचा है। समाजवादी पार्टी के नेता से लेकर सोशल मीडिया यूज़र इसको लेकर गंभीर सवाल उठा रहे हैं और पूछ रहे हैं कि क्या अब अपराधियों की जाति देखकर कार्रवाई की जाएगी? सवाल तो यह भी पूछा जा रहा है कि आख़िर डकैती के आरोपी का एनकाउंटर क्यों हुआ?
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है, "लगता है सुल्तानपुर की डकैती में शामिल लोगों से सत्ता पक्ष का गहरा संपर्क था, इसीलिए तो नक़ली एनकाउंटर से पहले ‘मुख्य आरोपी’ से संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया और अन्य सपक्षीय लोगों के पैरों पर सिर्फ़ दिखावटी गोली मारी गयी और ‘जात’ देखकर जान ली गयी।" इसके बाद अखिलेश ने एक अन्य पोस्ट में आरोप लगाया कि दो दिन पहले जिसको उठाया और एनकाउंटर के नाम पर बंदूक़ सटाकर गोली मारकर हत्या की गयी, अब उसकी मेडिकल रिपोर्ट बदलवाने का दबाव डाला जा रहा है।
दो दिन पहले जिसको उठाया और एनकाउंटर के नाम पर बंदूक़ सटाकर गोली मारकर हत्या की गयी। अब उसकी मेडिकल रिपोर्ट बदलवाने का दबाव डाला जा रहा है। इस संगीन शासनीय अपराध का सर्वोच्च न्यायालय तुरंत संज्ञान ले, इससे पहले की सबूत मिटा दिये जाएं।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 5, 2024
अखिलेश यादव ने अपील की कि इस संगीन शासनीय अपराध का सर्वोच्च न्यायालय तुरंत संज्ञान ले, इससे पहले की सबूत मिटा दिये जाएं। उन्होंने कहा, 'नक़ली एनकाउंटर रक्षक को भक्षक बना देते हैं। समाधान नक़ली एनकाउंटर नहीं, असली क़ानून-व्यवस्था है। भाजपा राज अपराधियों का अमृतकाल है। जब तक जनता का दबाव व आक्रोश चरम सीमा पर नहीं पहुँच जाता है, तब तक लूट में हिस्सेदारी का काम चलता रहता है और जब लगता है जनता घेर लेगी तो नक़ली एनकाउंटर का ऊपरी मरहम लगाने का दिखावा होता है। जनता सब समझती है कि कैसे कुछ लोगों को बचाया जाता है और कैसे लोगों को फँसाया जाता है।'
दरअसल, यह मामला है 28 अगस्त को दोपहर क़रीब 12 बजे एक ज्वेलर्स की दुकान में लूटपाट का। बदमाशों ने कथित तौर पर एक करोड़ 40 लाख की ज्वेलरी और नकदी लूट ली। लूट की घटना को अंजाम देने के बाद बदमाश बाइक से भागे। एक बाइक पर दो बदमाश सवार थे, जबकि दूसरी बाइक पर तीन बदमाश थे।
घटना के एक हफ्ते तक पुलिस ने इस डैकती की कड़ियों को जोड़ा तो दुकान में लूट करने वाले केवल पांच बदमाशों के नाम नहीं, बल्कि 12 बदमाशों के नाम निकलकर सामने आए। टीवी9 की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने इन सभी 12 बदमाशों पर एक-एक लाख का इनाम घोषित कर दिया।
पुलिस के अनुसार इस डकैती में शामिल गैंग के सरगना विपिन सिंह ने रायबरेली कोर्ट में दूसरे मामले में सरेंडर कर दिया। तीन दिन पहले मंगलवार को एक एनकाउंटर के दौरान तीन बदमाश सचिन सिंह, पुष्पेंद्र सिंह और त्रिभुवन उर्फ लाला हरिजन को गिरफ्तार किया गया। उन्हें इलाज के बाद जेल भेज दिया गया। गुरुवार को एक आरोपी मंगेश यादव को यूपी एसटीएफ़ ने देहात कोतवाली के मिशिरपुर पुरैना गांव में मुठभेड़ के दौरान मार गिराया।
इसी एनकाउंटर को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। अखिलेश यादव ने जब सवाल पूछे तो सोशल मीडिया पर पुलिस से सवाल पूछे जाने लगे। विनोद कापड़ी ने पोस्ट किया, 'सुल्तानपुर में 28 अगस्त को 1.5 करोड़ की डकैती हुई। 3 सितंबर को पुलिस ने आरोपी सचिन सिंह, पुष्पेंद्र सिंह, त्रिभुवन को गिरफ़्तार किया। 4 सितंबर को मुख्य आरोपी दुर्गेश सिंह ने सरेंडर किया। और 5 सितंबर को मंगेश यादव का एनकाउंटर कर दिया गया। ऐसा कैसे हो रहा है? 3 और 4 सितंबर को गिरफ़्तारी, सरेंडर हो रहा है और 5 सितंबर को एनकाउंटर! अखिलेश यादव ने वाजिब सवाल उठाए हैं। क्या यूपी पुलिस, योगी आदित्यनाथ जाति देख कर एनकाउंटर करा रहे हैं?'
