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यूपी सरकार के मंत्री दिनेश खटीक का इस्तीफ़ा, शाह को लिखी चिट्ठी

यूपी सरकार के मंत्री दिनेश खटीक का इस्तीफ़ा, शाह को लिखी चिट्ठी

नई सरकार बनने के कुछ ही महीने के भीतर राज्यमंत्री का इस्तीफ़ा देना निश्चित रूप से सरकार और उत्तर प्रदेश बीजेपी नेतृत्व के लिए चिंता का विषय है। 

उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री दिनेश खटीक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। दिनेश खटीक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर अपनी तमाम बातों को सामने रखा है और कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार के अफसर उनकी बात नहीं सुनते हैं, कार्रवाई नहीं करते हैं और इससे उनका ही नहीं बल्कि पूरे दलित समाज का अपमान हो रहा है। 

जल शक्ति विभाग में राज्यमंत्री दिनेश खटीक के अलावा पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद भी राज्य सरकार से नाराज हैं और उनके दिल्ली आकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने की चर्चा है।

क्या कहा है पत्र में?

खटीक ने अपने इस्तीफे के पत्र में कहा है कि जल शक्ति विभाग में दलित समाज का राज्य मंत्री होने के कारण उनके आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है और ना ही उन्हें किसी बैठक की सूचना दी जाती है। विभाग में कौन-कौन सी योजनाएं चल रही हैं, उन पर क्या कार्रवाई हो रही है, यह सूचना भी अधिकारियों द्वारा नहीं दी जाती है।

उन्होंने कहा कि जल शक्ति विभाग में स्थानांतरण सत्र में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है। उन्होंने कहा है कि वह दलित जाति के मंत्री हैं इसलिए इस विभाग में उनके साथ बहुत ज्यादा भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि उनके विभाग में अभी तक उन्हें कोई अधिकार नहीं दिया गया है और उनके द्वारा लिखे गए पत्रों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।

भ्रष्टाचार की शिकायत

मेरठ की हस्तिनापुर सीट से विधायक दिनेश खटीक ने कहा है कि इस विभाग के अंदर चल रही नमामि गंगे योजना में बहुत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है और जब वह कोई शिकायत किसी अफसर के खिलाफ करते हैं तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।

दलित समाज के राज्यमंत्री का जब विभाग में कोई अस्तित्व ही नहीं है तो फिर ऐसी स्थिति में राज्य मंत्री के रूप में मेरा कार्य करना दलित समाज के लिए बेकार है और इन्हीं सब बातों से आहत होकर मैं अपने पद से त्यागपत्र दे रहा हूं।


दिनेश खटीक, राज्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार।

इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार के मंत्रियों से कहा है कि वह अपने विभाग के राज्य मंत्रियों के साथ पूरा तालमेल रखें। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि सरकारी बैठकों में राज्य मंत्रियों को भी शामिल किया जाए। उन्होंने यह भी कहा है कि मंत्री अपने स्टाफ पर आंख मूंदकर भरोसा ना करें।

तबादलों से नाराजगी

दिनेश खटीक के बारे में कहा जा रहा है कि वह जल शक्ति विभाग में हुए तबादलों और हस्तिनापुर में उनके समर्थकों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को लेकर नाराज हैं। इस विभाग के राज्य मंत्री स्वतंत्र देव सिंह हैं जो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबियों में गिने जाते हैं। 

 - Satya Hindi

दिनेश खटीक के बारे में कहा गया है कि उन्होंने अपने आधिकारिक सरकारी आवास को खाली कर दिया है और सरकारी वाहन भी लौटा दिया है। दिनेश खटीक हस्तिनापुर में स्थित अपने आवास में चले गए हैं। इस मामले में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है।

इसके अलावा पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद अपने ओएसडी अनिल कुमार पांडे के तबादले से नाराज हैं। पांडे को राज्य सरकार ने केंद्र को भेज दिया था। 

पांडे को पाया था दोषी

इस महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीडब्ल्यूडी विभाग में मिल रही अनियमितताओं की शिकायत को लेकर 3 सदस्यों की एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने अपनी जांच में पाया था कि पीडब्ल्यूडी विभाग में इंजीनियरों और अफसरों का तबादला पैसे लेकर किया गया। इस कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में अनिल कुमार पांडे को दोषी पाया था।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा है कि भ्रष्टाचार और अनियमितता की एक भी घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और मंत्री कोई भी फैसला मैरिट के आधार पर ही करें।

जितिन प्रसाद यूपीए सरकार में मंत्री रहे थे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में उनकी गिनती होती थी। उन्होंने पिछले साल जून में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था। जबकि दिनेश खटीक मेरठ की हस्तिनापुर सीट से बीजेपी के विधायक हैं। दिनेश खटीक आरएसएस के कार्यकर्ता रहे हैं और वहां से वह बीजेपी में आए थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने सपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार योगेश वर्मा को करीबी मुकाबले में हराया था।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बड़ी जीत हासिल की थी। लेकिन नई सरकार में कुछ ही महीने के भीतर दो मंत्रियों की नाराजगी की खबर आना निश्चित रूप से सरकार और उत्तर प्रदेश बीजेपी नेतृत्व के लिए चिंता का विषय है। 

देखना होगा कि राज्य सरकार और बीजेपी नेतृत्व कैसे अपने मंत्रियों की नाराजगी को दूर कर पाता है।

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