#Sultanpur में 28 अगस्त को 1.5 करोड़ की डकैती हुई
— Vinod Kapri (@vinodkapri) September 5, 2024
3 सितंबर को पुलिस ने आरोपी
सचिन सिंह, पुष्पेंद्र सिंह , त्रिभुवन को गिरफ़्तार किया
4 सितंबर को मुख्य आरोपी दुर्गेश सिंह ने सरेंडर किया
और
5 सितंबर को मंगेश यादव का एनकाउंटर कर दिया गया
ऐसा कैसे हो रहा है ? 3 और 4 सितंबर को… https://t.co/EL0q04ILUR
पत्रकार रोहिणी सिंह ने पोस्ट किया है, "सुल्तानपुर डकैती में 11 आरोपी थे। इनमें ठाकुर, यादव और एक पंडित शामिल थे। मास्टरमाइंड समेत ठाकुरों को गिरफ्तार कर लिया गया या उन्हें आत्मसमर्पण करने दिया गया। यादव को यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने ‘मुठभेड़’ में मार गिराया। क्या अमिताभ यश (एसटीएफ़ प्रमुख) इस पर स्पष्टीकरण देंगे? क्या सीओ डीके शाही के नेतृत्व वाली एसटीएफ टीम ठाकुर थी, जिसकी पत्नी को कल राज्य महिला आयोग का सदस्य बनाया गया? क्या विमल सिंह, एक अन्य ठाकुर भी एसटीएफ ऑपरेशन का हिस्सा था? इनाम की राशि कब घोषित की गई?"
The Sultanpur robbery had 11 accused. A mix of Thakurs, Yadavs and one pandit. The Thakurs, including the mastermind, were arrested or allowed to surrender. The Yadav killed in an ‘encounter’ by @Uppolice’s Special Task Force. Will @AmitabhYash clarify the following? Was the STF…
— Rohini Singh (@rohini_sgh) September 5, 2024
उन्होंने आगे कहा, "यश के नेतृत्व में एसटीएफ द्वारा किए गए कितने एनकाउंटर में इनाम की राशि एक दिन पहले ही घोषित की गई है? यूपी की एसटीएफ में कितने ठाकुर उच्च पदों पर हैं? एसटीएफ द्वारा किए गए सभी ‘एनकाउंटर’ में कितने ठाकुर अपराधी मारे गए हैं? क्या यूपी की एसटीएफ अब एक स्पेशल ठाकुर फोर्स है? सुप्रीम कोर्ट को यूपी की एसटीएफ द्वारा किए गए एनकाउंटर की जांच करनी चाहिए।"
मंगेश यादव पर 8 मुकदमे दर्ज थे इसलिए योगी पुलिस ने जान से मार दिया
— Surya Samajwadi (@surya_samajwadi) September 6, 2024
यूपी में ही योगी के स्वजातीय गुण्डो पर दर्ज मुकदमें
बर्जेश सिंह -106 मुकदमे
धन्नजय सिंह -46 मुकदमे
राजा भईया -31 मुकदमे
डा० उदयभान सिंह -83 मुकदमे
अशोक चन्देल -37 मुकदमे
विनीत सिंह-34 मुकदमें
बृजभूषण सिंह-84… pic.twitter.com/RsFdAYkTLx
रोहिणी सिंह ने एक अन्य पोस्ट में कई सवाल खड़े किए हैं और सुप्रीम कोर्ट से मामले की जाँच करने का आग्रह किया है-
- आखिर एक जाति विशेष के माफियाओं का कभी एनकाउंटर क्यों नहीं होता? वह अक्सर सरेंडर कैसे कर लेते हैं?
- वहीं कुछ अन्य विशेष जातियों के अपराधियों को बिना सरेंडर का मौक़ा दिये उनका एनकाउंटर क्यों हो जाता है?
- यूपी एसटीएफ़ के आधे से अधिक सदस्य एक विशेष जाति से क्यों है?
- हर एनकाउंटर का मोडस ओप्रेंडी एक जैसा ही क्यों होता है?
- इनाम की घोषणा करने के फ़ौरन बाद कितने एनकाउंटर हुए हैं?
- जिनके हाथों में क़ानून की लगाम है अगर उनका ही व्यवहार अपराधियों जैसा हो गया तो प्रदेश में क़ानून व्यवस्था की ज़िम्मेदारी कौन लेगा?